Motor Vehicle Act Explainer: बच्चों को भूलकर न देना गाड़ी की चाबी, कर दिया एक्सीडेंट तो मम्मी-पापा काटेंगे 3 साल की जेल

सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ रोहित बलूजा का कहना है, "अगर वाहन हादसे (Road Accident) का शिकार हो जाता है, तो इसकी जिम्मेदारी ऑटोमेटिकली मालिक की होनी चाहिए, जिसने नाबालिग को उसे चलाने की अनुमति दी है."

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बच्चों को कार की चाबी देने से पहले मोटर व्हीकल एक्ट के बारे में जानें.
नई दिल्ली:

अब अपने नाबालिक बच्चों के हाथ में गाड़ी की चाबी देना आपके जी का जंजाल बन सकता है. क्योंकि उनके वाहन से कोई भी अप्रिय घटना होती है, तो इसकी जिम्मेदारी आपकी होगी.आपको अपने बच्चे की गलती के लिए न सिर्फ जुर्माना भरना पड़ सकता है, बल्कि जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है. इसीलिए वाहन की चाबियां जरा संभाल कर रखें और सोच समझकर बच्चों को इस तरह की छूट दें, क्योंकि मोटर व्हीकल एक्ट (Motor Vehicle Act) के नियम बहुत ही कड़े हैं, जिससे आप बच नहीं पाएंगे. पुणे में एक लग्जरी पोर्शे कार से नाबालिग से हुए एक्सीडेंट (Pune Accident) मामले ने एक बार फिर से इस तरह की घटना होने पर माता-पिता, अभिभावकों या वाहन मालिक की जवाबदेही को सुर्खियों में ला दिया है. नाबालिक की महंगी लग्जरी कार से दो लोगों की मौत हो गई, इस मामले में भले ही फिलहाल उसे जमानत मिल गई हो. लेकिन उसके बिल्डर पिता को गिरफ्तार कर लिया गया है. 

क्या कहता है मोटर व्हीकल एक्ट ?

दरअसल, मोटर व्हीकल एक्ट में नाबालिग अपराधियों के लिए एक अलग धारा है. इसमें साफ लिखा है कि इस तरह के मामलों में अभिभावक या फिर वाहन मालिकों को दोषी माना जाएगा. ऐसे मामलों में उनको तीन साल तक की जेल की सजा दी जाएगी. साथ ही 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया जाएगा. मोटर व्हीकल एक्ट में इस प्रावधान को नाबालिग बच्चों के वाहन चलाने के बढ़ते मामलों को देखते हुए शामिल किया गया था. इसमें कहा गया है, अगर माता-पिता, अभिभावक या मालिक यह साबित कर पाएंगे कि अपराध उनकी जानकारी के बिना हुआ. या फिर ऐसे अपराध को रोकने के लिए उन्होंने सभी उचित काम कदम उठाए थे, तब ही उनको इस तरह के क्राइम के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है. कानून में इस बात का जिक्र है कि ऐसे मामलों की सुनवाई करने वाली अदालत यह मान लेगी कि नाबालिग वाहन का इस्तेमाल  अभिभावक या मालिक की सहमति से किया है. 

बच्चे ने किया एक्सीडेंट, आपको मिलेगी सजा

मोटर व्हीकल एक्ट के मुताबिक, किसी भी दुर्घटना या अपराध में शामिल नाबालिगों द्वारा इस्तेमाल किए गए वाहनों का रजिस्ट्रेशन भी एक साल के लिए रद्द कर दिया जाएगा. इस एक्ट में पर्याप्त प्रावधान हैं, जिससे मोटर व्हीकल का मालिक ही वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं होने वाले व्यक्ति को वाहन देने के लिए जिम्मेदार होगा.

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सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ रोहित बलूजा का कहना है, "अगर वाहन हादसे का शिकार हो जाता है, तो इसकी जिम्मेदारी ऑटोमेटिकली मालिक की होनी चाहिए, जिसने नाबालिग को उसे चलाने की अनुमति दी है."

आठ साल पहले दिल्ली में एक नाबालिग को तेज रफ्तार मर्सिडीज से कुचलने वाले सिद्धार्थ शर्मा की बहन शिल्पा मित्ता का कहना है कि ऐसे मामलों में माता-पिता या अभिभावकों, अधिकारियों समेत कई लोग अपराध में शामिल होते हैं. उन्होंने कहा, "हम पिछले आठ साल से अपने भाई का केस लड़ रहे हैं और अब तक कोई प्रभावी सुनवाई नहीं हुई है. यह ख़तरा इसलिए है क्योंकि ज़्यादातर रईस सोचते हैं कि वे पैसा देकर सब कुछ खरीद सकते हैं.

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बेटे ने पोर्शे से रौंदकर ली 2 की जान, पिता गिरफ्तार

बता दें कि रविवार की रात को पुणे के एक बिल्डर के शराब के नशे में धुत नाबालिग बेटे ने लग्जरी पोर्शे कार से सड़क पर जा रही एक बाइक को रौंद दिया था. इस घटना में बाइक सवार अनीश और अश्विनी की मौत हो गई, दोनों मृतक मध्य प्रदेश के रहने वाले थे और पेशे से आईटी इंजीनियर थे. वहीं इस मामले में महज 15 घंटे के भीतर जुबेनाइल कोर्ट ने आरोपी को 300 शब्दों का निबंध लिखवाकर और ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करने समेत कुछ अन्य शर्तों के साथ जमानत दे दी थी.

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इसके बाद ये सवाल उठने लगे कि क्या आरोपी को जमानत मिलना सही है. हालांकि पुलिस अब इस मामले में सख्त सजा की मांग कर रही है. उसने सेशन कोर्ट में इसके लिए एक याचिका भी दायर की है. वहीं नाबालिग के पिता को भी गिरफ्तार कर लिया गया है. दरअसल लड़के ने भी ये माना था कि वह शराब के नशे में गाड़ी चला रहा था. वहीं मोटर व्हीकल एक्ट के नियम भी काफी कड़े हैं. तो बच्चों के हाथ में वाहन देने से पहले संभल जाएं, वरना सलाखों के पीछे जाना पड़ सकता है.  

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