दिल्ली: महीनों से नहीं मिल रही इमामों को तनख्वाह, जानिए पूरा मामला

फतेहपुरी के अंदर आलिया मदरसा चलता है, वहां पर दो-तीन सालों से सैलरी रुकी हुई है. इसमें कई लोग ऐसे हैं, जिनका इंतकाल हो चुका है. अब तो बोर्ड के लोगों की भी सैलरी नहीं मिल पा रही है. वो खुद इसको लेकर परेशान रहते हैं.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
नई दिल्ली:

वक्फ बोर्ड के अंतर्गत दिल्ली में मस्जिदों के इमामों और मुअज्जिनों की तनख्वाह पिछले कुछ सालों से रुकी हुई थी. लेकिन 5-5 महीनों की तीन किश्त में कुछ इमामों की तनख्वाह को जारी किया गया. हालांकि अभी भी इनको कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिसको लेकर इमाम मुफ्ती मोहम्मद कासिम और इमाम मोहम्मद अरशद नदवी ने आईएएनएस से खास बातचीत की और अपनी समस्याओं को सामने रखा.

एंग्लो अरेबिक स्कूल अजमेरी गेट के इमाम मुफ्ती मोहम्मद कासिम ने बताया, 'ये तनख्वाह 2022 के मई महीने से रुकी हुई है. इसमें इमाम और मुअज्जिन शामिल हैं. जिनकी तादाद 250 से अधिक है. काफी मेहनत के बाद वक्फ बोर्ड की तरफ से एक सर्कुलर आता है, जिसमें कहा जाता है कि जिस तरह पहले वक्फ बोर्ड 207 इमामों को और 73 मुअज्जिन को पैसा दिया जाता था उसी तरह 185 इमामों और 59 मुअज्जिन को पैसे दिए जाएंगे. करीब 36 को अवैध बताया गया और उनको वेतन देने से मना किया गया. ये 36 वक्फ की मस्जिदों में आज भी काम कर रहे हैं.'

उन्होंने आगे बताया सैलरी नहीं देने की परेशानी 2018 के बाद से बनी है. पहले इमामों को जो सैलरी दी जाती थी, वो वक्फ की अपनी आमदनी से दी जाती थी, लेकिन 2018 के बाद वक्फ बोर्ड ने एक फैसला किया और इमामों को ग्रांट पर डाल दिया और यह कहा कि जब ग्रांट पास होगा तो आपको बढ़ कर सैलरी मिलेगी. उस वक्त इस पर उचित कार्रवाई नहीं हुई, जिसके कारण ऐसी स्थिति बनी हुई है.

Advertisement

इमामदारों की रुकी हुई सैलरी को लेकर एक अन्य इमाम मोहम्मद अरशद वारसी ने आईएएनएस को बताया, ये मसले काफी दिनों से रुके हुए हैं. इमाम हमेशा मजलूम नहीं होता है. ये एक ऐसा तबका है, जिसे आमतौर पर नजरअंदाज किया गया है. इस मसले को कोई नहीं उठाता है.

Advertisement

उन्होंने आगे बताया, करीब 2-3 सालों से सैलरी को लेकर दिक्कत चल रही है. अभी हम लोगों की सैलरी 5-5 महीने की तीन किश्त में मिली है, जिसमें से बहुत सारे लोगों को सिर्फ दो किस्त मिली है. अभी हम लोगों की सैलरी करीब 13-14 महीनों की रुकी हुई है और कई लोगों की 18-19 महीने की रुकी हुई है.

Advertisement

फतेहपुरी के अंदर आलिया मदरसा चलता है, वहां पर दो-तीन सालों से सैलरी रुकी हुई है. इसमें कई लोग ऐसे हैं, जिनका इंतकाल हो चुका है. अब तो बोर्ड के लोगों की भी सैलरी नहीं मिल पा रही है. वो खुद इसको लेकर परेशान रहते हैं.

Advertisement

इमामों और मुअज्जिन का मसला अलग है. इनकी न तो कोई बात करता है, न ही इनके मसले कोई उठाने का काम करता है. इमाम खुद अपनी कोशिश करते हैं. इस समस्या को लेकर हमने आतिशी जी से बात की, लेकिन उन्होंने भी कोई साफ जवाब नहीं दिया और कहा कि हम इस पर गौर कर रहे हैं.

मुझे समझ में नहीं आता कि दिल्ली सरकार के अंतर्गत बहुत सारी संस्थाएं हैं, लेकिन उनका वेतन कभी नहीं रुकता. आखिर मस्जिद के इमाम और मुअज्जिन की ही सैलरी क्यों रोकी जाती है. जबकि हम लोगों की सैलरी बहुत ही मामूली है. जिसमें एक परिवार सही तरीके से नहीं चल सकता. सुनने में ये भी आ रहा है कि एक साल की सैलरी हम लोगों को अब नहीं मिलेगी.

उन्होंने आगे बताया कि करीब पांच साल पहले इमामों की सैलरी बढ़ाई गई थी. पहले जहां सैलरी 10,000 थी, उसको आगे बढ़ाकर 18,000 कर दी गई. लेकिन महंगाई के हिसाब से ये बहुत कम है.

इमाम ने आगे बताया कि इस सिलसिले में दिल्ली एलजी से भी मुलाकात हुई थी. एलजी साहब ने हमारी बात को गौर से सुना, जिसका नतीजा रहा कि पांच-पांच महीनों की सैलरी जारी करने का आदेश दिया था. हमसे उन्होंने 15 दिन का वादा लिया था कि और तय समय में हमारी सैलरी के मसले पूरे हुए.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Maharashtra Exit Poll: महायुति करेगी वापसी या MVA को मिलेगी सत्ता? | City Center
Topics mentioned in this article