50 ग्राम की कीमत 850 करोड़, बिहार में पकड़ा गया 'कैलिफोर्नियम' है क्या?

Californium: कैलिफोर्नियम धातु 900 डिग्री सेल्सियस के करीब टेंपरेचर पर पिघलती है. प्‍योर रूप में यह धातु इतनी मुलायम होती है कि इसको बहुत ही आसानी से काटा जा सकता है. रूम टेंपरेचर पर यह बहुत ही कठोर हो जाती है, इसके बारे में डिटेल में जानिए.

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'कैलिफोर्नियम' के बारे में जानिए.
दिल्ली:

बिहार के गोपालगंज जिले से करोड़ों रुपये की कीमत का कैलिफोर्नियम (What Is Californium) बरामद किया गया है. इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है. एक टिप के आधार पर पुलिस ने गुरुवार को छापेमारी कर 50 ग्राम कैलिफोर्नियम (Bihar Californium Seized) के साथ तीन लोगों को धर दबोचा. बाजार में इसकी कीमत 850 करोड़ रुपए बताई जा रही है. पुलिस ने इस कैलिफोर्नियम की जांच के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञों को भी बुलाया है. सीनियर पुलिस अधिकारी ने बताया कि कैलिफोर्नियम का इस्तेमाल कहां-कहां किया जाता है. जब से इस बहुमूल्य रेडियोएक्टिव पदार्थ की जब्ती की खबर सामने आई है, तब से ज्यादातर लोग ये जानना चाहते होंगे कि आखिर कैलिफोर्नियम होता क्या है. इसके बारे में आगे डीटेल में जानिए.

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क्या होता है कैलिफ़ोर्नियम?

  • कैलिफ़ोर्नियम एक सिंथेटिक रेडियोधर्मी पदार्थ है.
  • इसे पहली बार 1950 में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, बर्कले की एक टीम ने सिंथेसिस किया था.
  • इस पदार्थ का नाम अमेरिकी राज्य कैलिफोर्निया और उस यूनिवर्सिटी के नाम पर रखा गया, जहां पर इसकी खोज की गई थी.
  • कैलिफ़ोर्नियम पीरियोडिक टेबल में एक्टिनाइड सीरीज का सदस्य है.
  • यह कोई प्राकृतिक पदार्थ नहीं है, इसे परमाणु प्रतिक्रियाओं के जरिए उत्पन्न किया जाता है.
  • इसे विशेष रूप से हीलियम आयनों के साथ क्यूरियम पर बौछार करके बनाया जाता है.
  • यह धातु देखने में चांदी जैसी चमकीली होता है. यह धातु 900 डिग्री सेल्सियस के करीब टेंपरेचर पर पिघलती है.
  • प्‍योर रूप में कैलिफ़ोर्नियम धातु इतनी मुलायम होती है कि इसको बहुत ही आसानी से काटा जा सकता है.
  • रूम टेंपरेचर पर यह बहुत ही कठोर हो जाता है.  
  • इसके सारे आइसोटेप्‍स रेडियोऐक्टिव होते हैं. सबसे ज्यादा स्थिर आइसोटोप Cf-251 की अर्द्ध-आयु करीब 800 साल की होती है.

कैलिफ़ोर्नियम बनता कैसे है? 

कैलिफोर्नियम का इस्तेमाल न्यूक्लीयर रिएक्टर से न्यूक्लीयर पावर के उत्पादन के साथ ही कई गंभीर ब्रेन कैंसर जैसी बीमारियों को ठीक करने में किया जाता है. परमाणु रिएक्टर को चालू करने, कोयला बिजली संयंत्रों को अनुकूलतम बनाने, कैंसर के इलाज और जमीन से तेल निकालने के लिए भी इसे यूज किया जाता है. कैलिफ़ोर्नियम को लैब में बनाया जाता है. वैज्ञानिक एक बार में इसको थोड़ी मात्रा में ही बना सकते हैं. यही वजह है कि इसकी कीमत बहुत ज्यादा होती है. इसका परमाणु संख्या 98 है.

कहां होता है कैलिफ़ोर्नियम का इस्तेमाल?

कैलिफोर्नियम न्यूट्रॉन का एक बहुत अच्छा सोर्स है. इसका यही गुण इसे परमाणु ऊर्जा संयंत्र में न्यूट्रॉन स्टार्टअप सोर्स के रूप में उपयोगी बनाता है.  इसका न्यूट्रॉन सक्रियण विश्लेषण का इस्तेमाल कर सेंपल्स में ट्रेस तत्वों का पता भी लगा सकता है. कैलिफोर्नियम के न्यूट्रॉन प्रवेश गुण का इस्तेमाल ईंधन छड़, न्यूट्रॉन रेडियोग्राफी और पोर्टेबल मेटल डिटेक्टर जैसी कुछ जांच के लिए भी किया जाता है. ब्रेन और सर्वाइकल कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज में भी किया जाता है. 

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कैलिफ़ोर्नियम के गुणों के बारे में जानिए

कैलिफ़ोर्नियम तत्व सामान्य दबाव पर दो रूपों में मौजूद होता है. उच्च दबाव पर इसका तीसरा रूप उपलब्ध होता है. यह हवा के संपर्क में आने पर धीरे-धीरे गायब होने लगता है. इसे स्टीम और एसिड की मदद से आसानी से प्रभावित किया जा सकता है. कैलिफ़ोर्नियम पानी में भी स्थिर रहता है. इसे ऑक्सीकृत या कम नहीं किया जा सकता. कैलिफोर्नियम 252 न्यूट्रॉन का मजबूत उत्सर्जक है. यह पदार्थ सबसे भारी एक्टिनाइड है, जिसके गुण बोरेट की तरह ही सहसंयोजक होते हैं. यह प्राकृतिक रूप से नहीं पाया जाता है. इसे लैब में बनाया जाता है. 

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हेल्थ के लिए कैसा है कैलिफोर्नियम?

कैलिफोर्नियम के तत्वों का बहुत ज्यादा रेडियोधर्मी होने की वजह से इसे हेल्थ के लिए खतरनाक माना जाता है. इसका अब तक कोई जैविक उपयोग नहीं पाया गया है. कैलिफोर्नियम देखने में जितना चमकदार होता है, इससे खतरा भी उतना ही ज्यादा है. यह प्राणियों के जेनेटिक पेटर्न और जेनेटिक ग्रुप को नुकसान पहुंचाता है. 

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