सोमवार शाम लाल किला के पास हुए जोरदार विस्फोट ने सुरक्षा संस्थाओं और जनता के बीच कई सवाल खड़े कर दिए हैं. शुरुआती फॉरेंसिक जांच और जांच एजेंसियों की जानकारी के आधार पर दो मुख्य संभावनाओं RDX और अमोनियम नाइट्रेट पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. दोनों पदार्थों के इस्तेमाल और छोड़े जाने वाले निशान अलग होते हैं, इसलिए फॉरेंसिक सबूत ही तय करेंगे कि इस हमले में किस प्रकार का मैटेरियल इस्तेमाल हुआ था.
NIA के पूर्व महानिदेशक योगेश चंद्र मोदी ने NDTV डिजिटल ने इस परे मामले पर जानकारी दी. उन्होंने बताया कि फॉरेंसिक और सीन-ऑफ-इंसिडेंट के विश्लेषण से ही स्पष्टता आएगी.
RDX बनाम अमोनियम नाइट्रेट: फर्क क्या है?
RDX: प्लास्टिक/मिलिट्री-ग्रेड हाई-एक्टिव विस्फोटक माना जाता है. प्रति किलो यह अधिक ऊर्जा पैदा करता है और स्थानीय तौर पर तेज शॉकवेव और कटिंग प्रभाव देता है.
अमोनियम नाइट्रेट: दूसरी ओर अमोनियम नाइट्रेट (जो एक सामान्य उर्वरक है) अपने आप में अपेक्षाकृत स्थिर होता है, लेकिन ईंधन के साथ मिलकर (ANFO आदि) भारी मात्रा में विनाश कर सकता है. इसी कारण बड़े पैमाने पर अमोनियम-नाइट्रेट मिश्रण भी घनी आबादी में बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं.
पुलवामा में क्या इस्तेमाल हुआ था?
वाई.सी. मोदी ने कहा कि कुछ पिछली घटनाओं में Calcium Ammonium Nitrate के निशान मिले हैं. इसलिए जांच टीम यह देखेगी कि क्या लाल किला केस में भी किसी तरह का फर्टिलाइज़र आधारित मिश्रण इस्तेमाल हुआ. ऐसे मैटेरियल के ठोस फॉरेंसिक निशान मिट्टी, वाहन के टुकड़ों और रेसिड्यू सैंपलों में मिलते हैं.
जांच टीम के सामने मुख्य चुनौतियां
- विस्फोट के पैटर्न, फ्रैगमेंटेशन और क्रेटर प्रोफ़ाइल से अलग-अलग मटेरियल के संकेत मिलते हैं. इन्हें ठीक तरह से पढ़ना होगा.
- मलबे में nitramine जैसे रेसिड्यू RDX की ओर इशारा करते हैं, जबकि nitrate/fuel के निशान ANFO या उर्वरक-आधारित चार्ज की ओर इशारा करते हैं. इन्हें अलग करना जरूरी है.
- आपूर्ति चैन, वाहन की ओनरशिप और पिछली खरीद/तस्करी के रिकॉर्ड की पड़ताल भी जरूरी होगी.
पूर्व NIA प्रमुख ने फरीदाबाद से बरामद बताए जा रहे 360 किलो बारूद का जिक्र करते हुए कहा कि अगर यह मात्रा प्रमुख रूप से अमोनियम नाइट्रेट जैसी सामग्री की रही तो यह चिंता की बात होगी. उन्होंने यह भी कहा कि अमोनियम नाइट्रेट की बड़ी मात्राएं और थोड़ी मात्रा में RDX का मिश्रण भी बहुत बड़ा ब्लास्ट कर सकता है.
फॉरेंसिक एक्सपर्ट क्या तय करेंगे
फॉरेंसिक विशेषज्ञ रासायनिक सैंपल और मलबे के विश्लेषण से तय करेंगे कि किस तरह का विस्फोटक प्रयोग हुआ. यही निष्कर्ष आगे की जांच-दिशा, स्रोत-ट्रेसिंग और कानूनी कार्रवाई तय करेगा.
वाई.सी. मोदी ने कहा कि आम लोगों को जांच के संवेदनशील तकनीकी पहलुओं पर अनावश्यक अटकलें नहीं लगानी चाहिए. अफवाहों से बचें और यदि किसी संदिग्ध मटेरियल या गतिविधि का संदेह हो तो तुरंत पुलिस या सुरक्षा एजेंसियों को सूचित करें. भीड़-प्रबंधन और घटनास्थल की सुरक्षा अधिकारियों की जिम्मेदारी है. आम लोगों को तकनीकी स्पेसिफिकेशन साझा करने या प्रचारित करने से परहेज़ करना चाहिए.
लाल किला विस्फोट की फॉरेंसिक रिपोर्ट आने के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि घटना में किस तरह का बारूद इस्तेमाल हुआ. तब तक जांच एजेंसियां RDX और अमोनियम-नाइट्रेट दोनों संभावनाओं पर एक-साथ पड़ताल कर रही हैं और जनता से संयम व सतर्क रहने की अपील की गई है.














