पश्चिम बंगाल चुनाव: हर पार्टी में क्रिमिनल बैकग्राउंड के कैंडिडेट, TMC सबसे नीचे, आई ADR की रिपोर्ट

DR- Election Watch की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिम बंगाल के पहले दो चरण के चुनावों में 362 में से 91 उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि हैं. इन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में खुद घोषणा की है कि उनके खिलाफ अलग-अलग अपराधिक मामले हैं.

विज्ञापन
Read Time: 10 mins
पश्चिम बंगाल चुनाव में 91 उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:

पश्चिम बंगाल में 27 मार्च से शुरू हो रहे विधानसभा चुनावों में राजनीतिक दलों ने बड़ी संख्या में आपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों को टिकट दिया है. चुनावों पर नजर रखने वाली संस्था ADR- Election Watch की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिम बंगाल के पहले दो चरण के चुनावों में 362 में से 91 उम्मीदवार (25%) आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं. इन 91 उम्मीदवारों ने अपने चुनावी हलफनामे में खुद घोषणा की है कि उनके खिलाफ अलग-अलग अपराधिक मामले हैं.

एडीआर-इलेक्शन वॉच की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, पहले चरण के चुनाव में सबसे ज्यादा दागी पृष्ठभूमि के उम्मीदवार सीपीएम ने उतारे हैं. सीपीएम के 56 फ़ीसदी उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामला घोषित किया है जबकि बीजेपी के 42 फ़ीसदी और तृणमूल कांग्रेस के 35% उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं.

जबकि, दूसरे चरण में सबसे ज्यादा 57 फ़ीसदी उम्मीदवार बीजेपी के हैं जिनके खिलाफ आपराधिक मामले हैं. सीपीआई के 50 फ़ीसदी, सीपीएम के 47% और तृणमूल कांग्रेस के 27 फ़ीसदी उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं.

यह भी पढ़ें : सोशल मीडिया पर धुआंधार प्रचार खर्च में सबसे आगे पश्चिम बंगाल, मगर इस दल से पिछड़ गई BJP

एडीआर इलेक्शन वॉच के फाउंडर जगदीप छोकर ने NDTV से कहा, 'पश्चिम बंगाल चुनावों से यह बात एक बार फिर साबित हुई है कि राजनीतिक दल अपराधियों को चुनावों से दूर रखने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का ठीक से पालन नहीं कर रहे हैं.'

उन्होंने यह भी कहा कि 'पश्चिम बंगाल में हो रहे विधानसभा चुनावों में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं के खिलाफ स्थानीय अखबारों में जानकारी छापने को लेकर जो सुप्रीम कोर्ट ने दिशा-निर्देश जारी किए है, उसका राजनीतिक दल ठीक तरीके से पालन नहीं कर रहे हैं.'

Advertisement
Featured Video Of The Day
Allu Arjun News: Telugu Superstar का सड़क से सदन तक विरोध