नर्सिंग के छात्रों के लिए 157 नये कॉलेज खुलेंगे. इनमें से हर कॉलेज में नर्सिंग की 100 सीटें होंगी. इस हिसाब से अब नर्सिंग के छात्रों को 15,700 अतिरिक्त सीटों पर एडमिशन का मौका मिलेगा. दुनियाभर में भारत की मेडिकल नर्सेस (Medical nurses) की मांग सबसे ज़्यादा है. लेकिन भारत ख़ुद अनुभवी नर्स की कमी झेल रहा है और 50% नर्स विदेश का रुख़ करती हैं. फिलहाल देश में 5324 नर्सिंग कॉलेज हैं जहां से सालाना 2 लाख नर्सें निकलती हैं. सरकारी कॉलेजों में बस 3,000 रुपये में नर्सिंग की पढ़ाई पूरी हो जाती है, लेकिन वे बस 13 फ़ीसदी हैं. जबकि 87% नर्सिंग संस्थान प्राइवेट हैं, जहां इसमें क़रीब छह लाख रुपये खर्च हो जाते हैं. अब 157 नए कॉलेज खोलने के फ़ैसले का स्वागत तो हो रहा है, मगर इसके साथ ही कई सवाल भी हैं.
क्लिनिकल नर्सिंग रिसर्च सोसाइटी की उपाध्यक्ष डॉ. स्वाति राणे ने सवाल उठाया है कि फैकल्टी कहां से लायेंगे, नर्सिंग एजुकेटर की कमी है. स्पेशलाइजेशन की हुई नर्सेज़ कहां बची हैं हमारे पास? दिनों दिन जगह जगह नर्सिंग कॉलेज खुल आए हैं, जहां से अनट्रेंड नर्सें आ रही हैं. ऐसे में अच्छी नर्सें प्रोड्यूस करने और उन्हें अच्छे पैकेज और सुविधाओं के लिए नर्सिंग काउंसिल को आगे आना चाहिए, सही स्ट्रक्चर होना चाहिए.
देश में करीब 33 लाख रजिस्टर्ड नर्स हैं
सेवाशक्ति हेल्थकेयर कन्सल्टेंसी के मुताबिक देशभर में क़रीब 33 लाख रजिस्टर्ड नर्स हैं.इनमें से 50 प्रतिशत नर्सें परदेस…यूरोप, यूएस, मिडिल ईस्ट चली जाती हैं. वहां उन्हें एक से डेढ़ लाख तक की सैलरी मिल जाती है. जबकि यहां निजी अस्पतालों में 15 से 18,000 रुपये मिलते हैं. सरकारी अस्पतालों में भी 25 से 35 हज़ार तक बेसिक सैलरी है. भारत में 670 लोगों पर बस एक नर्स है. जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 300 लोगों पर एक नर्स होनी चाहिए.
वहीं दूसरी तरफ चुनौती यह है कि कम सैलरी की वजह से अनट्रेंड नर्सें भी बड़े पैमाने पर रखी जा रही हैं. छोटे अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में अनुभवी नर्स नहीं मिलतीं हैं. लायन क्लब हॉस्पिटल के रेसिडेंट मेडिकल ऑफिसर डॉ ज़ैनब ने कहा कि अनुभवी नर्स मिलने में बहुत परेशानी होती है मुझे. वो बड़े अस्पतालों में जाना चाहती हैं. जहां बेहतर सैलरी हो, वर्क लोड भी कम हो. अधिकांश विदेश का रुख़ करती हैं.
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