विजय रूपाणी ने जिस फ्लाइट को शुरू कराया था, उसी में हुई मौत; लकी नंबर के दिन छोड़ी दुनिया

गुजरात के अहमदाबाद में गुरुवार को हुए विमान हादसे में भाजपा के वरिष्ठ नेता और गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की मौत हो गई. वह 68 वर्ष के थे.

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एयर इंडिया प्लेन हादसे में गुजरात के पूर्व सीएम विजय रूपाणी की भी मौत हो गई. विजय रूपाणी के ही मुख्यमंत्री रहने के दौरान अहमदाबाद से लंदन के लिए डायरेक्ट फ्लाइट शुरू हुई थी. उस समय किसी ने सोचा तक नहीं था कि उनकी मौत इसी यात्रा के दौरान ऐसे हो जाएगी. विजय रूपाणी की मौत का एक दुखद पहलू ये भी है कि जिस नंबर को वो अपने लिए लकी मानते थे, उसी नंबर पर उनकी मौत हो गई. ये कुदरत के ऐसे फैसले हैं, जिन्हें समझ पाना किसी इंसान के बूते की बात नहीं.

हादसे के प्रत्यक्षदर्शी

गुजरात के अहमदाबाद में हुआ विमान हादसा रोंगटे खड़े करने वाला था. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि पहले हमें आसमान में काला धुआं दिखा, तो लगा कि कहीं आग लगी होगी. इसके बाद पता चला कि एयर इंडिया का विमान क्रैश हो गया. प्रत्यक्षदर्शी राकेश मिश्रा ने बताया, "पूरा प्लेन आग के गोले में तब्दील हो चुका था. मंजर देखकर लग रहा था कि किसी का भी बच पाना मुश्किल ही है. आसपास के लोग भी कुछ भी करने की स्थिति में नहीं थे. ऐसी स्थिति में कुछ भी नहीं किया जा सकता था."

कौन सा था लकी नंबर

रूपाणी का सीट नंबर 2D था. 1206 को रूपाणी अपना लकी नंबर मानते थे. अब इसे नियति का खेल कहें या कुछ और कि इसी नंबर वाली तारीख उनकी जिंदगी का आखिरी दिन भी साबित हुआ.रूपाणी को करीब से जानने वालों को अच्‍छे से मालूम है कि उनके लिए 1206 सिर्फ एक नंबर नहीं था, बल्कि यह भाग्य का प्रतीक था. वह इस पर इतना यकीन रखते थे कि उनकी पहली स्‍कूटी का नंबर हो या फिर उनके पास मौजूद कारें, सभी की नंबर प्‍लेट पर 1206 ही दर्ज था. उनके दोस्तों की मानें तो यह हमेशा से उनके लिए भाग्यशाली रहा था.हालांकि, किस्‍मत पर शायद किसी का जोर नहीं चलता है और 12/06 को ही उसने एक खतरनाक मोड़ ले लिया. रूपाणी के लिए जो नंबर यानी 1206 अब तक लकी था, वही उनकी जिंदगी का आखिर दिन बन गया. वो भी उनके जरिए शुरू कराए गए फ्लाइट में.

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विजय रूपाणी की सफलता की कहानी

  1. विजय रूपाणी का जन्म 2 अगस्त 1956 को म्यांमार (तत्कालीन बर्मा) के यांगून शहर में हुआ था. उनके पिता रमणिकलाल रूपाणी और मां मायाबेन के सात बच्चों में वे सबसे छोटे थे. उनके पिता वहां व्यापार के लिए गए थे. हालांकि, 1960 में म्यांमार में हुए राजनीतिक उथल-पुथल के कारण उनका परिवार भारत लौट आया और गुजरात के राजकोट शहर में बस गया.
  2. राजकोट में पले-बढ़े रूपाणी ने अपनी शिक्षा सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी से पूरी की, जहां उन्होंने बीए और एलएलबी की डिग्री हासिल की. छात्र जीवन से ही वे राष्ट्रवादी विचारधारा की ओर आकर्षित हुए और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़ गए. 1971 में रूपाणी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े और यहीं से उनके सार्वजनिक जीवन की नींव रखी गई. 
  3. 1975 में आपातकाल के दौरान वे लोकतंत्र की रक्षा के लिए आगे आए और 11 महीने जेल में बिताए.1996-97 में वे राजकोट नगर निगम के मेयर बने। इसके बाद उनका राजनीतिक करियर तेजी से आगे बढ़ा. 1998 में उन्हें गुजरात भाजपा का प्रदेश सचिव नियुक्त किया गया.2006 में विजय रूपाणी को गुजरात पर्यटन निगम का चेयरमैन बनाया गया. इसी वर्ष वे राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए और 2012 तक उन्होंने उच्च सदन में गुजरात का प्रतिनिधित्व किया.
  4. 2013 में नरेंद्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए उन्हें गुजरात म्यूनिसिपल फाइनेंस बोर्ड का चेयरमैन नियुक्त किया गया.2014 में विजय रूपाणी ने राजकोट वेस्ट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इसके बाद आनंदीबेन पटेल के मंत्रिमंडल में उन्हें परिवहन मंत्री बनाया गया.2016 में उन्हें गुजरात भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया. उसी वर्ष 7 अगस्त को उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. 
  5. 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने विजय रूपाणी के नेतृत्व में जीत हासिल की और वे एक बार फिर मुख्यमंत्री बने. उन्होंने 2021 तक इस पद को संभाला और राज्य की राजनीति में स्थिरता व सुशासन के प्रतीक बने रहे. उन्हें काफी शांत प्रवृत्ति के सीएम के तौर पर जाना जाता था.विजय रूपाणी ने भाजपा महिला मोर्चा की सदस्य अंजली से विवाह किया. उनके दो बेटे और एक बेटी हैं. एक बेटे का निधन एक कार दुर्घटना में हो गया था. उनकी बेटी की शादी हो चुकी है, जबकि उनका दूसरा बेटा इंजीनियर है.

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