'हम न्यायाधीशों से मशीन की तरह काम नहीं करवा सकते', केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा

किरेन रीजीजू दिल्ली विश्वविद्यालय के सम्मेलन ‘इंडियानाइज़ेशन ऑफ लीगल सिस्टम एंड एजुकेशन’ (विधि व्यवस्था एवं शिक्षा का भारतीयकरण) में बोल रहे थे.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
नई दिल्ली:

देश की अदालतों में लंबित मुकदमों की संख्या बढ़ने के बीच केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री किरेन रीजीजू ने न्यायाधीशों पर बोझ कम करने और न्याय पाने के लिए लोगों के संघर्ष को दूर करने के बीच संतुलन बनाने की बृहस्पतिवार को वकालत की और कहा कि न्यायाधीशों से मशीन की तरह काम नहीं कराया जा सकता है. रीजीजू ने कहा कि अलग-अलग अदालतों में लंबित मुकदमों की संख्या करीब 4.8 करोड़ है. वह दिल्ली विश्वविद्यालय के सम्मेलन ‘इंडियानाइज़ेशन ऑफ लीगल सिस्टम एंड एजुकेशन' (विधि व्यवस्था एवं शिक्षा का भारतीयकरण) में बोल रहे थे. दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन विश्वविद्यालय के विधि संकाय और राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण (नालसा) ने संयुक्त रूप से किया है.

मंत्री ने कहा, “एक तरफ हम आधुनिक कानूनी व्यवस्था की बात कर रहे हैं, जो जवाबदेही, पारदर्शिता और निष्पक्षता पर आधारित है और दूसरी तरफ हम कह रहे हैं कि हमारे देश के आम लोगों को न्याय पाने में मुश्किल हो रही है.” उन्होंने कहा, “ जब मैंने कानून और न्याय मंत्री के रूप में (2021 में) पदभार संभाला था, तो भारत की विभिन्न अदालतों में लंबित मुकदमों की संख्या 4.2 करोड़ से थोड़ी अधिक थी और एक साल, तीन महीने की अवधि में, यह 4.8 करोड़ को पार करने वाली है.”

मंत्री ने कहा, “एक तरफ हमारे न्यायाधीश मुकदमों को निपटाने के लिए कितनी कोशिश रहे हैं और दूसरी तरफ न्याय पाने के लिए आम लोग कितना संघर्ष कर रहे हैं.”उन्होंने कहा, “हमें संतुलन बनाने की जरूरत है. हम न्यायाधीशों से मशीन की तरह काम नहीं करवा सकते ... उच्चतम न्यायालय से लेकर निचली अदालत तक, भारत में हर न्यायाधीश 50-60 मामलों को देख रहा है... अगर न्यायाधीश को 50-60 मामलों का निपटारा करना है तो वे कैसे न्याय दे सकते हैं?' इस कार्यक्रम में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश संजय किशन कौल, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह शामिल हुए.

Featured Video Of The Day
Punjab Floods: पंजाब में बाढ़ से हाहाकार, पीड़ितों की मदद के लिए सामने आए सितारे
Topics mentioned in this article