- विजय माल्या ने भारत सरकार और बैंकों पर ऋण वसूली में पारदर्शिता न होने का आरोप लगाया है
- वित्त मंत्री और राज्य मंत्री के बयानों में विजय माल्या के बकाया ऋण राशि को लेकर अंतर स्पष्ट नहीं है
- विजय माल्या ने अपने ऋण के लेखा-जोखा और जमा विवरण के अभाव पर न्यायाधीश नियुक्ति की मांग की है
लोन लेकर देश छोड़कर भागे किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक विजय माल्या का दर्द रह-रह का उभर आता है. वो भारत सरकार पर आरोप लगाते हैं, मगर ये भूल जाते हैं कि देश छोड़कर वो भागे थे. अगर उन्होंने कुछ गलत नहीं किया था तो देश छोड़कर भागने की जरूरत ही नहीं थी. मगर वो भागे, और जब भारत का कानून उन्हें वापस लाने की कोशिशों में लगा तो उन्होंने कई अड़ंगे लगाए.
विजय माल्या के सवाल
एक्स पर विजय माल्या ने अपने ताजा पोस्ट में लिखा, 'भारत सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक मुझे और जनता को कब तक धोखा देते रहेंगे? वित्त मंत्री संसद में कह रही हैं कि मुझसे 14,100 करोड़ रुपये वसूले गए. बैंक कह रहे हैं कि 10,000 करोड़ रुपये वसूले गए. 4,000 करोड़ रुपये के अंतर का क्या? अब, वित्त राज्य मंत्री संसद को बता रहे हैं कि मुझ पर अभी भी 10,000 करोड़ रुपये बकाया हैं, जबकि बैंकों का दावा है कि मुझ पर 7,000 करोड़ रुपये बकाया हैं. वसूल की गई राशि का कोई लेखा-जोखा या जमा विवरण नहीं है. सच जानने के लिए एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की नियुक्ति क्यों नहीं की गई, खासकर जब मेरा न्याय ऋण 6203 करोड़ रुपये था. मेरे लिए भी यह बहुत दयनीय स्थिति है."
नीरव मोदी, विजय माल्या जैसे कई भगोड़े अपराधी ब्रिटेन की अदालतों में केस लड़कर अपने भारत प्रत्यर्पण का विरोध कर रहे हैं. लेकिन हाल ही में एक ऐसा घटनाक्रम हुआ है, जिससे इन जैसे अपराधियों को वापस भारत भेजे जाने की संभावना मजबूत हुई है.
नीरव मोदी, माल्या ने बताया था खतरा
विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे भगोड़े अपराधी ब्रिटेन की अदालतों में दलील दे रहे हैं कि अगर उन्हें भारत वापस भेजा गया तो उनकी जान को खतरा हो सकता है. नीरव मोदी ने तो कहा था कि भारत प्रत्यर्पित किए जाने पर या तो वह मारा जाएगा या खुदकुशी कर लेगा. इन अपराधियों की ऐसी ही दलीलों को देखते हुए ब्रिटेन की क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (CPS) की एक टीम कुछ समय पहले दिल्ली के तिहाड़ जेल आई थी. सूत्रों के मुताबिक, ब्रिटेन की क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस की इस टीम में चार लोग थे. दो CPS के एक्सपर्ट थे और दो ब्रिटिश हाई कमीशन के अधिकारी शामिल थे. यह दौरा जुलाई में हुआ था. टीम यह देखने आई थी कि अगर ब्रिटेन से भगोड़ों को भारत भेजा जाता है तो तिहाड़ में उन्हें कैसी सुविधा और सुरक्षा मिलेगी. इसमें नीरव मोदी ,विजय माल्या और कई भगोड़े अपराधियों के केस शामिल हैं.













