हिंडनबर्ग केस (Hindenburg Case) की जांच के लिए बने सुप्रीम कोर्ट के एक्सपर्ट पैनल की रिपोर्ट शुक्रवार को सार्वजनिक कर दी गई. पैनल ने अदाणी ग्रुप (Adani Group) को क्लीन चिट देते हुए कहा कि अदाणी के शेयरों की कीमतों में कोई हेरफेर नहीं हुई थी. किसी भी नियमों का उल्लंघन नहीं हुआ था. शेयर प्राइस बढ़ने के बारे में मार्केट रेगुलेटरी सेबी (SEBI) पर जानकारी थी. NDTV ने इस पूरे मामले में कानून के जानकारों की राय जानी.
NDTV से बात करते हुए सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट रायन करंजावाला ने कहा, "अदाणी ग्रुप के लिए यह बहुत खुशी का दिन है. एक्सपर्ट कमेटी ने अदाणी ग्रुप को क्लीन चिट देते हुए ये कह दिया है कि इसे कोई नियम नहीं तोड़े." उन्होंने आगे कहा कि एक्सपर्ट कमेटी ने तीन विषयों पर गौर किया है. पहला- 25 फीसदी पब्लिक शेयर होल्डिंग. दूसरा- रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शन. तीसरा- स्टॉक प्राइस में हेरफेर. इन तीनों के कोई सबूत नहीं मिले हैं. इसलिए कमेटी ने अदाणी ग्रुप को क्लीन चिट दी है.
जनता का बढ़ेगा भरोसा - नितिन मेश्राम
सुप्रीम कोर्ट से अदाणी ग्रुप को मिली क्लीन चिट को लेकर SC के वरिष्ठ वकील नितिन मेश्राम ने कहा कि कमेटी ने जो रिपोर्ट फाइल की है उसमें कहा गया है कि शेयर मैनिपुलेशन नहीं हुआ है और किसी तरह का रेगुलेटरी फेल्योर भी नहीं हुआ है. अदाणी ग्रुप को मिली क्लीन चिट को लेकर देश में जिस तरह का हंगामा हो रहा था, उसमे कहा जा रहा था मार्केट मैनिपुलेशन और शेयर के दामों को बढ़ाया गया है.
अदाणी ग्रुप को जान बूझकर किया टारगेट- अश्वनी दुबे
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्वनी दुबे ने कहा कि हिंडनबर्ग की रिसर्च रिपोर्ट एक एजेंडा के तहत थी. बिना किसी निष्कर्ष के एक ग्रुप को डैमेज करने की कोशिश हुई. इससे बहुत सारे लोगों का पैसा डूब गया. हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर वकील अश्वनी दुबे ने कहा कि, ''आज यह साबित हुआ कि एजेंडा ड्रिवन एक्सरसाइज हुई. एक रिपोर्ट आती है, एक पन्ने की. वह रिपोर्ट तो सभी पढ़ते हैं लेकिन उसका जो रिप्लाई होता है 453 पन्ने का वह पढ़ने की कोई कोशिश नहीं करता.''
उन्होंने कहा कि, ''लेकिन इस बीच जो डैमेज करना था, बिना किसी निष्कर्ष के, बिना किसी जजमेंट के, बिना किसी कोर्ट के आर्डर के, वह डैमेज उस ग्रुप को कर दिया. अब उसकी रिकवरी कैसे होगी, वह एक अलग विषय है.''
सुप्रीम कोर्ट के वकील ने कहा कि, ''जब दो पहलुओं में जांच हो रही है, एक हमारी रेगुलेटरी बॉडी जांच कर रही है और एक एक्सपर्ट पैनल जांच कर रही है, उस पैनल की रिपोर्ट आने से पहले तक खास तौर पर हर एक व्यक्ति की जिम्मेदारी बनती है, चाहे वह जिम्मेदार व्यक्ति हो, चाहे वह राजनैतिक व्यक्ति हो या राजनैतिक पार्टी को सपोर्ट कर रहा हो, वह ऐसे आरोप नहीं लगाए जिससे इनवेस्टर्स का... यह इंडिवीजुअल का पैसा नहीं है, इसमें बहुत सारे इनवेस्टर्स का पैसा लगा है. एक अनर्गल बात से, एक झूठी बात से लोगों का पैसा डूब भी सकता है, वह कंपनी भी डूब सकती है, और तमाम लोगों का जो विश्वास, क्रेडेबिलिटी है इतने सालों में अर्न की है..खैर आज सुप्रीम कोर्ट में इस रिपोर्ट से साबित हुआ.''
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