भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर में ट्रंप का क्या रोल? जयशंकर ने बता दी सच्चाई

क्या सीजफायर सहमति से हालात पहले जैसे हो गए हैं? इस सवाल के जवाब में एस जयशंकर (S Jaishankar) ने कहा, "हमने आतंकवादियों को साफ संकेत दे दिया है कि इस तरह के हमले करने की कीमत चुकानी होगी.

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भारत-पाक सीजफायर में अमेरिका की भूमिका पर एस जयशंकर.

नई दिल्ली:

भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम पर बनी सहमति का क्रेडिट अमेरिका शुरुआत (India-Pakistan Ceasefire) से ही लेता आ रहा है. ट्रंप बार-बार ही बात कह रहे हैं कि दोनों देशों के बीच उन्होंने ही मध्यस्थता की है, तभी शांति बन सकी है. हालांकि भारत उनकी बात से शुरुआत से ही सहमत नहीं है. अब विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) से पूछा गया कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम के लिए क्या अमेरिका को धन्यवाद दिया जान चाहिए. इस पर उन्होंने दो टूक कहा कि इसके लिए वह भारतीय सेना को धन्यवाद देंगे. सेना ने ही पाकिस्तान को यह कहने पर मजबूर कर दिया कि "हम संघर्ष विराम के लिए तैयार हैं".

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भारत-पाक सीजफायर में US का क्या रोल?

डॉ. जयशंकर ने यह बात जर्मन अखबार फ्रैंकफर्टर अलगेमाइन ज़ितुंग के साथ एक इंटरव्यू के दौरान कही. दरअसल उनसे  ये पूछा गया था कि क्या दुनिया को संघर्ष विराम के लिए अमेरिका को धन्यवाद देना चाहिए. जिस पर विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों पक्षों के सैन्य कमांडरों के बीच सीधे संपर्क के जरिए ही गोलीबारी बंद करने पर सहमति बनी थी. सहमति बनने से एक दिन पहले सेना ने पाक के मुख्य एयरबेस और एयर डफेंस सिस्टम को निशाना बनाकर उसे निष्क्रिय कर दिया था. तो इसीलिए वह भारतीय सेना को धन्यवाद देंगे. 

भारत-पाक के बीच कैसे बनी सीजफायर पर सहमति?

बता दें कि भारत-पाक के बीच 10 मई को बॉर्डर पर सीजफायर को लेकर सहमति बनी थी. भारत ने 7 मई को पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने के लिए पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ढांचे पर हवाई हमले किए थे. भारत ने साफ-साफ कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर का मकसद आतंकी ठिकानों को नष्ट करना था, लेकिन पाकिस्तान ने इसके बदले भारत के सैन्य प्रतिष्ठानों और नागरिक क्षेत्रों पर ड्रोन से हमले किए. जवाबी कार्रवाई में, भारत ने पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया, जिससे उसे भारी नुकसान हुआ. इसके तुरंत बाद, पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों ने अपने भारतीय समकक्षों से संपर्क किया और सीज फायर पर सहमति बन गई. 

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ट्रंप का क्रेडिट लेना कितना सही?

जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इसका क्रेडिट खुद ही लेते आ रहे हैं. इस्लामाबाद ने भी अमेरिका को धन्यवाद दिया है. जबकि नई दिल्ली का कहना है कि इसमें अमेरिका की भूमिका चिंता जताने तक ही सीमित थी. जयशंकर ने एक अन्य इंटरव्यू में ये भी बताया कि अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से बातचीत हुई थी. लेकिन दोनों ने सिर्फ चिंता ही जताई थी."

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क्या भारत-पाक के बीच हालात पहले जैसे?

क्या सीजफायर सहमति से हालात पहले जैसे हो गए हैं, इस सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा ,  "हमने आतंकवादियों को साफ संकेत दे दिया है कि इस तरह के हमले करने की कीमत चुकानी होगी. अप्रैल में पाकिस्तानी सेना ने कश्मीर में गोलीबारी की थी तब आत्मरक्षा में हमारी सेना ने भी जवाबी गोलीबारी की थी. जब पाक को समझ आया कि वह खतरनाक रास्ता अपना रहे हैं, तो इसे रोकने पर सहमति बन गई. 
 

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