NEET-UG विवाद क्या है? क्यों हो रहा इस परीक्षा के नतीजों का विरोध, जानिए इसके बारे में सब कुछ

मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी के नतीजों को लेकर शुरू हुआ विवाद बढ़ता जा रहा है, इसको लेकर राजनीतिक बहस भी जारी है.

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NEET-UG परीक्षा के नतीजों का देश भर में विरोध हो रहा है.
नई दिल्ली:

मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी (Medical entrance exam NEET-UG) कई गड़बड़ियों के आरोपों के कारण विवाद का केंद्र बन गई है. इस परीक्षा में 24 लाख से अधिक परीक्षार्थी शामिल हुए हैं. इस विवाद के चलते पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और राजनीतिक विवाद जारी है. 

मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी को लेकर विवाद क्यों हो रहा है? इस मामले में अब तक का घटनाक्रम यह है:

परीक्षा के नतीजों में कथित गड़बड़ियां
नीट-यूजी में बहुत अधिक नंबर दिए जाने के आरोप लगे हैं, जिसके कारण रिकॉर्ड 67 उम्मीदवारों ने परफेक्ट स्कोर के साथ टॉप  रैंक हासिल की है. पिछले साल टॉप रैंक पर दो छात्र आए थे. छात्रों का आरोप है कि कई उम्मीदवारों के अंकों को बेतरतीब ढंग से घटाया या बढ़ाया गया है, जिससे उनकी रैंक प्रभावित हुई है. छह केंद्रों पर परीक्षा में देरी के कारण समय की बर्बादी की भरपाई के लिए 1,500 से अधिक छात्रों को दिए गए ग्रेस मार्क्स भी जांच के दायरे में हैं.

नीट-यूजी में पेपर लीक होने के भी आरोप लगे हैं. बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने पिछले महीने कहा था कि उसे जांच से पता चला है कि 5 मई की परीक्षा से पहले लगभग 35 उम्मीदवारों को नीट-यूजी के प्रश्नपत्र और उत्तर उपलब्ध कराए गए थे. इस मामले में अब तक 13 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है.

परीक्षार्थियों को ग्रेस मार्क्स क्यों दिए गए?
मेघालय, हरियाणा, छत्तीसगढ़, सूरत और चंडीगढ़ के कम से कम छह केंद्रों के छात्रों ने परीक्षा के दौरान समय बर्बाद होने की शिकायत की थी. इन स्थानों पर छात्रों को प्रशासनिक कारणों, जैसे कि गलत प्रश्न पत्र का वितरण, फटी हुई ओएमआर शीट या ओएमआर शीट के वितरण में देरी के कारण प्रश्नपत्र हल करने के लिए पूरे तीन घंटे 20 मिनट का समय नहीं मिला.

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) द्वारा गठित एक समिति ने इस मामले की जांच की और उम्मीदवारों की समय की बर्बादी की शिकायत को लेकर 2018 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किए गए फॉर्मूले का उपयोग करने का फैसला किया. समय के नुकसान का पता लगाया गया और ऐसे उम्मीदवारों को ग्रेस मार्क्स दिए गए.

आरोपों पर एनटीए का रुख
एनटीए ने कहा है कि परीक्षा की पवित्रता से समझौता नहीं किया गया है. उसने कहा है कि टॉप स्कोरर की संख्या में बढ़ोत्तरी के पीछे इस परीक्षा  में प्रतिस्पर्धा बढ़ना और प्रदर्शन मानकों में वृद्धि होना है. अधिकारियों के अनुसार, 1,563 उम्मीदवारों को ग्रेस मार्क्स दिए गए हैं.

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सुप्रीम कोर्ट की ओर से स्वीकृत फॉर्मूले के मुताबिक समय के नुकसान की भरपाई की जाएगी. परीक्षा में 720 में से 720 अंक पाने वाले 67 उम्मीदवारों में से 44 को भौतिकी की एक उत्तर कुंजी में संशोधन के कारण और छह को समय के नुकसान के कारण कम्पन्सेटरी मार्क्स मिले हैं. इस एडजेस्टमेंट का उद्देश्य एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में विसंगतियों को दूर करना था, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उम्मीदवारों को तथ्यात्मक विसंगतियों के कारण कोई नुकसान न हो.

नीट-यूजी में अनुचित साधनों का उपयोग करने वाले 63 छात्रों के मामले सामने आए हैं, जिनमें से 23 को अलग-अलग अवधि के लिए परीक्षा से वंचित कर दिया गया है.

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शिक्षा मंत्रालय का रुख
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने छात्रों को दिए जाने वाले ग्रेस मार्क्स की समीक्षा के लिए पूर्व यूपीएससी अध्यक्ष की अध्यक्षता में चार सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल का गठन किया है. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि पेपर लीक होने का कोई सबूत नहीं है और एनटीए में भ्रष्टाचार के दावे निराधार हैं.

परीक्षा परिणामों पर राजनीतिक विवाद
कांग्रेस ने नीट परीक्षा की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की है. उसने कहा है कि इस मामले को लेकर देश में जो गुस्सा है, उसकी गूंज "संसद में भी सुनाई देगी."

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शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने एनटीए का बचाव करने के लिए शिक्षा मंत्री की आलोचना की है और दावा किया है कि बिहार पुलिस की जांच में पेपर लीक होने का पता चला है. महाराष्ट्र सरकार ने परीक्षा को तत्काल रद्द करने की मांग की है और आरोप लगाया है कि इस परीक्षा में राज्य के छात्रों के साथ अन्याय हुआ है.

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा है कि नीट के परिणामों से एक बार फिर परीक्षा का विरोध करने का डीएम का रुख सही साबित हुआ है. उसने दोहराया है कि प्रवेश परीक्षा सामाजिक न्याय और संघवाद के खिलाफ है. आम आदमी पार्टी (आप) और टीएमसी ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच की मांग की है.

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सुप्रीम कोर्ट ने ग्रेस मार्क्स देने का फैसला रद्द किया
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नीट-यूजी 2024 की पवित्रता प्रभावित हुई है. उसने एडमीशन के लिए काउंसलिंग प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. एनटीए विशेषज्ञ पैनल ने कोर्ट को बताया है कि एमबीबीएस (MBBS), बीडीएस (BDS) और अन्य पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए 1,563 उम्मीदवारों को ग्रेस मार्क्स देने का फैसला रद्द कर दिया गया है. उन्हें 23 जून को फिर से परीक्षा देने का विकल्प दिया जाएगा.

कोर्ट ने कहा है कि अगर उम्मीदवार फिर से परीक्षा नहीं देना चाहते हैं तो उनके पहले के अंक, ग्रेस मार्क्स घटाकर परिणाम दिए जाएंगे. फिर से होने वाली परीक्षा के परिणाम 30 जून को घोषित किए जाएंगे तथा एमबीबीएस, बीडीएस एवं अन्य पाठ्यक्रमों में एडमीशन के लिए काउंसलिंग 6 जुलाई से शुरू होगी.

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