खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) के प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा में एक गुरद्वारे के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई. अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी. निज्जर (45) भारत में अति वांछित आतंकवादियों में शामिल था जिस पर 10 लाख रुपये का इनाम घोषित था. खबरों के मुताबिक, दो अज्ञात बंदूकधारियों ने निज्जर (45) पर तब गोलियां चलाईं, जब वह पश्चिम कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में सरे स्थित गुरु नानक सिख गुरुद्वारा की पार्किंग से सोमवार को भारतीय समयानुसार सुबह छह बजे (कनाडा समयानुसार 18 जून, रविवार रात साढ़े आठ बजे) अपने वाहन से निकलने की तैयारी कर रहा था.
पुलिस अधिकारियों ने चिकित्सकों के पहुंचने तक निज्जर को प्राथमिक उपचार देने की कोशिश की, लेकिन घटनास्थल पर ही उसकी मौत हो गई. अधिकारियों ने कहा कि मामले में अभी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है और किसी संदिग्ध का विवरण जारी नहीं किया है. पिछले चार साल से वह इस गुरद्वारे का प्रमुख था. ऐसी अटकलें थीं कि पंजाब में आतंकी गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए यहां से वित्त पोषण किया जा रहा था.
निज्जर को जुलाई 2020 में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत भारत द्वारा ‘आतंकवादी' घोषित किया गया था और राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने सितंबर 2020 में देश में उसकी संपत्ति कुर्क की थी.
उसके खिलाफ 2016 में इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया गया था. सरे की स्थानीय पुलिस ने भी निज्जर को 2018 में आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता के संदेह में कुछ समय के लिए नजरबंद कर दिया था लेकिन बाद में उसे रिहा कर दिया गया था.
भारत के बाहर कुछ कुख्यात आतंकियों की लक्षित हत्याओं का यह नवीनतम मामला है। इससे पूर्व मई में, एक और वांछित खालिस्तानी आतंकवादी परमजीत सिंह पंजवार को अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मार दी थी, जब वह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की प्रांतीय राजधानी लाहौर में अपने आवास के पास सुबह की सैर के लिए निकला था. परमजीत पंजवार (63) खालिस्तान कमांडो फोर्स-पंजवार समूह का नेतृत्व कर रहा था और जुलाई 2020 में यूएपीए के तहत भारत द्वारा आतंकवादी के रूप में नामित किया गया था.
पंजाब के जालंधर में गांव भर सिंह पुरा के मूल निवासी निज्जर का 1995 में कनाडा में प्रवास के बाद से खालिस्तान उग्रवाद के साथ लंबा संबंध रहा. प्रारंभ में, बब्बर खालसा का सदस्य रहा निज्जर सदी के पहले दशक के कुछ सबसे हाई-प्रोफाइल आतंकी मामलों में शामिल था, जिसमें शिंगार सिनेमा बम विस्फोट (लुधियाना, 2007) और राष्ट्रीय सिख संगत के अध्यक्ष रुल्दा सिंह (पटियाला, 2009) की हत्या शामिल है. उसे पाकिस्तान में 2011 में भगोड़े केटीएफ सुप्रीमो जगतार सिंह तारा से मिलवाया गया था, जो अब भारत में कैद हैं और नवगठित केटीएफ में चला गया.
वह पाकिस्तान में वार्षिक जत्थे में तारा से मिलता रहा.इस दौरान उसे कथित तौर पर आईईडी के निर्माण और अत्याधुनिक हथियारों संभालने को चलाने का प्रशिक्षण दिया गया था.
अधिकारियों ने कहा कि निज्जर ने कनाडा से भी तारा को अच्छी तरह से वित्तीय मदद की और 2014 में पाकिस्तान से थाईलैंड में उसके ठिकाने को स्थानांतरित करने के लिए वित्त पोषण किया. जब 2014 के अंत में तारा को थाईलैंड से निर्वासन का सामना करना पड़ रहा था, तो निज्जर ने इसे रोकने के लिए थाईलैंड और पाकिस्तान के कई चक्कर लगाए.
लगभग डेढ़ दशक के अंतराल के बाद, डेरा अनुयायी मनोहर लाल अरोड़ा (नवंबर 2020) और गांव उधमपुर (रोपड़) के पूर्व सरपंच अवतार सिंह (दिसंबर 2021) की हत्या तथा भर सिंह पुरा गांव के पुजारी प्रज्ञा ज्ञान मुनि की हत्या के प्रयास (जनवरी 2021) सहित कई आतंकी मामलों में निज्जर का नाम फिर से सुर्खियों में आया था.
अधिकारियों ने कहा कि निज्जर ने सरे के पंजाबी गैंगस्टर अर्शदीप सिंह गिल उर्फ अर्श डल्ला के साथ गठजोड़ किया था और बाद में अपनी आतंकवादी साजिशों को वित्तपोषित करने के लिए पंजाब और कनाडा दोनों जगह संगठित वित्तीय अपराधों में शामिल हुआ. इस कदम से निज्जर सरे-डेल्टा क्षेत्र में सक्रिय संघर्षरत आपराधिक गिरोहों के निशाने पर आ गया था.
वर्ष 2019 की शुरुआत से, अमेरिका के सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) ने निज्जर को कनाडा में तथाकथित ‘रेफरेंडम 2020' अभियान को चलाने की जिम्मेदारी सौंपी थी.तब से, निज्जर सरे-वैंकूवर क्षेत्र में एसएफजे द्वारा प्रायोजित प्रदर्शनों और रैलियों में दिखता रहा. अधिकारियों के अनुसार, जब उसके शव को कनाडा की पुलिस घटनास्थल से ले जा रही थी तो सिखों के एक समूह ने खालिस्तान समर्थक और भारत विरोधी नारे लगाए.
हाल में लंदन में भारतीय उच्चायोग पर हमले में शामिल एक प्रमुख खालिस्तानी समर्थक अवतार सिंह पुरबा उर्फ खांडा की लंबी बीमारी के बाद बर्मिंघम शहर के एक अस्पताल में मौत हो गई. सिख फेडरेशन ब्रिटेन ने कहा कि अवतार सिंह ब्लड कैंसर से गंभीर रूप से बीमार था. शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल, पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सुमेध सिंह सैनी और वरिष्ठ अधिवक्ता राजविंदर सिंह बैंस की हत्या की साजिश के सिलसिले में वांछित अवतार सिंह ब्रिटेन में आतंकवादी गतिविधियों में शामिल था.
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