पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की फाइनल लिस्ट जारी कर दी है. इस लिस्ट में 13 लोगों के नाम शामिल हैं, लेकिन इसमें मिथुन चक्रवर्ती का नाम नदारद है. बताया जा रहा था कि मिथुन चक्रवर्ती को रासबिहारी सीट से उतारा जाएगा, लेकिन वहां से भाजपा ने रिटायर लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रता साहा को मैदान में उतारा है. जब मिथुन चक्रवर्ती ने कोलकाता में 7 मार्च को मेगा रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा किया था, तब भाजपा सूत्रों ने कहा था कि रासबिहारी सीट से उन्हें उतारा जाएगा.
यहीं पर अभिनेता चक्रवर्ती ने एक बंगाली फिल्म का डायलॉग बोला था, 'मैं आपको यहां मारूंगा और आपकी लाश श्मशान भूमि में मिलेगी.' उस दिन उन्होंने एक और चुनावी लाइन बोली थी, 'मैं कम नुकसान पहुंचाने वाला पानी या रेत वाला सांप नहीं हूं, मैं कोबरा हूं. एक बार काटा तो आप तस्वीर में ही नजर आएंगे.'
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इसके अलावा हालही कोलकाता में मतदाता की लिस्ट में उनका नाम दर्ज किया गया है. उन्होंने अपना वोटिंग कार्ड मुंबई से कोलकाता ट्रांसफर करवाया है. हालांकि, उनके चुनाव लड़ने की उम्मीदें धराशायी हो गईं. बंगाल में मतदान आठ चरणों में होंगे और अंतिम चरण के लिए नामांकन की अंतिम तिथि अप्रेल के मध्य में है. बता दें, चक्रवर्ती 30 मार्च को सुवेंदु अधिकारी के लिए नंदीग्राम में प्रचार करेंगे. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भी उस रोड शो में मौजूद रहने की संभावना है.
पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अशोक लाहिड़ी को पहले उत्तर बंगाल की अलीपुरद्वार सीट से उतारा गया था. उसके बाद बदलाव करके उन्हें बालुरघाट सीट से चुनावी मैदान में उतारा गया है.
आज जारी लिस्ट में अहम बदलाव उत्तर 24 परगना जिले की गायघाट सीट पर देखने को मिला, जहां से सुब्रत ठाकुर को टिकट दिया गया है. वह शांतनु ठाकुर के भाई हैं. शांतनु भाजपा सांसद हैं, जो मटुआ समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं. बताया जा रहा है वह पार्टी से नाराज चल रहे हैं. यह कहा जा रहा था कि वह पार्टी से इसलिए नाराज हैं कि क्योंकि 30-40 सीटें ऐसी हैं, जहां मटुआ समुदाय निर्णायक भूमिका में हैं, लेकिन उनके समुदाय से एक भी उम्मीदवार नहीं उतारा गया. बताया जा रहा है कि शांतनु ठाकुर ने सोमवार को अमित शाह से मुलाकात की थी, जिसके बाद पार्टी ने उनके भाई को टिकट देने का फैसला किया है.
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चोव्रिन्घी और काशीपुर-बेलगछिया सीट से भी उम्मीदवार बदले गए हैं, यहां से जिन्हें पहले टिकट दिया गया था, उन्होंने विरोध किया था कि वे पार्टी के उम्मीदवार बनने के लिए कभी सहमत ही नहीं हुए थे. चोव्रिन्घी से पूर्व टीएमसी विधायक और दिवंगत कांग्रेस नेता सोमेन मित्रा की पत्नी शिखा मित्रा उस वक्त गुस्सा हो गई थीं, जब उनकी मर्जी के बिना ही उनके नाम का ऐलान कर दिया गया. वहीं, भाजपा ने जिसे काशीपुर-बेलगछिया सीट से टिकट दिया था, वह टीएमसी के सक्रिय सदस्य निकले.
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