Monsoon Dates L lगर्मी गुजरने के साथ ही नजरें टिक जाती हैं मानसून पर. मानसून प्लीज कम सून का तो जुमला ही फेमस हो चुका है. गर्मी से हलाकान हो रहे लोग शिद्दत से मानसून का इंतजार करते हैं. यही समय होता है जब अक्सर ये भी सुनने को मिलता है कि इस बार मानसून जल्दी आएगा. या, देर से आएगा. अक्सर ये आंकलन भी होता है कि मानसून इस बार कितना मजबूत होगा. बारिश कम होगी या ज्यादा. मानसून के बारे में इस तरह बात करते हुए क्या कभी आपने ये सोचा कि मानसून कितना जरूरी है. सिर्फ गर्मी से निजात दिलाने के लिए नहीं बल्कि अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है मानसून के देर से या जल्दी आने का असर.
क्या होता है मानसून
आम बोलचाल की भाषा में भारी बारिश वाले मौसम को मॉनसून कहते हैं. लेकिन वैज्ञानिकों ने मॉनसून को अलग ढंग से डिफाइन किया है. वैज्ञानिकों का फोकस बारिश पर न होकर हवाओं पर होता है. मॉनसून की साइंटिफिक डेफिनिशन है-मौसम बदलने से हवाओं का डायरेक्शन बदलना. और बारिश इन्हीं हवाओं के दिशा बदलने का परिणाम है. आपको बता दें कि मॉनसून अरबी शब्द मौसिम से लिया गया है.भारत में मानसून हिन्द महासागर और अरब सागर की ओर से हिमालय की ओर आने वाली हवाओं पर डिपेंड करता है. जब ये हवाएं भारत के दक्षिण पश्चिम तट पर पश्चिमी घाट से टकराती हैं तो भारत और उसके आसपास के देशों में भारी बारिश होती है.
क्या होता है मानसून का जल्दी आना?
मानसून का जल्दी आने का अर्थ होता है तयशुदा वक्त से पहले बादलों का छा जाना और फिर झमाझम बारिश होना. गर्मी के मौसम में चलने वाली हवाएं जब अपनी दिशाएं बदल लेती हैं तब मानसून आता है. ये हवाएं ठंडे क्षेत्रों से चलना शुरू होती हैं और गर्म क्षेत्रों की तरफ चलती हैं. जिससे क्षेत्र की नमी बढ़ती है. ये हवाएं समुद्री क्षेत्रों से उठ कर जमीनी क्षेत्रों की तरफ चलती हैं. हर जगह के लिए मानसून के आने का समय तय है. जब ये हवाएं तयशुदा वक्त से पहले वहां पहुंच जाती हैं तब मानसून वक्त से पहले एक्टिव हो जाता है.
मानसून का अर्थव्यवस्था पर असर
वैसे तो मानसून हर व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करता है. गर्मी में राहत का एहसास दिलाती हैं बारिश की ठंडी ठंडी बूंदे. सिर्फ इतना ही नहीं मौसम खुशनुमा बन जाता है और कुदरत भी खिली खिली नजर आती है. ये खुशगंवार सा मौसम देश की अर्थव्यवस्था पर भी खासा असर डालता है.
- कृषि प्रधान देश भारत के लिए मानसून काफी मायने रखता है. अधिकांश फसलों की बुआई के लिए मानसून का महीना बहुत जरूरी होता है. किसान इस सीजन के इंतजार में अक्सर बादल ताकते नजर आ जाएंगे. जहां जहां मानसून अच्छा होता है वहां धान और खरीफ फसलों की पैदावार में भी फायदा होता है. बारिश की कमी से इन फसलों की पैदावार बुरी तरह प्रभावित होती है. जहां कुछ बोया नहीं गया है वहां बारिश का पानी मिट्टी को नम बनाकर रखता है. ये मिट्टी गर्मियों में फलदायी होती है..
- कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के चलते किसी भी फसल की पैदावार का असर अर्थव्यव्यवस्था पर पड़ता है. कम पैदावार से महंगाई की मार जनता को झेलनी पड़ती है.
- खेती के अलावा ऊर्जा के उत्पादन पर भी असर पड़ता है. पानी की कमी से पनबिजली योजनाएं प्रभावित होती हैं. बिजली का उत्पादन में कमी पूरे साल आम लोगों को परेशान करती है. सरकार को भी आपूर्ति बनाए रखने के लिए कई इंतजामात करने पड़ते हैं.