गंगासागर को प्रसाद या स्वदेश दर्शन योजना में शामिल करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने आवश्यक प्रस्ताव और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) नहीं भेजी. केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने सोमवार को लोकसभा में यह जानकारी दी.
तृणमूल कांग्रेस की जयनगर सीट से सांसद प्रतिमा मंडल ने प्रश्नकाल में पश्चिम बंगाल के गंगासागर को प्रसाद और स्वदेश दर्शन योजना में शामिल न करने का मुद्दा उठाया. मंडल ने पूछा कि देश के दूसरे सबसे बड़े धार्मिक समागम गंगासागर को अब तक राष्ट्रीय तीर्थ विकास योजनाओं में शामिल क्यों नहीं किया गया? जबकि इसकी धार्मिक, सामाजिक और पर्यटन दृष्टि से अपार महत्ता है. इस पर उत्तर देते हुए केंद्रीय मंत्री शेखावत ने स्पष्ट किया कि भारत सरकार की ओर से गंगासागर को शामिल करने में कोई बाधा या आपत्ति नहीं है, बल्कि वास्तविक अड़चन पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा आवश्यक प्रस्ताव और डीपीआर न भेजे जाने के कारण है.
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि पश्चिम बंगाल को पहले भी केंद्र ने योजनाओं के तहत सहायता दी है. कोस्टल सर्किट में 68 करोड़ रुपए और वेलूर मठ के विकास के लिए 31 करोड़ रुपए का सहयोग दिया गया, लेकिन उसके बाद स्वदेश दर्शन 2.0, प्रसाद स्कीम और अन्य विशेष सहायता कार्यक्रमों में राज्य सरकार की ओर से एक भी परियोजना प्रस्ताव नहीं भेजा गया, जबकि बार-बार अनुरोध किया गया था.
शेखावत ने कहा कि गंगासागर की महत्ता पर भारत सरकार का कोई वैचारिक मतभेद नहीं, लेकिन परियोजना की प्रारंभिक पहल, डीपीआर बनाना और प्रस्ताव भेजना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है. जब तक राज्य प्रस्ताव नहीं भेजेगा, केंद्र आगे नहीं बढ़ सकता. उन्होंने यह भी जोड़ा कि गंगासागर का महत्व भारत के सांस्कृतिक और पुराणिक इतिहास में अत्यंत विशिष्ट है और केंद्र इसे योजनाओं में शामिल करने के लिए पूरी तरह सकारात्मक रुख रखता है. राज्य सरकार प्रस्ताव भेजेगी तो केंद्र अवश्य विचार करेगा.














