पश्चिम बंगाल सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने मंगलवार को आखिरकार कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के विवादास्पद पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को निलंबित कर दिया. संस्थान में 9 अगस्त को एक जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर के साथ बलात्कार के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी. उस समय घोष संस्थान के प्रभारी थे. स्वास्थ्य विभाग ने एक आधिकारिक आदेश में घोष के निलंबन की घोषणा की.
हालांकि, इस आदेश पर स्वास्थ्य सचिव एन.एस. निगम की बजाय विभाग में विशेष कार्य अधिकारी के हस्ताक्षर हैं. आदेश में कहा गया है, "कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष के खिलाफ चल रही आपराधिक जांच के मद्देनजर, घोष को पश्चिम बंगाल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, 1971 के नियम 7(1सी) के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है."
घोष को 16 दिनों की पूछताछ के बाद सोमवार शाम केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गिरफ्तार किया था. मंगलवार को एक अदालत ने उन्हें आठ दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया है.
घोष के खिलाफ सीबीआई दो समानांतर जांच कर रही है. एक महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या का मामला है, जबकि दूसरा मामला उनके कार्यकाल के दौरान आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ा है. उन्हें इसी दूसरे मामले में गिरफ्तार किया गया है.
हालांकि, घोष सीएनएमसीएच के प्रिंसिपल का पदभार नहीं संभाल सके, क्योंकि कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने आर.जी. कर घटना की सीबीआई जांच का आदेश देते हुए, अगले आदेश तक उन्हें राज्य के किसी भी मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल नियुक्त करने पर भी रोक लगा दी.
घोष की मुश्किलें तब और बढ़ गईं जब आर.जी. कर के पूर्व उपाधीक्षक अख्तर अली ने कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और अस्पताल में वित्तीय 'अनियमितताओं' की केंद्रीय एजेंसी से जांच कराने की मांग की.
अली की याचिका पर कार्रवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने सीबीआई को बलात्कार और हत्या के मामले के साथ-साथ वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों की समानांतर जांच करने का निर्देश दिया.