- RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि संघ व्यक्ति या राजनीतिक दल का नहीं, बल्कि नीतियों का समर्थन करता है.
- भागवत ने कहा कि अगर कांग्रेस राम मंदिर निर्माण का समर्थन करती तो RSS कार्यकर्ता उस पार्टी का भी समर्थन करते.
- उन्होंने कहा कि विभिन्न संप्रदायों के लोग मुसलमान या ईसाई, अपनी अलग पहचान बनाए रखते हुए संघ में आ सकते हैं.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि संघ किसी व्यक्ति या राजनीतिक दल का नहीं, बल्कि नीतियों का समर्थन करता है. उन्होंने कहा कि हम राष्ट्रनीति के समर्थक हैं, राजनीति के नहीं. हमारा किसी एक पार्टी से कोई विशेष लगाव नहीं है. कोई भी पार्टी हमारी नहीं है. साथ ही आरएसएस प्रमुख ने कहा कि अगर कांग्रेस अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की मांग का समर्थन करती तो आरएसएस कार्यकर्ता उसका भी समर्थन करते.
भागवत ने कहा "हम किसी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं करते. हम चुनावी राजनीति में हिस्सा नहीं लेते. संघ समाज को एकजुट करने का काम करता है और राजनीति विभाजनकारी होती है. हम नीतियों का समर्थन करते हैं. उदाहरण के लिए, हम अयोध्या में राम मंदिर चाहते थे, इसलिए हमारे स्वयंसेवक इसके निर्माण के पक्ष में खड़े रहे." उन्होंने आगे कहा कि भाजपा ने इस मुद्दे पर सही का निशान लगाया. भागवत ने कहा, "अगर कांग्रेस ने इसका समर्थन किया होता तो हमारे स्वयंसेवक उस पार्टी को वोट देते."
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शाखा में आप भारत माता के पुत्र के रूप में आते हैं: भागवत
यह पूछे जाने पर कि क्या मुसलमानों को आरएसएस का हिस्सा बनने की अनुमति है, भागवत ने जवाब दिया, "संघ में किसी ब्राह्मण को अनुमति नहीं है, किसी भी जाति के व्यक्ति को अनुमति नहीं है, किसी मुसलमान को अनुमति नहीं है, किसी ईसाई को अनुमति नहीं है... विभिन्न संप्रदायों के लोग, मुसलमान या ईसाई, अपनी अलग पहचान बनाए रखते हुए संघ में आ सकते हैं. जब आप शाखा में आते हैं तो आप भारत माता के पुत्र के रूप में आते हैं. मुसलमान और ईसाई शाखा में आते हैं, लेकिन हम उनकी गिनती नहीं करते, हम यह नहीं पूछते कि वे कौन हैं."
कांग्रेस नेताओं के उठाए सवालों का भी भागवत ने दिया जवाब
भागवत ने कई कांग्रेस नेताओं द्वारा उठाए गए उस सवाल का भी जवाब दिया, जिसमें पूछा गया था कि आरएसएस एक पंजीकृत संगठन क्यों नहीं है? उन्होंने कहा, "यह जवाब अनगिनत बार दिया जा चुका है, लेकिन जो लोग सवाल उठाना चाहते हैं, वे इसे दोहराते रहते हैं. संघ की स्थापना 1925 में हुई थी. क्या आप हमसे ब्रिटिश सरकार के साथ पंजीकरण की उम्मीद करते हैं? आजादी के बाद, कानून पंजीकरण को अनिवार्य नहीं बनाते. 'व्यक्तियों के समूह' को भी एक कानूनी दर्जा दिया जाता है. हमें व्यक्तियों के समूह के रूप में वर्गीकृत किया गया है और हम एक मान्यता प्राप्त संगठन हैं."
आरएसएस प्रमुख की यह टिप्पणी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सहित कांग्रेस नेताओं के जुबानी हमलों के बाद आई है. पिछले महीने खरगे ने कहा था कि उनकी निजी राय है कि आरएसएस पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए. खरगे के बेटे और कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे सहित कई कांग्रेस नेताओं ने हाल ही में आरएसएस की आलोचना की है.













