मोरबी अस्पताल की सच्चाई दिखा रही NDTV की टीम को पुलिस ने बाहर निकाला, देखिए Video

एनडीटीवी की टीम दर्शकों को अस्पताल के बारे में बता रही थी कि कैसे रातों रात अस्पताल का कायापलट कर दिया गया, लेकिन तभी पुलिस ने हमारी टीम को अस्पताल से बाहर जाने के लिए कह दिया.

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मोरबी अस्पताल का रातोंरात हुआ कायापलट.

गुजरात के मोरबी ब्रिज हादसे (Morbi Bridge Tragedy) के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने मंगलवार को मोरबी अस्पताल (Morbi Hospital) का दौरा किया. पीएम मोदी के अस्पताल पहुंचने से पहले अस्पताल की सूरत बहुत कम समय में बदल दी गई. इस बीच यहां एनडीटीवी की ग्राउंड रिपोर्ट के दौरान पुलिस ने हमारी टीम को अस्पताल से बाहर निकाल दिया. दरअसल, पीएम की वीजिट से पहले मोरबी सरकारी अस्पताल में कुछ रोगियों का चयन किया गया, जिन्हें नए सिरे से पेंट किए गए वार्ड में नए बेड पर शिफ्ट किया गया. नए वार्ड में पीने के पानी और साफ-सफाई का खासा ध्यान रखा गया था, ताकि प्रधानमंत्री के सामने अस्पताल की बदहाली को कवरअप किया जा सके. एनडीटीवी की टीम दर्शकों को अस्पताल के बारे में बता रही थी कि कैसे रातों रात अस्पताल का कायापलट कर दिया गया, लेकिन तभी पुलिस ने हमारी टीम को अस्पताल से बाहर जाने के लिए कह दिया.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्राउंड फ्लोर पर एक वार्ड खाली था, उसे अच्छी तरह से साफ किया गया है. यहां नए बेडशीट के साथ नए बेड लगाए गए हैं. यहीं पर कुछ घायलों को, जो पहले फर्स्ट फ्लोर पर थे, उन्हें यहां शिफ्ट कर दिया गया है. इनमें से कुछ बेडशीट पर जामनगर के एक अस्पताल की मार्किंग थी, जो मोरबी से महज 160 किमी की दूरी पर है. इससे समझा जा सकता है कि पीएम के दौरे को लेकर मोरबी अस्पताल प्रशासन ने आनन-फानन में कैसे इंतजाम किए हैं, ताकि अस्पताल की बदहाली को ढक सके.

रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम के दौरे से पहले सोमवार को कम से कम 40 पेंटर पूरी रात अस्पताल के बाहरी हिस्से की पुताई में लगे रहे. इसके अलावा उन वार्डों के अंदर टच-अप किया, जहां पीएम मोदी पीड़ितों से मिलने वाले थे. टॉयलेट्स में रातोंरात नई टाइल्स भी लगा दी गईं. 

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रविवार को हुए मोरबी ब्रिज हादसे में 135 मृतकों में 50 से ज्यादा बच्चे हैं.  इनमें से 45 की उम्र 18 साल से कम है. ज्यादातर महिलाओं और बुजुर्गों की जान गई है. अब तक 170 लोग रेस्क्यू किए गए हैं. 100 घायल हैं, जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है. बता दें कि मोरबी का केबल सस्पेंशन ब्रिज 20 फरवरी 1879 को शुरू किया गया था. 143 साल पुराना होने से इसकी कई बार मरम्मत हो चुकी है. हाल ही में 2 करोड़ रुपये की लागत से 6 महीने तक ब्रिज का रेनोवेशन हुआ था.

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