New Waqf Amendment Bill : लोकसभा में वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को पेश कर दिया गया है. इस बिल को अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू ने पेश किया है. इस बिल को पेश करने के साथ ही लोकसभा में विपक्षी दलों ने हंगामा शुरू कर दिया. आपको बता दें कि वक्फ बोर्ड अधिनियम संशोधन बिल 2024 के जरिए 44वां करने जा रही है. केंद्र सरकार ने इस बिल को लोकसभा में पेश किए जाने से पहले कहा था कि इस बिल को पेश करना मकसद वक्फ की संपत्तियों का सुचारू रूप संचालित करना और उसकी देखरेख करना है. सदन में इस बिले के पेश होते ही सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच हंगामा शुरू हो गया. विपक्षी दलों ने इस बिल को किसी समुदाय विशेष खिलाफ बताया तो सरकार ने विपक्ष से हंगामा करने से पहले बिल में जोड़े गए प्रावधानों को पढ़ने का अनुरोध किया. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और कन्नौज से सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि मैं इस बिल का पूरी तरह से विरोध करता हूं.
सदन में इस बिल को लेकर बोलते हुए किरेन रिजिजू ने कहा कि मन ही मन में सब लोग इस बिल को अपना समर्थन दे रहे हैं. ये लोग राजनीति दबाव में समर्थन नहीं दे रहे हैं.मन ही मन कंविंस हैं.अंदर ही अंदर समर्थन दे रहे हैं,सबको पता है वक्फ के पास कितनी संपत्ति. भारत जैसे लोकतंत्र देश में ऐसी व्यवस्था चलनी चाहिए.ऐसा तरीका बनाया है कि सच्चाई सुननी पड़ेगी मेरी आवाज नहीं दबा सकते.संविधान से ऊपर कोई कानून नहीं हो सकता.गरीब महिला चाहे कोई भी हो, चाहे हिंदू हो या चाहे मुसलमान हो या फिर बौद्ध हो या फिर जैन, उनको न्याय दिलाना इस संसद की जिम्मेदारी है. बिल में संसोधन करने से पहले हमनें हजारों लाखों लोगों से संपर्क किया है, उनकी राय ली है.
रिजिजू ने आगे कहा कि 2014 से लेकर अब तक हमने जितने लोगों से इस कानून में संसोधन को लेकर संपर्क किया है वो शायद ही आज तक कभी हुआ हो.विपक्ष के सांसद कुछ चंद लोगों के आवाज को सदन में बुलंद कर रहे हैं. ये पूरे मुसलमान समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं. विपक्ष ने इस बिल को लेकर सिर्फ भर्म फैलाया है. जो बाते कही गई हैं वह पूरी तरह से झूठ पर आधारित हैं. 2013 में जो बदलाव किया गया था उसके तहत कोई भी आदमी वक्फ डिक्लेयर कर देते थे. हमने कहा कि ऐसा नहीं होगा. ये सिर्फ मुसलमान ही करेगा. इसलिए हमने पुराना सिस्टम में वापस जा रहे हैं. जब सर्वे कमिश्नर के काम को लेकर जितनी कमेटी हमने बनाई उन सभी ने बड़ी चिंता जताई गई थी. इसका जिक्र खुद सच्चर कमेटी में किया गया है. ये रिपोर्ट कांग्रेस के समय की है. हम इसके लिए ही इसमें बदलाव कर रहे हैं. हम ट्रिब्यूनल में को खत्म नहीं कर रहे हैं. पहले इसमें तीन मेंबर होते थे अब इसमें दो और मेंबर को जोड़ा जा रहा है. ये बिल पेश होने से जो हजारों केस पेंडिंग है उसपर फैसला आ जाएगा. नए नियम के मुताबिक अब 6 महीने के अंदर ही केसों का निपटारा किया जाएगा.
केंद्र द्वारा इस बिल को पेश किए जाने का विपक्षी दलों ने विरोध किया और इसे एक समुदाय विशेष के खिलाफ बताया है. कांग्रेस के सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा कि इस बिल को लाकर केंद्र धर्म और आस्था पर हमला कर रही है. वहीं, एनसीपी (एसपी) की नेता सुप्रिया सुले ने भी इस बिल को वापस लेने की बात कही. उन्होंने कहा कि इस बिल को पेश किए जाने से पहले विपक्षी दलों से बात तक नहीं की गई है. इस बिल में क्या कुछ है इसे हमें पढ़ने तक नहीं दिया गया है. विपक्षी दलों को बिल की कॉपी पहले ना दिए जाने के सवाल पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि ऐसा कहना पूरी तरह से गलत है. ये बेबुनियाद आरोप है.
