ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) पश्चिम बंगाल (West Bengal) की वर्तमान मुख्यमंत्री और अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (TMC) की अध्यक्ष हैं. उन्होंने साल 2011 में विधान सभा चुनावों (Assembly Elections) में बड़ी जीत दर्ज कर पश्चिम बंगाल में 34 वर्षों के सीपीआई (एम) के शासनकाल का अंत किया था. 2011 से लगातार ममता राज्य की कमान संभाल रही हैं. उन्होंने ऐलान किया है कि इस बार नंदीग्राम और जादवपुर दोनों जगह से विधान सभा चुनाव लड़ेंगी. फिलहाल वो 2011 से कोलकाता के भवानीपुर से विधायक हैं.
ममता को शुभेंदु की ललकार
अपने विद्रोही तेवर के लिए जानी जाने वाली ममता ने नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का फैसला बीजेपी को करार जवाब देने के लिए किया है क्योंकि टीएमसी के विधायक रहे शुभेंदु अधिकारी ने चुनाव से पहले पाला बदलते हुए बीजेपी का दामन थाम लिया है और नंदीग्राम में ममता बनर्जी को 50,000 वोटों से हराने का ऐलान किया है.
TIME मैग्जीन ने 100 प्रभावशाली लोगों में लिया था नाम
बंगाल में 'दीदी' नाम से लोकप्रिय ममता बनर्जी ने 1970 के दशक में कांग्रेस के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी.बाद में उन्होंने अपनी पार्टी टीएमसी का गठन किया. राज्य की मुख्यमंत्री बनने से पहले ममता बनर्जी दो-दो बार देश की रेल मंत्री रही हैं. उनके कामों को देखते हुए अमेरिकी मैग्जीन टाइम ने दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में उन्हें जगह दी थी. ममता ने पश्चिम बंगाल में औद्योगीकरण के लिए सीपीएम की भूमि अधिग्रहण की नीति का जमकर विरोध किया था और 2000 के दशक में उन्होंने नंदीग्राम और सिंगूर में कई जनांदोलन चलाकर लोकप्रियता हासिल की थी.
जब प्रधानमंत्री को दिखाया था काला झंडा
सुतापा पॉल ने 'दीदी- द अनटोल्ड ममता बनर्जी' में लिखा है, "1977 के चुनावों में इंदिरा गांधी की हार के बाद जनता पार्टी के मोरारजी देसाई देश के प्रधानमंत्री बने थे. पीएम बनने के बाद देसाई कोलकाता के दौरे पर थे. तब सुब्रत मुखर्जी के नेतृत्व में योजना बनी कि मोरारजी को काले झंडे दिखाए जाएंगे. ममता बनर्जी को इसकी जिम्मेदारी दी गई लेकिन कोलकाता पुलिस नाम जानते हुए भी ममता को पकड़ न सकी.
भवानीपुर सीट छोड़ रही हूं, नंदीग्राम से चुनाव लड़ूंगी : पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी
जुझारू ममता तब रास्ता बदलकर और पुलिस को चकमा देकर सीधे प्रधानमंत्री की कार के काफिले के आगे आ गई और सीधे उन्हें काला झंडा दिखाने लगीं." इस घटना के बाद ममता का कद कांग्रेस में बढ़ गया. वो राज्य की बड़ी नेता बन गईं.
जेपी के विरोध में कार पर चढ़ किया था डांस
इससे पहले भी ममता बनर्जी 1975 में सुर्खियां बटोर चुकी थीं, जब उन्होंने जयप्रकाश नारायण के विरोध में कार पर चढ़कर डांस किया था. 1976 से 1980 तक वो राज्य कांग्रेस की महासचिव रहीं और 1984 में पहली बार जीतकर संसद पहुंचीं. उस वक्त वो संसद में सबसे युवा सांसद थीं. तब उन्होंने दिग्गज कॉमरेड सोमनाथ चटर्जी को जादवपुर संसदीय सीट से हराया था.
पीएम मोदी से कर रहीं दो-दो हाथ
1977 में गुजरात से ताल्लुक रखने वाले पीएम को काला झंडा दिखाने वाली ममता बनर्जी आज फिर गुजरात के रहने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी टीम से सियासी मुकाबला कर रही हैं और अपना राजनीतिक गढ़ बचाने की लड़ाई लड़ रही हैं. वैसे एक दौर था, जब ममता बीजेपी की सहयोगी भी रही हैं और केंद्र में वाजपेयी सरकार में कई अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी भी संभाल चुकी हैं.