क्या होता है मल्टीपल मायलोमा यानी एक प्रकार का ब्लड कैंसर...

अनुपम खेर की पत्नी किरण खेर मल्टीपल मायलोमा से पीड़ित हैं. आइये जानते हैं कि ये बीमारी क्या होती है और इसके लक्षण क्या हैं?

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अनुपम खेर की पत्नी किरण खेर हैं मल्टीपल मायलोमा यानी एक प्रकार के ब्लड कैंसर से पीड़ित

बॉलीवुड एक्ट्रेस और बीजेपी सांसद किरण (Kirron Kher) खेर ब्लड कैंसर से पीड़ित है. इसकी पुष्टि उनके पति और अभिनेता अनुपम खेर ने ट्वीट के जरिए की. उन्होंने लिखा कि वह अपना इलाज मुंबई में ही करवा रही हैं और वह इस बीमारी से मजबूत बनकर ही उबरेंगी. उन्होंने फैंस से अनुरोध भी किया कि वह किरण के लिए दुआएं करें ताकि वह जल्दी से ठीक हो जाएं. उन्होंने लिखा कि अफवाहें फैलने से पहले मैं और सिकंदर आपको बताना चाहते हैं कि किरण खेर को मल्टीपल मायलोमा (Multiple Myeloma) है. ये एक तरह का ब्लड कैंसर है. उनका इलाज चल रहा है. हमें उम्मीद है कि वह पहले से ज्यादा मजबूती से उबरकर सामने आएँगी. हमारी खुशकिस्मती है कि उनका इलाज बेहतरीन डॉक्टर कर रहे हैं. वह एक फाइटर हैं और हमेशा मजबूती से लड़ती हैं.

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किरण खेर मल्टीपल मायलोमा हुआ है, जो कि एक किस्म का ब्लड कैंसर ही है, आइये जानते है ये क्या होता है?
मल्टीपल मायलोमा एक तरह का ब्लड कैंसर है जो कि व्हाइट ब्लड सेल्स में बनता है, जिसे प्लाज्मा कोशिका कहा जाता है. बोन मैरो में प्लाज्मा कोशिकाएं एंटीबॉडी बनाती हैं. ये ऐसे प्रोटीन हैं, जो आपके शरीर को बीमारियों और संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं. हेल्दी प्लाज्मा कोशिकाएं कीटाणुओं को पहचानने और कीटाणुओं पर हमला करने, संक्रमण से लड़ने में आपकी मदद करती हैं. मायलोमा में कैंसरग्रस्त प्लाज्मा कोशिकाएं बोन मैरो में जमा होती हैं और हेल्दी ब्लड कोशिकाओं को बाहर निकालती हैं. सहायक एंटीबॉडी का उत्पादन करने के बजाय, कैंसर कोशिकाएं असामान्य प्रोटीन का उत्पादन करती हैं, जो जटिलताओं का कारण बन सकती हैं.  


मल्टीपल मायलोमा के लक्षण जानें
1.इसके लक्षण और संकेत अलग अलग हो सकते हैं. कई बार बीमारी को शुरू में पहचाना मुश्किल हो जाता है.
2.इसमें हड्डी  में दर्द (खासकर रीढ़ और छाती), जी मिचलाना, कब्ज, भूख न लगना, मानसिक उतावलापन,थकान लगना, 3.बार-बार इन्फेक्शन, वजन घटना, पैरों मेंकमजोरी या फिर उनका सुन्न पड़ जाना और खूब प्यास लगना. 

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आइए जानते हैं इस बीमारी के कारण
- मल्टीपल मायलोमा का कोई सटीक कारण नहीं है. ये एक असामान्य प्लाज्मा सेल के साथ शुरू होता है. मायलोमा कोशिकाओं का एक सामान्य चक्र नहीं होता.
- मरने के बजाय वे अनिश्चितकाल तक अलग अलग रहते हैं. ये शरीर को प्रभावित कर सकता है और स्वस्थ कोशिकाओं को पैदा होने से रोकता है. 
- इस जोखिम उम्र बढ़ने के साथ अधिक होता है. यह अधिकतर 60 के दशक में होता है.
- महिलाओं की तुलना में पुरुषों में इस बीमारी के विकसित होने की संभावना अधिक बताई जाती है. 
- अगर भाई, बहन या माता-पिता को मल्टीपल मायलोमा है तो आपको इसका खतरा और बढ़ जाता है.

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कैसे होता है इलाज
मल्टीपल मायोलोमा में खून में व्हाइट ब्लड सेल्स में विकार आ जाता है. इसमें कैंसर सेल्स बोन मैरो में जमाहोने लगते हैं और सामान्य कोशिकाओं को प्रभावित करने लगता है.  इसमें दवाओं के सााथ-साथ कीमोथैरेपी भी दी जा सकती है. यह पूरी तरह से डॉक्टर पर निर्भर करता है कि वह मरीज की स्थिति और कैंसर की स्टेज को देखते हुए रेडिएशन थैरेपी, ट्रांसप्लांट या सर्जरी को चुने. 

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