दिल्ली के मुखर्जी नगर में 15 जून को डीडीए के एक कमर्शियल इमारत में आग लग गई. इस घटना में दिल्ली पुलिस के मुताबिक, 69 छात्र घायल हुए. जिसमें से तीन छात्र अभी भी तीन अलग-अलग अस्पताल में भर्ती है, जहां उनका इलाज चल रहा है. NDTV ने इस हादसे के बाद मुखर्जी नगर में चल रहे कोचिंग इंस्टीट्यूट्स के हालात का जायजा लिया. जिस बिल्डिंग में आग लगी वहां फायर सेफ्टी नॉर्म का पालन नहीं किया जा रहा था. नियमों का उल्लंघन सिर्फ इस बिल्डिंग में नहीं है. मुखर्जीनगर में ढेरों ऐसी इमारतें है, जहां सुरक्षा की अनदेखी की जा रही है. डीडीए द्वारा बनाए गए ज्यादातर इमारतों में संकरी सीढ़ियां, सीढ़ियों के दीवारों पर लगे बिजली के मीटर और खराब पड़े अग्निशामक यंत्र है.
इन सभी के पास एनओसी नहीं है. दिल्ली फायर सर्विसेज के निदेशक अतुल गर्ग कहते हैं, "हर इमारत को एनओसी की जरूरत नहीं होती है. अभी तक हमने दिल्ली में किसी भी कोचिंग इंस्टीट्यूट को फायर एनओसी नहीं दिया है, क्योंकि उन्हें दिल्ली फायर सर्विस एक्ट में नहीं जोड़ा गया है."
आग की घटना के बाद हमने पाया कि मुखर्जी नगर में जितने इमारतों में कोचिंग इंस्टीट्यूट चल रहे है, वो इमारत सुरक्षा की दृष्टि से छात्रों के लिए सुरक्षित नहीं हैं. हादसे के बाद वहां इमारतों, खासकर खिड़कियों पर लगे इंस्टीट्यूट्स के पोस्टर्स को हटा दिया गया है.
यूपीएससी की तैयारी कर रहे 24 वर्षीय मोहित कुमार कहते हैं, "जिन इमारतों में कोचिंग चल रहे हैं उनकी हालत जर्जर है. अगर इंस्टीट्यूट इतनी फीस ले रहे हैं तो इस तरह के हादसों में उनकी जिम्मेदारी भी बननी चाहिए."
दिल्ली में नियम ना होने का फायद उठाते कोचिंग इंस्टीट्यूट
दिल्ली में कोचिंग इंस्टीट्यूट को चलाने के लिए दमकल विभाग से एनओसी को लेकर कोई स्पष्ट नियम नहीं है. यह बात कोचिंग इंस्टीट्यूट भी बखूबी जानते है, इसलिए वह इसका फायदा उठाकर किसी भी बिल्डिंग में कोचिंग चलाते है. मुखर्जी नगर, कालू सराय, लक्ष्मीनगर और मुनिरका हर जगह कोचिंग संचालक छात्रों की सुरक्षा को लेकर बेखबर है.
दिल्ली दमकल विभाग ने साल 2021 में 2153 फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट जारी किया था, जो साल 2022 में वह बढ़कर 2456 हो गया. अगर स्कूल कॉलेज की बात करें तो 2022 में 1363 स्कूल, 29 कॉलेज को एनओसी जारी किया.
चार साल से मुखर्जीनगर इलाके में रह कर यूपीएससी की तैयारी कर रहे देवरत्न कहते हैं, "किसी भी बिल्डिंग में सुरक्षा के नाम पर कुछ भी नहीं है. अगर होता है छात्र खिड़कियां तोड़कर बाहर क्यों निकलते?"
दमकल विभाग के आंकड़े बताते है कि 2022-23 में 17043 आग की घटना को लेकर फोन कॉल आए. इस दौरान 95 लोगों की मौत हुई है, जबकि 749 लोग घायल हुए. 2021-22 में फोन कॉल का आंकड़ा 14268 था.
संस्कृति कोचिंग के ऑनलाइन प्रोग्राम हेड नरेंद्र प्रताप एनडीटीवी से बातचीत में कहते हैं, "डीडीए की जिस बिल्डिंग में हमारी कोचिंग चल रही है उसे एनओसी की जरूरत नहीं है, फिर भी हमने कोचिंग के अंदर फायर सिलेंडर लगाए थे."
