बंगाल चुनाव का रण तैयार, जानें बीजेपी कहां करेगी TMC पर चोट, ममता किसे बनाएगी ढाल

पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव अभी एक साल दूर हैं, लेकिन चुनावी रण तैयार हो गया है. बीजेपी और टीएमसी ने अपने-अपने तरकश में मुद्दों के तीर तैयार कर लिये हैं. इनमें घुसपैठियों से लेकर बंगाली अस्मिता तक के मुद्दे शामिल हैं.

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  • बंगाल की तृणमूल कांग्रेस ने मतदाता सूची से एक करोड़ से अधिक मतदाताओं का नाम हटाने का आरोप लगाया है
  • बंगाली भाषा और सांस्कृतिक गौरव के मुद्दे को टीएमसी ने आगामी विधानसभा चुनाव में प्रमुख चुनावी रणनीति बनाया है
  • बांग्लादेशी घुसपैठ का विवाद पश्चिम बंगाल की राजनीति का अहम मुद्दा बन गया है
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नई दिल्‍ली:

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव का रण तैयार हो गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बंगाल दौरे में शनिवार को ममता बनर्जी सरकार पर बांग्‍लादेशी घुसपैठियों, भ्रष्‍टाचार और कट-कमीशन समेत कई मुद्दों पर घेरा. इससे यह साफ हो गया कि बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दांव-पेच दो नैरेटिव के इर्द-गिर्द घूम रहे हैं- 'कोई बांग्लादेश नहीं जाएगा' बनाम 'बंगाल को बांग्लादेश नहीं बनने देंगे'. कट्टर प्रतिद्वंद्वी तृणमूल कांग्रेस (TMC) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) की तीखी बयानबाजी में भी यही नजर आता है. इन नारों के जरिए राजनीतिक विमर्श पर अपना दबदबा कायम करने की कोशिश कर रहे हैं.

2021 के चुनावों के बाद से बंगाल की राजनीतिक में काफी बदलाव आया है. हावड़ा ब्रिज के नीचे से कई धाराएं बह चुकी हैं और नए मुद्दे धीरे-धीरे मुख्यधारा में आ गए हैं. इनमें अप्रवासी भारतीय और मतदाता सूचियों का विशेष गहन संशोधन (SIR) प्रमुख विवाद के मुद्दे बनकर उभरे हैं, जो टीएमसी और बीजेपी दोनों की रणनीतियों को प्रभावित कर रहे हैं, क्योंकि वे एक और कड़े चुनावी मुकाबले की तैयारी कर रहे हैं.

Photo Credit: PTI

सत्ताधारी TMC के तरकश में ये तीर 

1. पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने राज्य की प्रमुख विपक्षी भारतीय जनता पार्टी पर मतदाताओं को गुमराह करने का आरोप लगाया है और दावा किया है कि एक करोड़ से अधिक अवैध मतदाता मौजूद हैं. यह आरोप चुनाव आयोग द्वारा एसआईआर के मसौदा मतदाता सूची के आंकड़ों के प्रकाशन के बाद लगाया गया है. ममता बनर्जी की पार्टी ने एसआईआर विरोध को अपने प्रमुख मुद्दों में से एक बनाया है.

2. बंगाल व उसका गौरव और भाषा के लिए संघर्ष इस बार तृणमूल के प्रमुख मुद्दों में से एक बना रहेगा. 2021 के चुनावों में भी तृणमूल ने 'बंगाली अस्मिता' के मुद्दे को उठाया और अच्छा प्रदर्शन किया था. यही कारण है कि टीएमसी, बीजेपी शासित राज्यों में बंगाली भाषी प्रवासी श्रमिकों पर कथित अत्याचारों को लगातार उजागर कर रही है.

3. हुमायूं कबीर और बाबरी मस्जिद विवाद का मुकाबला करने के लिए, टीएमसी हुमायूं कबीर और बीजेपी के बीच संबंधों को उजागर करने में जुट गई है. पार्टी पहले भी कह चुकी है कि असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम का इस्तेमाल भाजपा की रणनीति के तहत उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में पार्टी की मदद करने के लिए किया गया है, जिसका मुख्य उद्देश्य मुस्लिम वोटों को बांटना है.

4. हाल के वर्षों में पश्चिम बंगाल की राजनीति में 'बांग्लादेशी घुसपैठ' एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है. 2026 के विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, इस मुद्दे पर सत्ताधारी दल और विपक्ष के बीच बयानबाजी तेज होती जा रही है. राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी, भाजपा का दावा है कि बांग्लादेश से अनियंत्रित घुसपैठ ने पश्चिम बंगाल के कई जिलों की जनसांख्यिकीय संरचना को बदल दिया है. टीएमसी इस चुनाव में इस मुद्दे का मुकाबला करने के लिए इसे भाजपा द्वारा गढ़ा गया, झूठा नैरेटिव बता रही है. वे अक्सर भाजपा और सीमा सुरक्षा बलों को इसके लिए दोषी ठहराते हैं.

