एक तरफ वैक्सीन की कमी का रोना, दूसरी तरफ टीकों की बर्बादी, जानें अपने राज्य का हाल

टीकाकरण अभियान में कई राज्य लगातार यह शिकायत कर रहे हैं कि उन्हें लोगों को लगाने के लिए वैक्सीन नहीं मिल पा रही है. दूसरी तरफ कुछ राज्यों में वैक्सीन की बर्बादी बदस्तूर जारी है

विज्ञापन
Read Time: 24 mins
झारखंड में वैक्सीन की हर तीन में से एक खुराक बर्बाद हो गई
नई दिल्ली:

टीकाकरण अभियान में कई राज्य लगातार यह शिकायत कर रहे हैं कि उन्हें लोगों को लगाने के लिए वैक्सीन (Corona Vaccine Shortage) नहीं मिल पा रही है. दूसरी तरफ कुछ राज्यों में वैक्सीन की बर्बादी (Wastage of Vaccine) बदस्तूर जारी है. स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक वैक्सीन की बर्बादी में झारखंड सबसे ऊपर है. जबकि स्वास्थ्य मंत्रालय का स्पष्ट निर्देश है कि वैक्सीन की बर्बादी को एक प्रतिशत से कम रखना है. मंगलवार शाम को जारी किए आंक़ड़ों के मुताबिक झारखंड में सबसे अधिक 37.3% वैक्सीन खुराकों की बर्बादी हुई. इसका मतलब यह है कि हर तीन में से एक खुराक बर्बाद हो गई. जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह औसत 6.3% है, कुछ अन्य राज्यों की बात करें तो छत्तीसगढ़ बर्बादी के मामले में दूसरे और तमिलनाडु तीसरे नंबर पर आता है. छत्तीसगढ़ में 30.2% बर्बादी हुई तो वहीं तमिलनाडु में यह आंकड़ा 15.5% का है. इनके बाद जम्मू कश्मीर (10.8%) और मध्य प्रदेश (10.7%) का नंबर है. 

वैक्सीन की बर्बादी पर झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने जवाब भी दिया है-

वैक्सीन की इतने बड़े पैमाने पर बर्बादी बड़ी चिंता का कारण है. किसी भी बड़े टीकाकरण अभियान में वैक्सीन की बर्बादी की बात का ध्यान रखा जाता है और इसी के हिसाब से वैक्सीन की खरीद और वितरण किया जाता है. इसी आंकड़े के हिसाब से देश की टीकाकरण की दर तय होती है. इसका एक सुनिश्चित फार्मूला है. किसी राज्य को हर महीने कितनी वैक्सीन देनी है वहां की आबादी और जिस आबादी को टीका लगना है उसके हिसाब से डोज की गणना की जाती है. यह गणना करते समय डब्ल्यूएमएफ यानी वेस्टेज मल्टीपल फैक्टर भी महत्वपूर्ण होता है. 

Advertisement

वैक्सीन की बर्बादी के दो महत्वपूर्ण कारण हैं. पहला बिना खुली शीशियों या वायल का एक्सपायर होना. या अधिक गर्मी या ठंड के कारण बर्बाद होना या फिर चोरी हो जाना. ऐसे वायल को वापस कर दिया जाता है. जबकि खुली शीशी या वायल में टीके की बर्बादी का प्रमुख कारण या तो पूरे डोज न दिया जाना, पर्याप्त संख्या में लोगों का टीकाकरण केंद्र न पहुंचना, खुली शीशी का पानी में गिरना, खुली वायल के संक्रमित होने की आशंका या फिर टीकाकरण कार्यक्रम को सही ढंग से न चला पाना है. 

Advertisement

Read Also: पहले टीका, फिर परीक्षा : यूपी बोर्ड की परीक्षाओं पर अखिलेश यादव ने कहा

जिन राज्यों में टीके की बड़े पैमाने पर बर्बादी हो रही है, जाहिर वे टीकाकरण कार्यक्रम को ठीक से नहीं चला पा रहे. दस लोगों का डोज है और केवल छह पहुंचते हैं तो बाकी चार डोज बर्बाद हो जाते हैं. दूसरा प्रमुख कारण टीका लगाने वालों का पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित न हो पाना भी है. हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी ओर से विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए हैं. 

Advertisement

यूपी के गांवों में कोविड वैक्सीनेशन बना चुनौती, स्वास्थ्य विभाग की टीम देखकर नदियों में कूदे लोग

जाहिर है इन राज्यों को यह ध्यान रखना होगा कि टीकाकरण कार्यक्रम में इस तरह की लापरवाही न हो. हर बर्बाद खुराक का मतलब है कि किसी दूसरे व्यक्ति को टीका न मिलना, ऐसे समय जब देश टीकों की पर्याप्त सप्लाई न होने के कारण कमी से जूझ रहा हो, टीकों की यह बर्बादी अक्षम्य है. 

Advertisement
Featured Video Of The Day
Chinmoy Krishna Das Bail: Bangladesh में चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका खारिज | Hindu Leader