वेस्ट नाइल फीवर (West Nile Fever) के कुछ मामले देश में सामने आए हैं. केरल सरकार (Kerala Government) की तरफ से कहा गया है कि राज्य के त्रिशूर, मलप्पुरम और कोझिकोड़ (Thrissur, Malappuram and Kozhikode) जिलों में इसके कुछ केस मिले हैं. राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने एक बयान में पुष्टि की कि राज्य में वायरल संक्रमण के मामले सामने आए हैं और सभी जिलों को सतर्क रहने को कहा गया है. यह मच्छरों से फैलने वाली एक बीमारी है.
80 प्रतिशत केस असिम्प्टोमैटिक होते हैं
नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के पूर्व निदेशक डॉक्टर सुजीत सिंह ने एनडीटीवी ने बात करते हुए बताया कि यह मच्छरों से फैलने वाली बीमारी है. जो अधिकतर अफ्रीका और यूरोप के देशों में होती रही है. हमारे देश में केरल में इस प्रकार के केस आ चुके हैं. पहले भी केरल के ही कुछ जिलों में इसके केस सामने आए थे. इस बीमारी के 80 प्रतिशत केस असिम्प्टोमैटिक होते हैं या बहुत कम ही लक्षण देखने को मिलते हैं. बहुत कम ही ऐसे मामले होते हैं जो इनफ्लूलाइटिश का रूप लेते हैं या दिमागी लक्षण भी देखने को मिलते हैं.
वेस्ट नाइल फीवर से कैसे करें बचाव?
वेस्ट नाइल फीवर से बचाव को लेकर डॉक्टर सुजीत ने बताया कि यह एक वायरल फीवर है. इसकी पहचान आरटीपीसीआर के माध्यम से की जा सकती है. वायरल संक्रमण के मामले में हम सिम्प्टोमैटिक इलाज ही करते हैं. इसे रोकने के लिए हम वहीं कर सकते हैं जो किसी भी वेक्टर जनित बीमारियों को कम किया जा सकता है. इससे संक्रमित मच्छरों की फ्लाइंग रेंज 1 किलोमीटर तक रहती है. हमें संक्रमित मच्छरों को रोकना होगा. मच्छरों में अगर एक बार संक्रमण हो जाता है तो फिर ये तेजी से फैलता है.
इंटिग्रेटेड वेक्टर कंट्रोल ही है बचाव का रास्ता
सुजीत सिंह ने कहा कि यह देश के किसी भी क्षेत्र में हो सकता है. हालांकि देश के किसी दूसरे क्षेत्र में इसे लेकर अब तक कोई सर्वे नहीं किया गया है. इसलिए इसे लेकर कोई जानकारी नहीं है. मच्छरों से बचाव का जो आम तरीका है हमें उसे ही अपनाना चाहिए. इंटिग्रेटेड वेक्टर कंट्रोल का जो हमारा तरीका है हम उससे ही इससे बचाव कर सकते हैं. इस बीमारी का सबसे प्रमुख कारण मच्छरों में होने वाला वायरस है. मच्छर इसका प्रसार करते हैं. यह बर्ड से आया है. बहुत कम प्रतिशत में इससे जान को खतरा है.
आर्थ्रोपोड से बनता है वेस्ट नाइल वायरस?
वेस्ट नाइल एक आर्बोवायरस है, या एक वायरस है जो आपको आर्थ्रोपोड से मिलता है (आर्थ्रोपोड एक बड़ा समूह है जिसमें कीड़े शामिल हैं). यह फ्लेविवायरस जीनस का एक आरएनए वायरस है. इसी तरह के वायरस डेंगू बुखार, पीला बुखार और जीका का कारण बनते हैं.
14 दिनों का होता है इंक्यूबेशन पीरियड
संक्रमित मच्छर वेस्ट नाइल वायरस फैलाते हैं. वे आम तौर पर संक्रमित पक्षी से वायरस प्राप्त करते हैं (इसका कोई सबूत नहीं है कि मनुष्यों को यह सीधे पक्षियों से मिलता है). वायरस मच्छर के अंदर पनपता है और जब यह आपको काटता है तो यह आप (या किसी अन्य जानवर) तक फैल जाता है. इसका इंक्यूबेशन पीरियड 14 दिनों का हो सकचा है.
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