पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी (Petroleum and Natural Gas Minister Hardeep Singh Puri) ने शुक्रवार को कहा कि भारत अपनी तेल आवश्यकताओं का एक बहुत छोटा हिस्सा रूस से आयात करता है और अगर शर्तें सही होती हैं तो वह इसे खरीदने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि भारत को अपने हितों का ध्यान रखना होगा.
समाचार एजेंसी ANI को पुरी ने बताया, "हम ईरान जैसे खाड़ी देशों के करीब स्थित हैं, जिनके पास बहुत सारा तेल है... हमारे रूस के साथ ऊर्जा संबंध हैं, हम उनसे कच्चा तेल खरीदते हैं लेकिन हमारा कुल आयात 0.2 प्रतिशत से अधिक नहीं है. यदि शर्तें सही हैं तो हम खरीदने के लिए तैयार हैं. हमें अपने हितों की देखभाल खुद करनी होगी."
केंद्रीय मंत्री ने आगे ईंधन की कीमतों पर रूस-यूक्रेन संघर्ष के प्रभाव का उल्लेख करते हुए कहा, "हम अभी भी एक महामारी से उबर नहीं पाए हैं, अभी भी 80 करोड़ लोगों को खिला रहे हैं और टीकों की देखभाल कर रहे हैं. यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई हुई है... तेल की कीमतें 19.56 डॉलर/बैरल से 130 डॉलर/बैरल तक बढ़ गई... केंद्र ने पेट्रोल-डीजल पर 32 रुपये का उत्पाद शुल्क लगाया है , दिवाली से पहले हमने इसे कम किया था और दरों में गिरावट आई थी."
ईंधन करों को लेकर केंद्र और विपक्ष के बीच वाकयुद्ध के बीच, पुरी ने कहा कि केंद्र को पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने में खुशी होगी, लेकिन राज्य ऐसा करने को तैयार नहीं हैं. उन्होंने कहा, "मेरी समझ यह है कि केंद्र पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने में प्रसन्न होगा... तथ्य यह है कि राज्य इसके लिए तैयार नहीं हैं. वे पेट्रोल, डीजल और शराब के टैक्स से लोगों को मार रहे हैं... जब कर्ज बढ़ता है तो वे दूसरों को दोष देते हैं... उदाहरण के तौर पर पंजाब का मामला है."
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केंद्रीय मंत्री ने विपक्ष पर कटाक्ष किया और कहा कि केंद्र सरकार ने ईंधन क्षेत्र में अपनी जिम्मेदारी संभाली है. राज्यों को भी पेट्रोल और डीजल पर मूल्य वर्धित करों को कम करने के मुद्दे पर भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए. उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार इस मुद्दे पर सजग रहे हैं. उन्होंने आजीविका के मुद्दे से संबंधित सहकारी संघवाद की सर्वोत्तम भावना की वकालत की है. बोझ बंटवारा समान नहीं होना चाहिए, केंद्र ने ईंधन क्षेत्र में अपनी जिम्मेदारी संभाली है, राज्यों को भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए."