विजय माल्या ने किंगफिशर को कर्ज दिलाने के लिए IDBI उच्चाधिकारी के साथ रची थी साजिश : CBI

आरोप पत्र में आईडीबीआई द्वारा दी गयी राशि कुल 750 करोड़ रूपये तक सीमित रखी जानी थी, लेकिन अल्पावधि ऋण को दासगुप्ता की शह पर एक अलग ऋण के रूप में रखे जाने के कारण यह राशि दिसंबर 2009 में बढ़कर 900 करोड़ रुपये हो गयी.

विज्ञापन
Read Time: 24 mins
सीबीआई ने आरोप पत्र में कई देशों से मिले सबूतों का भी जिक्र किया है.
मुंबई:

आईडीबीआई बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने किंगफिशर एयरलाइन को ऋण की अनुमति दिलवाने और भुगतान करवाने के लिए शराब व्यवसायी और इस एयरलाइन के मालिक विजय माल्या के साथ कथित तौर पर साजिश रची थी. मुंबई की एक अदालत में सीबीआई द्वारा दाखिल आरोप पत्र में यह बात कही गयी है. माल्या 900 करोड़ रुपये के आईडीबीआई-किंगफिशर ऋण धोखाधड़ी मामले में एक आरोपी है और मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो द्वारा की जा रही है. केंद्रीय एजेंसी ने यहां एक विशेष अदालत के समक्ष हाल में अनुपूरक आरोप पत्र दाखिल किया.

आरोप पत्र के अनुसार आईडीबीआई के पूर्व बैंक महाप्रबंधक बुद्धदेव दासगुप्ता ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने सहयोगियों एवं माल्या के साथ अक्टूबर 2009 में किंगफिशर एयरलाइन को 150 करोड़ रुपये के अल्पावधि ऋण को अनुमोदन दिलवाने और उसका भुगतान करने के लिए कथित रूप से साजिश रची. एजेंसी इस मामले में पहले ही 11 आरोपियों को नामजद कर चुकी थी. पूरक आरोप पत्र के माध्यम से उसने दासगुप्ता को भी नामजद किया है.

सीबीआई के अनुसार अल्पावधि ऋण विदेशी सेवा प्रदाताओं के प्रति की गई प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए छह माह की अवधि के लिए मांगा गया था. इनमें विमान को पट्टे पर देने वाले एवं अन्य सेवा प्रदाताओं से की गई प्रतिबद्धताएं बतायी गयी थीं.

Advertisement

एजेंसी के अनुसार दासगुप्ता ने मूल रूप से इस 150 करोड़ रुपये के ऋण की परिकल्पना इस प्रकार की थी कि एयरलाइन ने 750 करोड़ रुपये का जो ऋण शुरू में मांगा था, उसी में से इस नये कर्ज को समायोजित भुगतान किया जाएगा.

Advertisement

सीबीआई के अनुसार बहरहाल, प्रस्ताव में परिवर्तन कर दिया गया ताकि यह दर्शाया जा सके कि मानों ऋण समिति ने इसे एक भिन्न कर्ज के रूप में लिया है, जिसका समायोजन भुगतान कुल ऋण से किया जा सकता (नहीं भी किया जा सकता) है.

Advertisement

आरोप पत्र में आईडीबीआई द्वारा दी गयी राशि कुल 750 करोड़ रूपये तक सीमित रखी जानी थी, लेकिन अल्पावधि ऋण को दासगुप्ता की शह पर एक अलग ऋण के रूप में रखे जाने के कारण यह राशि दिसंबर 2009 में बढ़कर 900 करोड़ रुपये हो गयी.

Advertisement

जांच के क्रम में सीबीआई अदालत की अनुमति के अनुसार ब्रिटेन, मॉरिशस, अमेरिका एवं स्विटजरलैंड में अनुरोध पत्र भेजे गए. किसी भी देश की अदालत न्याय प्रदान करने के क्रम में इन अनुरोध पत्रों के जरिए किसी अन्य देश के न्यायालय से सहायता लेती है. आरोप पत्र में इन देशों से मिले साक्ष्यों का भी उल्लेख किया गया है.

Featured Video Of The Day
International Space Mission: May में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाएंगे Group Captain Shubhanshu Shukla
Topics mentioned in this article