वाराणसी की जिला अदालत ने वाराणसी में विश्वनाथ मंदिर परिसर के बगल में स्थित ज्ञानवापी परिसर (Gyanvapi ) में व्यास जी के तहखाने (Vyasji ka Tehkhana) में पूजा-अर्चना का आदेश दिया था, जिसका पालन आज करवाया गया. डीएम एस राजलिंगम ने मंदिर परिसर में क्या हुआ, इसके बाबत सिर्फ इतना ही कहा कि कोर्ट के आदेश का पालन करवा दिया गया है. ज्ञानवापी मामले में तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार ने दिसंबर 1993 में व्यास जी के तहखाने में पूजा पाठ बंद करवा दिया था. ऐसे में 30 साल बाद फिर पूजा शुरू हुई है.
सवाल ये भी है कि आखिर ये मसला शुरू कैसे हुआ
व्यासजी का तहखाना काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के भीतर ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिण में है. दरअसल, 1819 में तत्कालीन वाराणसी के मजिस्ट्रेट ने हिंदुओं को देने का आदेश दिया था. बताया जाता है कि 1819 में एक दंगा हुआ था, जिसको देखते हुए अंग्रेज़ी शासन ने हिन्दू-मुस्लिम के बीच विवाद शांत करने के लिए परिसर का ऊपरी हिस्से को मुस्लिमों को और निचले हिस्से में स्थित तहखाने को हिंदुओं को दे दिया. तब ज्ञानवापी के बगल में रह रहे व्यास परिवार को एक तहखाना पूजा-पाठ के लिए दिया गया था.
व्यास परिवार 1551 से यहां पूजा कर रहा था
व्यास परिवार 1551 से इस जगह लर पूजा कर रहा था लेकिन तहखाने का हिस्सा अंग्रेज़ी हुकूमत ने दिया. साल 1993 तक सोमनाथ व्यास का परिवार पूजा करता था. अयोध्या में बाबरी विध्वंस के बाद ज्ञानवापी की सुरक्षा के लिए घेराबंदी (ऊंची बाड़) की गई. इसी के भीतर व्यास जी का तहखाना भी आ गया है. मस्जिद के मेन गेट को छोड़कर कहीं से भी अंदर जाने का रास्ता नहीं था, जिसके बाद वहां पूजा नहीं हो पाई. पिछले साल जब ज्ञानवापी के सर्वे का आदेश हुआ था सोमनाथ व्यास जी के वंशज शैलेंद्र कुमार पाठक ने याचिका दायर की. उन्होंने याचिका में लिखा कि उनके पूर्वज बकायदा तहखाने में पूजा अर्चना करते थे. 1993 के तत्कालीन मुलायम सिंह यादव की सरकार के आदेश के बाद तहखाने को प्रदेश सरकार के आदेश पर लोहे की बैरिकेडिंग से घेर दिया गया. तब से पूजा -पाठ रोक दिया गया, परिवार को जाने नहीं दिया गया.
व्यास जी के तहखाने में आखिर क्या है!
व्यास जी का तहखाना क़रीब 20×20 फ़ीट यानी 400 स्क्वायर फ़ीट का है, इसकी ऊंचाई क़रीब 7 फीट है. तहखाने के अंदर शिव जी, गणेश जी, कुबेर जी, हनुमान जी और गंगा माता की सवारी मगरमच्छ की मूर्तियां हैं. एएसआई सर्वे के दौरान ये प्रतिमाएं वाराणसी ज़िला प्रशासन के अधीन रखी हुई थीं. इन मूर्तियों को ज़िला प्रशासन ने पूजा के लिए हिन्दू पक्ष को सौंप दिया.
व्यास जी के तहखाने की बैरिकेटिंग हटाकर लोहे का गेट लगवाया गया
व्यास परिवार के सदस्य जितेंद्र व्यास और आशुतोष व्यास ने एनडीटीवी को बताया कि सुबह करीब ढाई बजे पूजा शुरू हुई और लगभग सवा तीन तक चली। वादी पक्ष के लोग और वाराणसी प्रशासन के अधिकारी तहखाना खुलने के वक्त मौके पर मौजूद थे. रात में ही तहखाने की बैरिकेटिंग को हटाकर लोहे का गेट लगा दिया गया है. काशी विश्वनाथ मंदिर में नंदी इसी तहखाने के सामने हैं. व्यास परिवार दावा करता है कि उनके पास सभी साक्ष्य हैं और वो मुस्लिम पक्ष से अपील करते हैं जो सबूतों के आधार पर मुस्लिम पक्ष को मस्ज़िद का विवादित ढांचा हिंदुओं को सौंप देना चाहिए.