हम बांग्लादेशी लोगों के सर्वोत्तम हित के लिए प्रतिबद्ध... शेख हसीना पर फैसले पर भारत का रिएक्शन

शेख हसीना और दो अन्य, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून पर मानवता के विरुद्ध अपराधों का मुकदमा चलाया गया था. इसी मामले में आज फैसला आया है.

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  • बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई है
  • शेख हसीना पर अगस्त 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान हत्याओं का मास्टरमाइंड होने का आरोप है.
  • भारत ने बांग्लादेशी लोगों के सर्वोत्तम हित के लिए प्रतिबद्धता जताया है.
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नई दिल्ली:

बांग्लादेश में तख्तापटल के 15 महीने बाद पूर्व पीएम शेख हसीना को दोषी करार दिया गया. उन्हें अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT-BD) ने मौत की सजा सुनाई गई है. शेख हसीना अपने खिलाफ सुनाए गए फैसले को पक्षपाती और राजनीति से प्रेरित बताया है. शेख हसीना पर आए इस फैसले पर अब भारत ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. भारत ने कहा है कि हम बांग्लादेशी लोगों के सर्वोत्तम हित के लिए प्रतिबद्ध हैं. हम सभी हितधारकों के साथ हमेशा रचनात्मक रूप से जुड़े रहेंगे. 

आपको बता दें कि शेख हसीना के साथ-साथ उनके सरकार में गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल और पुलिस प्रमुख अब्दुल्ला अल-मामून को दोषी पाया गया है. अब्दुल्ला अल-मामून सरकारी गवाह बन गए थे तो उन्हें कम सजा दी गई. कोर्ट ने शेख हसीना को अगस्त 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान हुई हत्याओं का मास्टरमाइंड माना है. बताते चलें कि शेख हसीना तख्तापलट के बाद भारत आ गईं थीं. वे पिछले 15 महीने से भारत में ही रह रही हैं. तीन सदस्यों वाले ICT-BD ने 28 दिनों (वर्किंग डे) तक इस मामले पर सुनवाई की. आखिर में 23 अक्टूबर को मामले की सुनवाई पूरी की, जिसमें 54 गवाहों ने अदालत के सामने गवाही थी.

कोर्ट ने शेख हसीना को 3 मामलों में दोषी ठहराया

शेख हसीना और दो अन्य, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून पर मानवता के विरुद्ध अपराधों का मुकदमा चलाया गया था. कोर्ट ने शेख हसीना को तीन मामलों में दोषी ठहराया है, जिनमें न्याय में बाधा डालना, हत्याओं का आदेश देना और दंडात्मक हत्याओं को रोकने के लिए कदम उठाने में विफल रहना शामिल है. 

अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि शेख हसीना और अन्य के पास अब क्या विकल्प बचे हैं. शेख हसीना के खिलाफ मृत्युदंड की मांग की गई और आईसीटीबीडी ने यही सजा सुनाई है. अब शेख हसीना के पास ज्यादा विकल्प नहीं हैं. शेख हसीना आईसीटीबीडी के फैसले के खिलाफ केवल बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट (अपील डिवीजन) का ही दरवाजा खटखटा सकती हैं.ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट ने भी आईसीटीबीडी कोर्ट के फैसले को कायम रखा तो उस हालत में हसीना के पास और कोई विकल्प नहीं होगा. 
 

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