भारत के खिलाफ कौनसी साजिश : भारत की ग्रोथ रोकने के लिए विदेश से साठगांठ

हरियाणा के चुनाव का जो नतीजा आया, जम्मू कश्मीर में जो नतीजा आया, यह एक तरह से भारत के लोकतंत्र पर एक वेलिडेशन है.

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प्रसार भारती के पूर्व सीईओ शशिशेखर वेमपति.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरियाणा में बीजेपी की जीत के बाद मंगलवार को कांग्रेस पर जमकर बरसे. उन्होंने बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कांग्रेस पर अंतरराष्ट्रीय साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया. प्रधानमंत्री ने कहा है कि वोटर ने साजिश को पकड़ लिया है और इसी कारण कांग्रेस की हार हुई है. उन्होंने इसके बाद बुधवार को महाराष्ट्र में भी कांग्रेस को निशाना बनाया. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद गांधी जी ने कहा था कि कांग्रेस को खत्म कर देना चाहिए. कांग्रेस खत्म नहीं हुई तो अब वह देश को खत्म करने पर तुली हुई है. प्रसार भारती के पूर्व सीईओ शशिशेखर वेमपति ने बताया कि पीएम मोदी देश के विकास में अड़ंगा लगाने वाली किन ताकतों की बात कह रहे हैं.       

"काफी समय से एक नेक्सस चलता आ रहा है. लोकसभा चुनाव के समय अंतरराष्ट्रीय मीडिया और एक्टिविस्ट ग्रुप्स भारत के लोकतंत्र पर कई सवाल उठा रहे थे. वे एक तरह से शंका पैदा कर रहे थे कि, भारतीय डेमोक्रेसी फेयर नहीं है और इलेक्शन ट्रांसपेरेंट नहीं हैं. 

हरियाणा के चुनाव का जो नतीजा आया, जम्मू कश्मीर में जो नतीजा आया, यह एक तरह से भारत के लोकतंत्र पर एक वेलिडेशन है. इंटरनेशनल मीडिया में जितने भी सवाल उठे थे उनको यह सही जवाब देते हैं. प्रधानमंत्री जी ने जो बात कही है, इको सिस्टम बहुत जरूरी बात है. हाल ही में प्रधानमंत्री जब अमेरिका यात्रा पर गए थे, तब भी हमने देखा था कि इस तरह से माहौल पैदा किया जा रहा था भारत को लेकर. कल ही जब मालदीव्स के राष्ट्रपति भारत आए तब फिर से इंटरनेशनल मीडिया में भारत की डिप्लोमेसी को लेकर सवाल उठाए जा रहे थे. यह इको सिस्टम बहुत एक्टिव है. यह हर कदम पर भारत की प्रगति है, भारत का जो एजेंडा है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का इसको रोकने के लिए एक कॉन्सपेरेसी की तरह यह लोग काम करते हैं. बांग्लादेश में जिस तरह के हालात पैदा हुए हैं इसमें भी क्लियरली एक्टिविस्ट ग्रुप्स का रोल बहुत ही साफ दिखाई दे रहा है.      

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भारत का जो इकॉनामिक एजेंडा है, इसमें बड़े उद्योगों का बहुत महत्वपूर्ण रोल है, क्योंकि ये प्रोजेक्ट्स चलाते हैं, जॉब्स क्रिएट करते हैं. एक तरह से इन प्रोजेक्ट्स को स्लोडाउन करने के लिए, बाधा डालने का जो एजेंडा है, इसमें सारे जो एनजीओ हैं, और स्पॉन्सर्स हैं जो कि विदेश में बैठे हैं, इनका एक बहुत डीप नेक्सस है. बहुत जरूरी डिबेट है कि हम इस प्रकाश डालें. इनकी जो मंशा है, इसको हमें लोगों तक पहुंचाना चाहिए.        
     
एक कॉटेज इंडस्ट्री बन गया है. विदेश में कई संस्थाएं हैं जो हर साल रैंकिंग निकालती हैं, इंडेक्स बनाती हैं. प्रेस फ्रीडम को लेकर, लोकतंत्र को लेकर... यह एक सिस्टम बन गया है. इनके जो सहयोगी हैं, वे हर विषय पर न्यायालय में जाकर पीआईएल लगाते हैं. इन पीआईएल को लेकर भी बहुत साफ हो गया है सुप्रीम कोर्ट में कि ये बहुत आधारहीन पीआईएल हैं. इनका मकसद भारत के विकास के लिए प्रधानमंत्री के एजेंडा को रोकना है. यह डीपरूटेड सिस्टम है और इसे काउंटर करने के लिए हमें कई संस्थाएं खड़ी करनी होंगी. हमें बहुत रिसर्च ओरिएंटेड काउंटर्स स्टेब्लिश करने होंगे, तब जाकर इस पूरे मूवमेंट को हम काउंटर कर पाएंगे. हमें इसके लिए लॉन्गटर्म कुछ सोचना पड़ेगा."

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