चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न मिलने से क्या बदल जाएगा अब यूपी की राजनीति का पूरा समीकरण

आपको बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा के बाद जयंत चौधरी ने एक ट्वीट भी किया. केंद्र सरकार के इस ऐलान को राजनीतिक के जानकार लोकसभा से ठीक पहले एक बड़ा मास्टर स्ट्रोक बता रहे हैं.

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केंद्र सरकार ने चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने की घोषणा की

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को देश के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से सम्मानित करने का ऐलान किया है. सरकार की तरफ से चौधरी चरण सिंह के अलावा पूर्व पीएम पीवी नरसिम्हा राव और वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भी यह सर्वोच्च सम्मान दिया गया है. राजनीति के जानकार लोकसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र सरकार की इस घोषणा को मास्टर स्ट्रोक के तौर पर भी देख रहे हैं. उनका मानना है कि इससे बीजेपी उत्तर से लेकर दक्षिण तक अपनी राजनीति को साध रही है. 

खास तौर पर बात अगर उत्तर प्रदेश की बात करें तो पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह को यह सम्मान मिलने के बाद यूपी की राजनीति का पूरा समीकरण ही बदल सकता है. बीते कुछ समय से इस तरह की खबरें भी आ रही हैं कि राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के अध्यक्ष जयंत चौधरी किसी भी दिन NDA में शामिल हो सकते हैं. ऐसे में जब केंद्र सरकार ने चौधरी चरण सिंह को देश के सबसे बड़े सम्मान से नवाजा है तो अब चर्चा भी आम है कि जयंत चौधरी की तरफ से ये ऐलान सिर्फ एक औपचारिकता मात्र है. 

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आपको बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा के बाद जयंत चौधरी ने एक ट्वीट भी किया. इस ट्वीट में उन्होंने इशारों इशारों में ही सही लेकिन केंद्र सरकार की खुलकर तारीफ की और लिखा कि दिल जीत लिया. इसके साथ ही उन्होंने हैशटैग भारत रत्न भी लिखा. अब अगर जयंत चौधरी NDA में शामिल हुए तो इससे यूपी में समाजवादी पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान होगा. और इसका सीधा फायदा बीजेपी को किसान वोटों को रिझाने में होगा. 

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गौरतलब है कि चौधरी चरण सिंह को यह सम्मान दिए जाने से कुछ दिन पहले ही बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री उनकी बात करने लगे थे. चाहे बात यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा चौधरी चरण सिंह की मूर्ति का अनावरण करना हो या फिर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा चौधरी चरण सिंह की तारीफ करना. चौधरी चरण सिंह के प्रति बीजेपी के इस नरम रुख से ये तो साफ था कि पार्टी और सरकार आने वाले दिनों में यूपी की राजनीति को एक नए चश्मे से देख रही है. और पार्टी की नजर जाट के साथ-साथ किसानों वोटर्स पर भी हैं. 

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यूपी की इन सीटों पर फंसा है पेंच

सूत्र बता रहे हैं कि बीजेपी यूपी की कैराना, अमरोहा और बागपत में से 2 सीट आरएलडी को देने के लिए तैयार है. हालांकि, आरएलडी कैराना, अमरोहा, मथुरा समेत मुजफ्फरनगर और मथुरा सीट की भी मांग कर रही है. बीजेपी किसी भी हाल में मुजफ्फरनगर और मथुरा आरएलडी को देने को तैयार नहीं है. इसकी वजह है कि मुजफ्फरनगर से संजीव बालियान. जो बीजेपी के सबसे बड़े जाट नेता हैं. सूत्रों का कहना है कि उनको बीजेपी हटाने के लिए तैयार नहीं है, वहीं अयोध्या-काशी-मथुरा के नाम पर बीजेपी मथुरा नहीं छोड़ना चाहतीय वर्तमान में मथुरा से हेमा मालिनी बीजेपी सांसद हैं.

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RLD की पुरानी मांगों को बीजेपी ने पहले ही किया पूरा

कहा जा रहा है कि BJP से किसानों समेत जिन मुद्दों पर आरएलडी को नाराजगी थी, उसे भी अपने कार्यकाल में दूर किया गया है. यूपी की कानून व्यवस्था से लेकर गन्ना किसानों से जुड़ी मांगों पर किसानों को सीधे लाभ पहुंचाया गया है. राम मंदिर को लेकर भी जाट समुदाय में भारी खुशी देखने को मिल रही है. एक समय पश्चिमी यूपी में आरएलडी का बड़ा प्रभाव था, लेकिन मोदी लहर में आरएलडी को एक भी सीट नहीं मिली.  ऐसे में बीजेपी के साथ जाने में जयंत चौधरी अपना फायदा देख सकते हैं.  पश्चिमी यूपी का 7-8 प्रतिशत जाट समुदाय का वोट काफी अहम माना जाता है. 2019 के चुनाव में जाटलैंड की 7 सीटों पर बीजेपी को हार मिली थी.अगर आरएलडी बीजेपी के साथ आ जाती है तो बीजेपी के वोट शेयर पर भी पॉजिटिव असर पड़ने की संभावना है, फिलहाल औपचारिक रूप से कोई ऐलान नहीं किया गया, लेकिन आरएलडी के एनडीए में जानें की चर्चाएं तेज हैं.

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