VIDEO : तो इस तरह से टनल में फंसे मजदूरों को स्ट्रेचर की मदद से निकाला जाएगा बाहर

उत्तरकाशी के टनल में बीते 13 दिनों से 41 मजदूर फंसे हुए हैं. अब इन्हें निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन अंतिम चरण में है. सूत्रों के अनुसार अगले कुछ घंटों में मजदूरों को बाहर निकाला जा सकता है.

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उत्तराखंड के टनल में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन आखिरी चरण में

नई दिल्ली:

उत्तरकाशी के टनल में बीते 13 दिनों से चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन अब आखिरी चरण में पहुंच चुका है. अब किसी भी वक्त टनल में फंसे मजदूरों को बाहर निकाला जा सकता है. इस बीच रेस्क्यू के काम में जुटे कर्मचारियों ने स्ट्रेचर को ड्रिल किए गए मलबे में डालकर मजदूरों को बाहर निकालने का अभ्यास किया. बताया जा रहा है कि अंदर फंसे मजदूरों को स्ट्रेचर की मदद से ही बाहर निकाला जाएगा. 

बता दें कि सिलक्यारा सुरंग में 12 दिन से फंसे 41 श्रमिकों का तनाव दूर करने के लिए बचाव दल ने उन्हें ‘बोर्ड गेम' लूडो और ताश उपलब्ध कराने की योजना बनाई है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. श्रमिकों को निकालने के अभियान में कई व्यवधान आ रहे हैं. गुरुवार देर रात सुरंग के मलबे के बीच से पाइप डालने के काम को रोकना पड़ा क्योंकि जिस प्लेटफॉर्म पर ड्रिलिंग मशीन टिकी हुई है, उसमें दरारें दिखने के बाद ड्रिलिंग रोक दी गई थी. 

कुछ दिन पहले ही रेस्क्यू ऑपरेशन के बीच आने वाली रुकावट को दूर करने और मजदूरों को जल्दी बाहर निकालने के लिए दिल्ली से कुछ विशेषज्ञ भी उत्तरकाशी पहुंचे हैं, जो किसी तरह की बाधा में मदद करेंगे. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवान पहले पाइप से टनल में जाएंगे और वहां से ज्यादा कमज़ोर मज़दूर या जिनकी उम्र थोड़ी ज़्यादा है, उनको पहले बाहर निकालने की योजना है.

घटनास्थल पर एंबुलेंस भी तैनात हैं, जिससे सुंरग से निकाले जाने के बाद मज़दूरों को अस्पताल ले जाने की तैयारी है. जिसके लिए चिन्यालीसौड़ में एक सामुदायिक भवन में 41 बेड वाला एक विशेष अस्पताल भी तैयार किया गया है. और टनल से लेकर अस्पताल तक ग्रीन कॉरिडोर तैयार किया गया है यानी हर स्तर पर मज़दूरों को सुरक्षित बचाने की तैयारियां हैं. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी कल शाम से उत्तरकाशी में मौजूद हैं.

आपको बता दें कि सुरंग में करीब 57 मीटर में मलबा गिरा हुआ है, जिसकी दूसरी तरफ़ मज़दूर फंसे हुए हैं. 800 मीटर के लोहे के पाइप मलबे के बीच से डाले जा रहे हैं और जब ये दूसरी ओर पहुंच जाएंगे तो इसके भीतर से मज़दूरों को निकाल लिया जाएगा. व्हील वाले स्ट्रेचर के जरिए मजदूरों को निकाला जाएगा. मजदूरों को स्ट्रेचर्स पर लिटा कर बाहर खींचे जाने की तैयारी है.