शौक बहुत बड़ी चीज है, और इंसान शौक के लिए क्या-क्या नहीं करता. VIP नंबर से अपनी कार को कुछ अलग दिखाने के लिए लोग लाखों खर्च करने को भी तैयार होते हैं. आजकल वीआईपी नंबर का खूब क्रेज देखने को मिल रहा है. स्टेटस सिंबल की चाहत में लोगों ने आर्थिक विचारों को पीछे छोड़ दिया है.
वीआईपी नंबर के लिए कब कितने खर्च किए गए?
परिवहन विभाग के अनुसार दिल्ली में वीआईपी नंबर - 0001 वाहन लाइसेंस प्लेट की नीलामी में 23.4 लाख रुपये की बोली लगी. इस राशि से दो प्रीमियम हैचबैक या एक अच्छी एसयूवी खरीदी जा सकती थी. एक हॉस्पिटैलिटी फर्म ने 0001 नंबरप्लेट के लिए जून 2017 में 16 लाख का भुगतान किया, जो एक रिकॉर्ड है. इससे पहले रिकॉर्ड 12.5 लाख का था, सितंबर 2014 में भी इसी नंबर के लिए बोली लगी थी. जेम्स बॉन्ड और एम एस धोनी (जर्सी नंबर 7 और जन्मदिन 7 जुलाई) के साथ जुड़ाव के कारण 0007 पर भी ऊंची बोली लग रही है.
क्या मिलता है फायदा?
वीआईपी नंबर के वाहन पर कोई फायदा या छूट नहीं होती है. यह केवल स्टेटस सिंबल की चाहत होती है. वीवीआईपी नंबर के लिए लाखों खर्च करना पड़ता है.
कैसे मिलता है वीआईपी नंबर?
वीआईपी नंबर के लिए सबसे पहले आपको भारत सरकार की बेबसाइट parivahan.gov.in पर रजिस्ट्रेशन करना होता है. फिर आप उपलब्ध नंबर का विकल्प चुन सकते हैं. यहां सभी राज्यों के लिए अलग-अलग नंबर जारी किए जाते हैं, जिसमें राज्यों का कोड होता है. आपके की ओर चुने गए नंबर की बोली लगती और बोली में जो सबसे उंची बोली लगता है. नंबर उसे मिल जाता है.
2022 में मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) की अध्यक्षता वाली इंडस्ट्रीज (आरआईएल) ने एक अल्ट्रा-लक्जरी रोल्स रॉयस (Rolls Royce) हैचबैक खरीदी थी, जिसकी कीमत ₹ 13.14 करोड़ थी. रिलायंस ने अपने चेयरमैन और प्रबंध निदेशक की नई कार के लिए वीआईपी नंबर के लिए ₹12 लाख का भुगतान भी किया है. अधिकारियों ने कहा कि संख्या "0001" के साथ समाप्त होती है.
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