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5. आगामी चुनाव में टीएमसी अपनी लाभकारी योजनाओं और उपलब्धियों को प्रमुखता से उजागर करेगी. 2026 में होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में 'उन्नयनेर पांचाली' (विकास का गीत) का शुभारंभ किया है, जो पिछले 14 वर्षों में उनकी सरकार के प्रदर्शन का एक रिपोर्ट कार्ड है. उम्मीद है कि टीएमसी चुनाव प्रचार के दौरान इस मुद्दे को उठाएगी.

6. चुनाव प्रचार के दौरान टीएमसी, बीजेपी द्वारा रवींद्रनाथ टैगोर, बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय, राजा राममोहन रॉय सहित बंगाली हस्तियों के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणियों को प्रमुखता से उठाएगी. टीएमसी, बीजेपी को बंगाली विरोधी साबित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी.

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7. एसआईआर प्रक्रिया से बंगाल की राजनीति में हलचल मच गई है, टीएमसी मतुआ वोटों को लेकर बीजेपी पर हमला करने की तैयारी में है. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) मतदाता सूची के राजनीतिक रूप से संवेदनशील एसआईआर प्रक्रिया पर अपनी प्रतिक्रिया को तेजी से बढ़ा रही है, और शीर्ष नेतृत्व प्रभावशाली मतुआ समुदाय के साथ सीधे बातचीत कर मताधिकार से वंचित होने के डर को दूर करने का प्रयास कर रहा है.

8. केंद्र सरकार द्वारा पश्चिम बंगाल राज्य को धनराशि रोक देना. यह भाजपा के खिलाफ एक प्रमुख मुद्दा बना हुआ है. ममता बनर्जी इसे मुद्दे को कई बार उठा चुकी है.

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बीजेपी कहां करेगी TMC पर चोट

1. बीजेपी चुनाव प्रचार के दौरान अवैध प्रवासियों के मुद्दे को प्रमुखता से उठाएगी, इसकी एक झकल शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी के भाषण में दिख गई. बीजेपी नेतृत्व ने इस मुद्दे पर प्रचार शुरू कर दिया है. अगर भाजपा बंगाल में सत्ता में आती है, तो वे बांग्लादेश से अवैध प्रवेश को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे.

2. बिहार में जीत के बाद पश्चिम बंगाल में भाजपा को नई ऊर्जा मिली है. पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में अब सिर्फ एक साल बाकी है. इसलिए, 'मिशन बंगाल' को अपना लक्ष्य बनाकर भाजपा पश्चिम बंगाल में ज़ोर-शोर से तैयारियां कर रही है. बीजेपी सूत्रों के अनुसार, पार्टी नेतृत्व का मुख्य उद्देश्य संगठनात्मक स्तर पर मिलकर काम करना है, ताकि जमीनी स्तर पर नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच किसी भी तरह का टकराव न हो.

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3. पिछले दो चुनावों की तरह, बीजेपी नेता महिला सुरक्षा का मुद्दा उठाएंगे. यह पश्चिम बंगाल में 2026 के चुनावों का सबसे बड़ा मुद्दा हो सकता है. इसलिए, कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति को जनता के सामने उजागर किया जाएगा. प्रधानमंत्री मोदी समेत भाजपा के केंद्रीय नेताओं ने इसे 'महाजंगलराज' कहना शुरू कर दिया है.

4. ममता बनर्जी के शासनकाल में हुए घोटालों का अंबार बीजेपी के टीएमसी के खिलाफ प्रमुख मुद्दों में से एक होगा. इनमें शिक्षक की भर्ती घोटाले से लेकर कोयला और रेत खनन घोटालों तक शामिल हैं, जिन्होंने पिछले कुछ वर्षों में बंगाल की राजनीति को हिलाकर रख दिया है. इनमें ममता बनर्जी के करीबी मंत्रियों सहित कई टीएमसी नेता जांच के दायरे में आए हैं. बीजेपी भ्रष्टाचार के इस मुद्दे को और आगे ले जाएगी.

5. बीजेपी इस बार हिंदू मतदाताओं को अपने पक्ष में एकजुट करने की कोशिश करेगी. साथ ही, पार्टी टीएमसी के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने का भी प्रयास करेगी.

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