कोचिंग सेंटर को लेकर नियम भले ही नहीं है. लेकिन लापरवाही की हद यह है कि साल 2019 में दिल्ली सरकार ने दमकल विभाग को एक आदेश जारी कर राजधानी में कोचिंग सेंटर की जांच करने को कहा था. यह आदेश 2019 में सूरत के कोचिंग सेंटर में 20 लोगों की आग लगने से मौत के बाद दिया था, लेकिन विभाग से लेकर स्थानीय प्रशासन ने कोई ठोस कदम उठाया होता तो शायद ये हादसा ना होता.
अब मुखर्जीनगर हादसे पर दिल्ली हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए फायर विभाग को दिल्ली में फायर सेफ्टी की स्थिति का जायजा लेने को कहा है. कोर्ट के आदेश पर अतुल गर्ग कहते हैं, "आदेश की कॉपी तो अभी तक हमारे पास नहीं आई है, लेकिन हमारी टीम दिल्ली के अलग-अलग इलाकों की जांच कर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी."
एजुकेशनल इंस्टीट्यूट को लेकर नियम
रिटायर्ड दिल्ली चीफ फायर ऑफिसर विपिन केंटल एनडीटीवी से बातचीत में कहते हैं, "स्कूल और कॉलेज के लिए नियम है, लेकिन कोचिंग के लिए कोई नियम नहीं है. हमें इन्हें फायर सेफ्टी नियमों के तहत लाना चाहिए."
वह आगे बताते हैं कि दिल्ली में कितने कोचिंग चल रहे है इसको लेकर एमसीडी, दिल्ली पुलिस किसी को कुछ नहीं पता है. क्योंकि इन्हें रेगुलेट करने के लिए कोई संस्था नहीं है.
वह बताते है-
- नेशनल बिल्डिंग कोड के अनुसार एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में जहां 100 से ज्यादा छात्र हो वहां दो बाहर जाने का रास्ता होना चाहिए.
-सीढ़ियों के लिए 1.50 मीटर की जगह होनी चाहिए.
- एजुकेशनल इंस्टीट्यूट के लिए 9 मीटर से ऊंची इमारत के लिए एनओसी अनिवार्य है.
- ऑटोमेटिक स्प्रिंकलर सिस्टम का डिजाइन और इंस्टालेशन भारतीय ब्यूरो द्वारा प्रकाशित IS 15105 के अनुसार होना चाहिए.
- 500 स्केयर मीटर का एरिया होने पर तो दो सीढ़ियां होनी चाहिए
खराब स्थिति में बिजली के मीटर
मुखर्जी नगर में 15 जून को लगी आग का मुख्य कारण बिजली के मीटर में ब्लास्ट होना था. चश्मदीद रूपेश जो आग का शिकार हुई इमारत के सामने किराना दुकान चलाते है. वह बताते हैं, "सुबह के करीब 11:50 मिनट पर आग शुरू हुई. मीटर में आग लगने से बहुत तेज आवाज आने लगी और कुछ ही देर में धुंआ फैल गया. आसपास के लोगों ने आग बुझाने के लिए फायर सिलेंडर का उपयोग किया लेकिन वह आग बुझाने में नाकाम रहे."
इसी इलाके में पांच सालों से इलेक्ट्रीशियन का काम करने वाले विकास शुक्ला बताते हैं, "इस इलाके में मौजूद हर इमारत में बिजली के मीटर खराब हालात में है. सभी ने प्लाईवुड से इन मीटरों को ढक दिया जिससे की आग लगने का खतरा बढ़ गया है. कई इमारतों में मीटर 20 साल पुराने है. पुराने होने के वजह से इनमें आग लगने का खतरा बना रहता है क्योंकि कुछ लोड उठा पाते है और कुछ नहीं."
हादसे के बाद से डर के कारण इलाके में कई कोचिंग इंस्टीट्यूट बंद हो गए हैं और छात्र अपने घर चले गए हैं. जांच अधिकारी महेंद्र प्रताप बताते हैं कि हमें घायल बच्चों का बयान लेना है लेकिन वह अभी यहां नहीं है. उनसे संपर्क किया जा रहा है.
इसी बीच पुलिस ने 12 छात्रों और 4 स्टॉफ के बयान के आधार पर दो कोचिंग संचालकों को गिरफ्तार किया था लेकिन बाद में उन्हें कोर्ट से जमानत मिल गई है.
इलाके में कोचिंग इंस्टीट्यूट बंद है लेकिन वहां रहकर तैयारी करने वाले कई छात्र इस हादसे के बाद से प्रदर्शन कर रहे है. उनका कहना है कि छात्रों की सुरक्षा को लेकर प्रशासन को ध्यान देना चाहिए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.