ना चाहूं कुर्सी-वुर्सी... चिराग फिर बन गए मोदी के 'हनुमान'!

लोकसभा चुनाव में बिहार में चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी का स्ट्राइक रेट 100 प्रसेंट रहा है. ऐसे में अब एनडीए में उनका कद बढ़त दिख रहा है.

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मोदी के हनुमान का 100% चुनावी स्ट्राइक रेट
नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद देश में नई सरकार के गठन की तैयारी जारी है. नई सरकार के गठन में लोजपा (राम विलास) नेता चिराग की भी भूमिका अहम मानी जा रही है. दरअसल चिराग पासवान खुद को पीएम मोदी का हनुमान बता चुके हैं. लोकसभा चुनाव में बिहार में चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी का स्ट्राइक रेट 100 प्रसेंट रहा है. ऐसे में अब एनडीए में उनका कद बढ़त दिख रहा है. यही वजह है कि उन्हें अहम मंत्री पद मिलने की बात भी जोर पकड़ रही है. चिराग पासवान ने भी अपनी पार्टी के चुनाव में बेहतर पर खुशी जाहिर की है.

मंत्री पद मिलने के सवाल पर चिराग ने क्या जवाब दिया

चिराग पासवान से जब मंत्री पद मिलने की बारे सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि आप सब मेरा पीएम मोदी के प्रति मेरा समर्पण जानते हैं, मैं जीवन के कठिन दौर में था, चुनाव प्रचार में था या किसी भी भूमिका में था. मेरा लक्ष्य बिल्कुल साफ था कि मोदी जी को तीसरी बार पीएम बनाना हैं. मेरे पीएम तीसरी बार देश के पीएम बनने जा रहे हैं. इस बात का उत्साह मुझमें, मेरी पार्टी के नेता और हर कार्यकर्ता में हैं. कौन सरकार में आता है, कौन नहीं. कौन मंत्री बनता है कौन नहीं, ये किसी भी दल की प्राथमिकता में नहीं.

चिराग ने कहा कि मैं सुन रहा हूं कि किसी ने ये मांग की और वो मांग की. एनडीए की बैठक में सिर्फ पीएम के नेतृत्व को फिर से स्वीकारते हुए औपचारिकता निभाई है. हम मोदी को पीएम बनाने के लिए तत्पर हैं.

 

चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) एनडीए के ऐसे सहयोगी हैं जिनका लगातार दूसरे लोकसभा चुनाव में स्ट्राइक रेट 100 प्रतिशत रहा है. चिराग पासवान की इस कामयाबी से बीजेपी आलाकमान भी खुश नजर आ रहा है. जहां पिछले चुनाव में उनकी पार्टी 6 सीटों पर चुनाव में उतरी थी सभी सीटों पर जीत मिली थी. इस चुनाव में भी उन्हें गठबंधन की तरफ से 5 सीटें मिली थी और इन सभी पांच सीटों पर उन्हें जीत मिली. 

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अभिनय की दुनिया से राजनीति तक कैसे पहुंचे चिराग

चिराग पासवान बॉलीवुड में भी काम कर चुके हैं. लेकिन राजनीति में उनकी एंट्री साल 2010 के विधानसभा चुनाव के दौरान हुई थी . जब वो मंच पर अपने पिता रामविलास पासवान के साथ नजर आते थे. 2010 के चुनाव में रामविलास पासवान की पार्टी का लालू यादव की पार्टी राजद के साथ गठबंधन था. लेकिन तब ये गठबंधन असफल रहा. विधानसभा चुनाव में हार के बाद लोजपा के सामने खुद के अस्तित्व का संकट मंडरा रहा था. इसी बीच केंद्र में नरेंद्र मोदी के उदय की शुरुआत हुई. साल 2013 आते-आते बीजेपी की बागडोर नरेंद्र मोदी के हाथों आ गयी.

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इसी दौर में बिहार में नीतीश कुमार बीजेपी के साथ असहज हो गए और उन्होंने एनडीए से रास्ता अलग कर लिया. नीतीश कुमार के एनडीए छोड़ने के बाद रामविलास पासवान की पार्टी ने एनडीए साथ गठबंधन कर लिया. फिर  2014 में 7 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए लोजपा ने 6 सीटों पर शानदार जीत दर्ज कर ली. चिराग पासवान जमुई से लोकसभा सांसद बन गए. वहीं उनके पिता रामविलास पासवान मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री का पद संभाला. इसके साथ ही मोदी और हनुमान चिराग की दोस्ती हर जगह सुर्खियां बटोरने लगी. यही वजह है कि चिराग पासवान खुद को पीएम मोदी के सबसे वफादारों में से एक मानते हैं.

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राजनीतिक की दुनिया में चिराग का कद बढ़ा

18 वीं लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद चिराग पासवान की राजनीति फिर लाइमलाइट में हैं. अब उनके पास 5 सांसद हैं. साथ ही रामविलास पासवान के दौर से यह माना जाता रहा है कि केवल उनकी पार्टी ही बिहार की एकमात्र पार्टी है जो किसी भी गठबंधन के पक्ष में वोट ट्रांसफर करवा सकती है. राजनीति की दुनिया में वोट ट्रांसफर कराने की कुव्वत जिस पार्टी की हो, उसकी अहमियत सबसे अलग होती है. इस बार के चुनाव में चिराग पासवान का रसूख और बढ़ा है, जो कि आने वाले वक्त में और ज्यादा बढ़ सकता है बशर्ते वो आगे चलकर भी राजनीति की दुनिया में इसी तरह का बढ़िया प्रदर्शन कर सकें. आने वाले चुनावों और सरकार में चिराग पासवान की मजबूत उपस्थिति हो सकती है. हनुमान बनकर उनके द्वारा किया गया तपस्या उन्हें अब सत्ता के केंद्र में लेकर खड़ा कर दिया है.

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