गिग वर्कर्स के लिए बने नियमों को जानें.
नई दिल्ली:
जोमेटो, स्विगी और जेप्टो जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म कंपनियों के लिए काम कर रहे गिग वर्कर्स अपनी परेशानियों और मांग को लेकर हड़ताल पर जाने की चेतावनी दे रहे हैं. ये सभी वर्कर्स 10 मिनट डिलीवरी सिस्टम के विरोध में एकजुट हो रहे हैं. अगर ये लोग हड़ताल पर चले गए तो कभी सोचा है कि क्या होगा. डोरस्टेप डिलीवरी तुरंत नहीं मिलेगी. सर्दी, गर्मी, बरसात, मौसम कैसा भी हो, ये वर्कर्स घर बैठे 10 मिनट में जरूरत का सामान आप तक पहुंचाते हैं. गिग वर्कस की मांगे और इनके लिए क्या नियम कायदे हैं, सब डिटेल में जानें.
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गिग वर्कर्स के लिए क्या हैं नियम कायदे?
- भारत सरकार ने 2020 के कोड ऑफ सोशल सिक्योरिटी और 2025 में लागू हुए नए श्रम कानूनों के तहत गिग और प्लेटफ़ॉर्म वर्कर्स को कानूनी मान्यता दी है.
- इनके लिए हेल्थ बीमा, एक्सीडेंट बीमा, पेंशन और मातृत्व लाभ जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाएं बनाई गई हैं, जिन्हें एक सोशल सिक्योरिटी फंड और ई श्रम पोर्टल के ज़रिए लागू किया जा रहा है.
गिग वर्कस को लेकर बड़ी बातें
- भारत के गिग वर्कर्स के वित्त वर्ष 2024-25 में 1 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2029-30 तक 2.35 करोड़ हो जाने का अनुमान है.
- सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों को कानूनी मान्यता और सामाजिक सुरक्षा देता है.
- ई-श्रम पोर्टल ने 3.37 लाख प्लेटफॉर्म श्रमिकों समेत 30.98 करोड़ से अधिक असंगठित श्रमिकों को रजिस्टर्ड किया है.
- यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा रजिस्ट्रेशन हैं, जिनमें महिलाओं की मजबूत भागीदारी है.
गिग एवं प्लेटफॉर्म श्रमिकों के लिए सुरक्षा उपाय
- संसद द्वारा पारित सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 में पहली बार 'गिग श्रमिकों' और 'प्लेटफॉर्म श्रमिकों' को परिभाषित किया गया और उनकी सामाजिक सुरक्षा के उपाय किए गए हैं.
- इसमें जीवन और विकलांगता कवर, दुर्घटना बीमा, स्वास्थ्य और मातृत्व लाभ और वृद्धावस्था संरक्षण जैसे लाभ शामिल हैं.
आम बजट 2025-26 के लिए गिग वर्कर्स के लिए प्रावधान
- ई-श्रम पोर्टल पर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म श्रमिकों का पंजीकरण
- पहचान पत्र जारी करना
- आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) के तहत
- हेल्थकेयर कवरेज
- एबी-पीएमजेएवाई स्वास्थ्य योजना भारत में 31,000 से अधिक सार्वजनिक और निजी सूचीबद्ध अस्पतालों में माध्यमिक और तृतीयक देखभाल अस्पताल में भर्ती के लिए प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये का कवर.
21 नवंबर से लागू 4 कानून प्रभावी
- भारत सरकार ने चार श्रम संहिताओं- वेतन संहिता, 2019, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 और व्यवसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य शर्त संहिता, 2020 को 21 नवंबर, 2025 से लागू करने की घोषणा की है.
- इसे 29 मौजूदा श्रम कानूनों की जगह पर लागू किया जा रहा है.
- श्रम नियमावली को मॉडर्न बनाकर, मजदूरों की भलाई को बढ़ाकर और श्रम इकोसिस्टम को काम की बदलती दुनिया के साथ जोड़कर, यह ऐतिहासिक कदम भविष्य के लिए तैयार कार्यबल और मजबूत, उद्योग-अनुकूल बनाने की नींव रखता है.
गिग वर्कर्स के लिए क्या है हेल्थ और बीमा पॉलिसी?
- सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 के तहत गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों समेत सभी कामगारों को सामाजिक सुरक्षा कवरेज दिया गया है.
- सभी कामगारों को पीएफ, ईएसआईसी, बीमा और दूसरे सामाजिक सुरक्षा लाभ देने का प्रावधान है.
- एग्रीगेटर्स को वार्षिक टर्नओवर का 1-2 प्रतिशत योगदान करना होगा, जो गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों को भुगतान की गई/देय राशि के 5 प्रतिशत तक सीमित होगा.
- आधार-लिंक्ड यूनिवर्सल अकाउंट नंबर से वेलफेयर बेनिफिट्स आसानी से मिल जाएंगे, पूरी तरह से पोर्टेबल हो जाएंगे और प्रवास संबंधी किसी बाधा के बिना सभी राज्यों में उपलब्ध होंगे.
- गिग कामगार नौकरी या प्लेटफॉर्म बदलने पर भी सामाजिक सुरक्षा लाभों का प्रयोग कर सकतें हैं.
क्या हैं गिग वर्कर्स की 10 बड़ी मांगें?
- कामकाज की दयनीय हालत में सुधार हो, मजदूरों से भी कम कमाई, सुरक्षा और पीएफ-पेंशन जैसी सामाजिक सुरक्षा दी जाए
- 10 मिनट का डिलिवरी मॉडल तुरंत वापस लिया जाना चाहिए
- बिना उचित प्रक्रिया के आईडी ब्लॉक करने और जुर्माना लगाने की मनमानी कार्यवाही बंद हो
- डिलिवरी एजेंटों को हेलमेट और अन्य तरह के सुरक्षा उपकरण भी मुहैया कराए जाएं
- एल्गो आधारित भेदभाव को दरकिनार कर उचित तरीके से काम का बंटवारा किया जाए
- ई कॉमर्स प्लेटफॉर्म और कस्टमर भी उनसे इंसानों की तरह पेश आएं, इसका ख्याल रखा जाए
- काम के दौरान अनिवार्य तौर पर ब्रेक दिया जाए और कामकाज के घंटे निर्धारित हों
- डिलिवरी ऐप के साथ बेहतर टेक्निकल सपोर्ट मिले, ताकि एजेंटों की पेमेंट फेल होने जैसीशिकायतों का निवारण हो
- हेल्थ इंश्योरेंस, दुर्घटना बीमा, पेंशन, फंड सुनिश्चित किया जाए ताकि वो और उनका परिवार सुरक्षित रहे
- केंद्र और राज्य सरकारें दखल दें और ऐसे प्लेटफॉर्म पर बेहतर कंट्रोल और रेगुलेशन हो
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