जाति आधारित जनगणना को लेकर कई बार मांग उठ चुकी है. 2010 में इस ओर कदम भी उठाए गए थे, लेकिन इसका कोई निष्कर्ष नहीं निकला. अब बिहार में एक बार फिर जातीय जनगणना बहस का मुद्दा बन गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जोर देकर कहा है कि जातीय जनगणना बेहद आवश्यक है. इसके आधार पर लोगों को उनके हिस्से का लाभ मिल सकेगा. यह भी साफ हो जाएगा कि किस इलाके में किस जाति के कितने लोग रह रहे हैं. नीतीश के बयान पर राजद नेता तेजस्वी यादव ने चुटकी ली है. तेजस्वी यादव ने कहा है कि अगर केंद्र सरकार जातीय जनगणना की मांग नहीं मानी तो मुख्यमंत्री जी क्या करेंगे.
नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना को लेकर ट्वीट भी किया है किया है. उन्होंने ट्वीट में कहा कि हम लोगों का मानना है कि जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए. बिहार विधान मंडल ने दिनांक-18.02.19 एवं पुनः बिहार विधानसभा ने दिनांक-27.02.20 को सर्वसम्मति से इस आशय का प्रस्ताव पारित किया था तथा इसे केन्द्र सरकार को भेजा गया था. केन्द्र सरकार को इस मुद्दे पर पुनर्विचार करना चाहिए. बता दें कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार लंबे समय से कहते आ रहे हैं कि जनगणना जातीय आधार पर ज़रूर होनी चाहिए. शनिवार को उन्होंने अपनी यह मांग फिर से दोहरायी है. फैसला केंद्र सरकार के हाथ में है, देखने वाली बात होगी कि केंद्र नीतीश की बात को कितना वजन देती है.
नीतीश के बयान के बाद तेजस्वी यादव ने भी जातीय जनगणना को लेकर ट्वीट किया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि माननीय मुख्यमंत्री जी, केंद्र सरकार अगर जातीय जनगणना पर पुनर्विचार नहीं करेगी तो आप क्या करेंगे? हमारी मांग पर बिहार विधानसभा में सर्वसम्मति से जातिगत जनगणना का प्रस्ताव पारित किया गया था. केंद्र सरकार में आपकी हिस्सेदारी है. आपके कैबिनेट मंत्री है फिर भी अनुनय विनय कर रहे हैं?