Vladimir Putin India Visit: व्लादिमीर पुतिन और PM मोदी की नई दिल्ली में बैठक खास होगी
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- रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत की दो दिवसीय यात्रा 4 दिसंबर से शुरू करेंगे
- भारत और रूस के बीच 23वें वार्षिक शिखर सम्मेलन में रक्षा और ऊर्जा सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होगी
- भारत रूस से अतिरिक्त S-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदना चाहता है, जो पहले ही ऑपरेशन सिंदूर में प्रभावी साबित हुआ
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हमें बताएं।Vladimir Putin India Visit: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गुरुवार, 4 दिसंबर को भारत की दो दिवसीय यात्रा शुरू करने जा रहे हैं. रूसी राष्ट्रपति इस दौरे पर नई दिल्ली में 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे. यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद से पुतिन अपनी पहली भारत यात्रा पर आ रहे हैं और कई मायनों में उनकी यह यात्रा खास होने वाली है. यह दौरा उस वक्त हो रहा है जब नई दिल्ली को रूसी तेल खरीदने से रोकने के लिए बढ़ते अमेरिकी दबाव का सामना करना पड़ रहा है. पुतिन की यह भारत यात्रा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से लेकर पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को मैसेज देने के साथ-साथ भारत के लिए 5 बड़े तोहफे (समझौते) भी लेकर आएगा.
- जिन प्रमुख मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है उनमें भारत को अतिरिक्त S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की डिलीवरी शामिल हैं. भारत रूस से सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल डिफेंस सिस्टम S-400 के अतिरिक्त बैच खरीदना चाहता है, क्योंकि ये हथियार ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बहुत प्रभावी साबित हुए थे. भारत ने 2018 में पांच S-400 यूनिट के लिए 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के डील पर हस्ताक्षर किए. अबतक तीन यूनिट भारत आ चुके हैं और अगले साल के मध्य तक दो और स्क्वाड्रन मिलने की उम्मीद है.
- क्रेमलिन यानी रूसी सरकार के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा है कि शिखर सम्मेलन की चर्चा में रूस के पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान, Su-57 में भारत की रुचि शामिल हो सकती है. उन्होंने कहा कि Su-57 "दुनिया का सबसे अच्छा विमान" है और उन्होंने ब्रह्मोस जैसे संयुक्त प्रयासों सहित रक्षा प्रौद्योगिकी सहयोग का विस्तार करने की मास्को की इच्छा का संकेत दिया है. भारत वर्तमान में अगली पीढ़ी के फाइटर जेट्स को वायुसेना में शामिल करने के लिए मूल्यांकन कर रहा है, जिसमें दावेदार के रूप में राफेल, एफ-21, एफ/ए-18 और यूरोफाइटर टाइफून जैसे फाइटर जेट्स भी शामिल हैं.
- उम्मीद की जा रही है कि भारत पेंडिंग चल रहे सैन्य हथियारों के हार्डवेयर की जल्द से जल्द डिलीवरी के लिए दबाव डालेगा. यहां ध्यान देने वाली बात है कि यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद से रूस की तरफ से कुछ सैन्य प्लेटफार्मों की डिलीवरी में देरी हुई है.
- भारत और रूस के बीच की बातचीत में भारत की ऊर्जा सुरक्षा प्रमुखता से शामिल होगी. यहां रूसी कच्चे तेल के भारतीय आयात पर लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंधों का प्रभाव के एक केंद्रीय विषय होने की उम्मीद है. पेसकोव ने कहा कि भारत की खरीदारी में "थोड़े समय के लिए" गिरावट आ सकती है, हालांकि रूस सप्लाई बनाए रखने के प्रयास कर रहा है.
- मोदी और पुतिन की बातचीत के बाद दोनों देशों के बीच कई समझौतों पर हस्ताक्षर होने की संभावना है. इनमें से एक भारतीय श्रमिकों (वर्कर्स) के रूस में जाने और काम करने संबंधी एक समझौता भी हो सकता है. ऐसा बताया जा रहा है कि फार्मा, कृषि, खाद्य उत्पादों और उपभोक्ता वस्तुओं के क्षेत्रों में रूस को भारतीय निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है. यह कदम ऐसे समय में उठाया जा रहा है, जब नयी दिल्ली रूस के पक्ष में बढ़ते व्यापार घाटे को लेकर चिंतित है. दरअसल भारत द्वारा रूस से प्रतिवर्ष लगभग 65 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के सामान एवं सेवाएं खरीदी जाती हैं, जबकि रूस का भारत से आयात लगभग पांच अरब अमेरिकी डॉलर है.
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