Rajnath Li Shangfu Meeting: राजनाथ सिंह की चीनी रक्षा मंत्री ली शांगफू से मुलाकात के क्‍या हैं मायने

भारत और चीन के बीच जून 2020 में गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी तनाव उत्पन्न हो गया था. लगातार सैन्य और कूटनीतिक वार्ता के परिणामस्वरूप, दोनों पक्षों ने पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण किनारे तथा गोगरा क्षेत्र में सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पूरी कर ली है.

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पाकिस्तान को छोड़कर एससीओ के सभी सदस्य देशों के रक्षा मंत्री भारत आएंगे
नई दिल्‍ली:

भारत में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है, जिस पर दुनियाभर की निगाहें टिकी हुई हैं. इसमें चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू भी शामिल होने जा रहे हैं. भारत और चीन के बीच इस समय सीमा विवाद को लेकर जो दूरी बनी हुई है, वो किसी से छिपी नहीं है. यह बैठक मई 2020 से पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के मध्य तनावपूर्ण गतिरोध के बीच हो रही है. 2001 में स्थापित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में भारत के अलावा कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. सदस्य देशों के अलावा, दो पर्यवेक्षक देश- बेलारूस और ईरान भी एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग ले रहे हैं. राजनाथ और चीनी रक्षा मंत्री ली शांगफू की बैठक का एजेंडा क्‍या हो सकता है? इस मुलाकात के क्‍या मायने हैं? आइए समझने की करते हैं कोशिश...!

ये हो सकता है बैठक का एजेंडा
राजनाथ सिंह और चीनी रक्षा मंत्री ली शांगफू की बैठक से पहले भारतीय रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि एसीओ में क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा, आतंकवाद रोधी प्रयासों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा होगी. बयान में कहा गया कि 2023 में भारत की अध्यक्षता में समूह का विषय ‘सिक्योर एससीओ' है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और ली दिल्ली में एससीओ की बैठक से इतर द्विपक्षीय वार्ता कर सकते हैं. रक्षा मंत्री अन्य मुद्दों के अलावा क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा, एससीओ के भीतर आतंकवाद विरोधी प्रयासों और एक प्रभावी बहुपक्षवाद से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करेंगे. एससीओ सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता, आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने, सभी सदस्य देशों की समानता और उनमें से प्रत्येक की राय के लिए आपसी समझ तथा सम्मान के सिद्धांतों के आधार पर अपनी नीति का पालन करता है."

भारत और चीन के बीच बन रही है बात... 
चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के करीबी सहयोगी माने-जाने वाले जनरल ली की भारत यात्रा को महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि यह मई 2020 से पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के मध्य तनावपूर्ण गतिरोध के बीच हो रही है. चीन के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "बैठक के दौरान, जनरल ली सम्मेलन को संबोधित करेंगे और अंतरराष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय हालात के साथ-साथ रक्षा और सुरक्षा सहयोग के मुद्दों पर संवाद करने एवं विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए संबंधित देशों के प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुखों से मिलेंगे. जनरल ली के रक्षा मंत्री सिंह के साथ द्विपक्षीय बैठक करने और गतिरोध को हल करने के लिए सैन्य तथा कूटनीतिक वार्ता की प्रगति पर चर्चा करने की संभावना है. जनरल ली के दौरे से पहले, चीनी रक्षा मंत्रालय ने 23 अप्रैल को चुशूल-मोल्दो सीमा स्थल पर आयोजित चीन-भारत कोर कमांडर स्तरीय बैठक के 18वें दौर के बारे में सकारात्मक बात की.

पाकिस्‍तान के रक्षा मंत्री नहीं आए भारत...!
एससीओ के सदस्य देशों में भारत के अलावा कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। सदस्य देशों के अलावा, दो पर्यवेक्षक देश बेलारूस और ईरान भी एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लेंगे. सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तानी रक्षा मंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बैठक में शामिल हो सकते हैं.

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