प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में शिवसेना के नेता और सांसद संजय राउत के आवास पर रविवार को छापेमारी की. बताया गया है कि ईडी ने राउत के खिलाफ कई समन जारी किए थे, उन्हें 27 जुलाई को भी तलब किया गया था. लेकिन वे ईडी के सामने पेश नहीं हुए. हालांकि, इस मामले में ईडी ने उनसे एक बार करीब 10 घंटे पूछताछ की थी. राउत को मुंबई की पतरा चॉल के पुनर्विकास और उनकी पत्नी एवं अन्य ‘सहयोगियों' की संलिप्तता वाले लेन-देन में कथित अनियमितताओं से जुड़े धनशोधन के मामले में ईडी ने तलब किया था.
क्या है पतरा चॉल जमीन घोटाला?
ईडी के मुताबिक, पतरा चॉल के 672 परिवारों के पुनर्वास के लिए सोसाइटी, म्हाडा और गुरू आशीष कंस्ट्रक्शन कंपनी के बीच एक करार हुआ था. गुरु आशीष कंपनी के डायरेक्टर HDIL के राकेश वाधवान, सारंग वाधवान और प्रवीण राउत थे. कंपनी पर आरोप है कि म्हाडा को गुमराह कर वहां की FSI पहले तो 9 दूसरे बिल्डरों को बेच कर 901 करोड़ जमा किए. फिर मिडोज नाम से एक नया प्रोजेक्ट शुरु कर 138 करोड़ रुपए फ्लैट बुकिंग के नाम पर वसूले. और 672 असली किरायेदारों को उनका मकान नहीं दिया. इस तरह इस कंपनी ने 1039.79 करोड़ बनाए.
ईडी का आरोप है कि HDIL ने गुरु आशीष कंपनी के डायरेक्टर प्रवीण राउत को 100 करोड़ रुपए दिए, जिसमें से प्रवीण राउत ने 55 लाख रुपए संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत जो कि मनी लॉन्ड्रिंग का हिस्सा है.
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यह चॉल मुंबई के गोरेगांव पश्चिम में सिद्धार्थ नगर में अंग्रेजों के जमाने में बनी मिलिट्री की बैरक थी. यहां रह रहे 672 परिवार को बिल्डर ने अच्छा मकान देने का वादा किया था, लेकिन मकान किसी को नहीं मिला. वहां से हटाए गए लोग अभी भी किराए के घरों में रहने को मजबूर हैं.
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क्या बोले संजय राउत?
संजय राउत ने कुछ भी गलत करने से इनकार किया है और आरोप लगाया है कि उन्हें राजनीतिक प्रतिशोध के लिए निशाना बनाया जा रहा है. उन्होंने ईडी की कार्रवाई के कुछ ही देर बाद ट्वीट किया, ‘मैं दिवंगत बालासाहेब ठाकरे की सौगंध खाता हूं कि मेरा किसी घोटाले से कोई संबंध नहीं है. मैं मर जाऊंगा, लेकिन शवसेना को नहीं छोडूंगा.'