पश्चिम बंगाल: EC की रिपोर्ट में नंदीग्राम झड़प का जिक्र नहीं, कहा- 'मतदान कहीं प्रभावित नहीं हुआ'

नंदीग्राम के बोयल पोलिंग बूथ पर बीजेपी-टीएमसी के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई थी, जिसके बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी फंस गई थीं, उन्हें पैरामिलिट्री जवानों ने वहां से निकाला था. चुनाव आयोग पर्यवेक्षकों ने अपनी रिपोर्ट में इस घटना का जिक्र नहीं किया है.

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नंदीग्राम में मतदान के दौरान BJP-TMC के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई थी.
कोलकाता:

गुरुवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के तहत नंदीग्राम में हुए मतदान के दौरान झड़प का जिक्र चुनाव आयोग की रिपोर्ट में नहीं है. नंदीग्राम के बोयाल पोलिंग बूथ पर बीजेपी-टीएमसी के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई थी, जिसके बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी फंस गई थीं, यह पूरी घटना दो घंटे तक चली थी, ममता को पैरामिलिट्री जवानों ने वहां से निकाला था. चुनाव आयोग ने जो पर्यवेक्षकों को यहां की रिपोर्ट देने को कहा था. हालांकि, इस घटना का कोई जिक्र न करते हुए इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस पोलिंग स्टेशन पर मतदान प्रक्रिया प्रभावित नहीं हुई है और सबकुछ अच्छे से हो गया.

चुनाव आयोग ने एक बयान जारी कर पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट पर कहा कि 'पोलिंग स्टेशन नंबर 7 (बोयाल मोकतब प्राइमरी स्कूल) पर मतदान आराम से हो रहा है. आदरणीय मुख्यमंत्री, जो यहां से कैंडिडेट भी हैं. वो यहां लगभग डेढ़ घंटे रहने के बाद 3.35 बजे यहां से निकल गई हैं. ध्यान दिया जाना चाहिए कि यहां पर मतदान प्रक्रिया कभी भी प्रभावित नहीं हुई है.'

पोलिंग एजेंट का पहलू

दरअसल, तृणमूल कांग्रेस ने दावा किया था कि यहां पर पोलिंग एजेंट को गांव वाले बूथ के अंदर नहीं जाने दे रहे हैं, जिसके बाद ममता यहां गई थीं. यहां पर एक और घटना का जिक्र करना जरूरी है. इस पोलिंग एजेंट की मां ने तृणमूल नेताओं और सुरक्षाबलों से आग्रह किया था कि उसके बेटे की ड्यूटी यहां न लगाई जाए. एक लोकल टीवी चैनल से मां ने कहा था कि वो उनका एकलौता बेटा है और उन्हें चुनाव के बाद भी उसी गांव में रहना है, लेकिन ऐसा हुआ तो उनके लिए वहां रहना मुश्किल हो जाएगा.

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इसके बाद तृणमूल ने दो अन्य व्यक्तियों का नाम पोलिंग एजेंट के तौर पर सुझाया था, लेकिन सुरक्षाबलों ने पेपरवर्क में कुछ कमी बताते हुए उनके नाम खारिज कर दिए थे. अब यह नहीं पता है कि ममता को इस बारे में जानकारी थी या नहीं. वो दोपहर लगभग डेढ़ बजे वो बोयल बूथ पहुंचीं. इसके पहले वो लगभग एक किलोमीटर तक बस अपने व्हीलचेयर से आईं क्योंकि गलियां इतनी पतली थीं कि कोई कार नहीं आ सकती थी.

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वहां पहुंचने के बाद वो झड़प के बीच फंस गईं, जहां 'जय श्री राम' और 'खेला होबे' जैसे नारे लग रहे थे. पोलिंग बूथ के बाहर गलियारे में वो फंसी हुई थीं. बाहर टीएमसी-बीजेपी समर्थकों के बीच झड़प हो रही थी. यहां से उन्हें फिर पैरामिलिट्री जवानों ने निकाला. यहीं से ममता ने गवर्नर जगदीप धनखड़ को कॉल किया था और कहा था कि हालात इसलिए बिगड़ गए हैं क्योंकि चुनाव आयोग, चुनाव के वक्त राज्य में कानून-व्यवस्था को संभाल नहीं पाया है.

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ममता ने फिर दोहराए आरोप

ममता इसके पहले भी चुनाव आयोग पर आरोप लगाए थे कि वो केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से आदेश ले रहा है, उन्हें गुरुवार को फिर ये आरोप दोहराए. उन्होंने बोयल बूथ के बाहर कहा कि 'चुनाव आयोग अमित शाह के निर्देशों पर काम कर रहा है. हमने चुनाव आयोग से सुबह से 63 शिकायतें की हैं, लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया है. हम कोर्ट जाएंगे.'

ममता के इन आरोपों पर चुनाव आयोग की ओर से कोई जवाब नहीं आया है. हालांकि, इसके पहले आयोग एक बार कह चुका है कि ममता के आरोप एक संवैधानिक संस्था को कमतर करते हैं.

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