डीएमके सांसद कनिमोझी करुणानिधि ने कहा कि यह बिल एक समुदाय के खिलाफ है. यह संविधान के अनुच्छेद 14 का साफ तौर पर उल्लंघन करता है. यह सेक्युलर देश है. यहां बहुधर्मी, बहुभाषी लोगों का देश है. मैं इस बिल का विरोध करती हूं. इस बिल को लेकर AIMIM के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि आप मुसलमानों के दुश्मन हैं, ये बिल इसी बात का सबूत है. आप इस बिल की मदद से मुझे प्रार्थना करने से भी रोक रहे हैं. वहीं, समाजवादी पार्टी के सांसद मोहिबुल्लाह ने कहा कि ये बिल मुसलमानों के साथ अन्याय करने जैसा है. हम बहुत बड़ी गलती करने जा रहे हैं, इस बिल का खामियाजा हमें सदियों तक भुगतना पड़ेगा.यह किसी धर्म में हस्तक्षेप करने जैसा है. कुरान या इस्लाम में क्या लिखा है, ये आप तय नहीं करेंगे.
इसके बाद पंचायती राज मंत्री और जेडीयू के सांसद राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने कहा कि कई सदस्य की बात सुनने से लग रहा है कि ये मुसलमान विरोधी है. मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि कौन सा कानून विरोधी है. मंदिर और संस्था का अंतर समझ नहीं आ रहा है तो ये कौन सा तर्क है. कानून से बनी संस्था को पारदर्शी बनाने के लिए कानून बनाया जा रहा है.कोई निरंकुश सस्था उसमें पादर्शिता लाने के लिए सरकार को हक है कानून बनाने का.ये मंदिर से तुलना कर रहे हैं. धर्म के नाम पर बंटवारा नहीं हो रहा, ये भ्रम फैला रहे हैं. केसी वेणुगोपाल अल्पसंख्यक की बात कर रहे हैं. देश में हजारों सिखों का नरसंहार किसने किया आपकी पारटी ने किया हम उसके गवाह हैं.सड़कों पर घूम घूम कर सिखो की हत्या करने वाले आज अल्पसंख्यकों की दुहाई दे रहे हैं.
"ये बिल उनके लिए है जिनको आज तक हक नहीं मिला है"
इस बिल को लेकर विपक्ष के आरोपों को देखते हुए केंद्रीय अल्पसंख्यक किरेन रिजिजू ने कहा कि मैं इस बिल से जुड़े हर कंफ्यूजन को दूर करूंगा. मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कहना चाहता हूं कि इस बिल को पेश करने में हमारी सरकार ने संविधान का किसी तरह से भी उल्लंघन नहीं किया है. हम इस बिल के सहारे किसी का हक छीनने नहीं जा रहे हैं बल्कि ये बिल इसलिए लाया जा रहा ताकि जिसको आज तक उनका हक नहीं मिल सका है उन्हें उनका हक मिल सके.
ये वक्फ बोर्ड संसोधन बिल सदन में कोई पहली बार पेश नहीं किया गया है. ये एक्ट 1954 में सबसे पहले इसे लाया गया है. इसके बाद कई बार इसमें संसोधन किया गया है. इस बिल के तहत जो संसोधन हम लाए हैं वो वक्फ बोर्ड बिल 1995 से जुड़ा है. 2013 में इसे बदला गया था इस वजह से हमें ये संसोधन करना पड़ रहा है. 1995 में किए गए संसोधन में जो भी प्रावधान लाया गया था उसे कई लोगों ने हर तरह से देखा. इसका पूरा अध्यन किया गया था. ये पाया गया था ये एक्ट जिस मकसद के लिए लाया गया था वो पूरा नहीं हो रहा था.
ये संसोधन एक तरीके से आप लोगों ने जो भी कदम उठाया है वो आप नहीं कर पाए और हम वही करने के लिए इस बिल को लेकर आ रहे हैं. मैं कहूंगा कि आप इस बिल का समर्थन कीजिए करोड़ों लोगों की दुआ मिलेगी. इस बिल का विरोध करने से पहले आप करोड़ों गरीब महिलाओं बच्चों और गरीब मुसलमानों का सोचिएगा.