Explainer: क्‍या होता है नोटिस पीरियड... नहीं किया सर्व तो कंपनी उठा सकती है ये कदम, HDFC ने घटाया समय

नोटिस पीरियड वह समय होता है, जो कंपनी से इस्‍तीफा देने के बाद कर्मचारी को बिताना होता है. किसी कंपनी में नौकरी ज्वाइन करते हैं, तो आपसे कई पन्नों का एक कॉन्ट्रैक्ट साइन कराया जाता है. इसी में नोटिस पीरियड का भी जिक्र होता है, जिसमें कंपनी ने साफ लिखा होता है कि आपको कितने महीने या दिनों का नोटिस पीरियड देना होगा.

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किस बैंक में कितना नोटिस पीरियड...
नई दिल्‍ली:

एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) में काम करने वाले कर्मचारियों को अब नौकरी छोड़ने के बाद 90 दिनों का नोटिस पीरियर देने की जरूरत नहीं पड़ेगी. नोटिस पीरियड को लेकर एचडीएफसी बैंक ने नियमों में बदलाव कर दिया है. कंपनी छोड़ने वाले कर्मचारियों को अब 90 दिनों के बजाय सिर्फ 30 दिनों का ही नोटिस (HDFC Bank Cuts Notice Period) देना होगा. नोटिस पीरियड क्‍या होता है? आखिर, एचडीएफसी बैंक ने नोटिस पीरियड घटाने का निर्णय क्‍यों लिया. नोटिस पीरियड पूरा न करने के क्‍या होते हैं नुकसान...?

क्या होता है नोटिस पीरियड?

नोटिस पीरियड वह समय होता है, जो कंपनी से इस्‍तीफा देने के बाद कर्मचारी को बिताना होता है. किसी कंपनी में नौकरी ज्वाइन करते हैं, तो आपसे कई पन्नों का एक कॉन्ट्रैक्ट साइन कराया जाता है. इसी में नोटिस पीरियड का भी जिक्र होता है, जिसमें कंपनी ने साफ लिखा होता है कि आपको कितने महीने या दिनों का नोटिस पीरियड देना होगा. कंपनी का तर्क होता है कि वो इस पीरियड में नई हायरिंग करेंगे और आपकी जगह किसी दूसरे को ज्वाइन कराएंगे. कई कंपनियों में तीन महीने तक का नोटिस पीरियड होता है, ऐसे में सामने वाली कंपनी ज्वाइनिंग के लिए इतना वक्त नहीं देती तो एंप्लॉई पर दोनों तरफ से दबाव होता है. नोटिस पीरियड एक महीने से लेकर तीन महीने तक का हो सकता है. 

एचडीएफसी बैंक के एक सीनियर अधिकारी ने फाइनेंशियल टाइम्स को बताया, "नीति में इस बदलाव का मकसद सुचारू बदलाव सुनिश्चित करते हुए कर्मचारियों को ज्यादा लचीलापन देना है." 

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किस बैंक में कितना नोटिस पीरियड

  • एचडीएफसी बैंक - 30 दिन का नोटिस पीरियड
  • आईसीआईसीआई - 30 दिन का नोटिस पीरियड
  • भारतीय स्टेट बैंक - 90 दिन का नोटिस पीरियड
  • पंजाब नेशनल बैंक - 90 दिन का नोटिस पीरियड
  • बैंक ऑफ बड़ौदा - 90 दिन का नोटिस पीरियड
  • महिंद्रा बैंक - 90 दिन का नोटिस पीरियड

नोटिस पीरियड सर्व न करने पर क्‍या कर सकती है कंपनी

कई बार कर्मचारी के सामने ऐसा समय आता है, जब वह इस्‍तीफा देने के बाद नोटिस पीरियड सर्व करने की स्थिति में नहीं होता है. उस पर तुरंत कहीं दूसरी जगह ज्‍वॉइन करने का प्रेशर होता है. हालांकि, इसके कई नुकसान भी उठाने पड़ते हैं. दरअसल, कंपनी अपने हर कर्मचारी के साथ एक कॉन्‍ट्रैक्‍ट करती है, जिसमें नोटिस पीरियड को लेकर भी नियम लिखे होते हैं. अगर नोटिस पीरियड सर्व नहीं किया जाता, तो कंपनी कानूनी कदम भी उठाती है. कई बार कर्मचारी को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है. वहीं, रिलीविंग लेटर में भी कर्मचारी के व्‍यवहार पर सवाल उठाए जाते हैं. हालांकि, कोई भी कंपनी जबरन किसी कर्मचारी से नोटिस पीरियड सर्व नहीं करवा सकती है. कई कंपनियों में इसके बदले छुट्टी एडजस्ट हो जाती हैं. वहीं, कुछ कंपनियां पैसे लेकर नोटिस पीरियड माफ कर सकती हैं. 

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नोटिस पीरियड का समय...

आमतौर पर नोटिस पीरियड का कोई तय समय नहीं होता है. इसके लिए हर कंपनी की अलग-अलग पॉलिसी होती है. आमतौर पर कंपनियां अस्थायी कर्मचारियों को जॉब छोड़ने की स्थिति में 15 दिन की अवधि से 1 महीने का नोटिस पीरियड सर्व करना जरूरी होता है, जबकि स्थायी कर्मचारियों के लिए नोटिस पीरियड की अवधि 2 से 3 महीने की होती है.

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