सारण के सिताबदियारा पहुंचे उपराष्‍ट्रपति राधाकृष्‍णन, जयप्रकाश नारायण की जयंती पर दी श्रद्धांजलि

लोकनायक जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को सारण जिले के सिताबदियारा में हुआ था. वे स्वतंत्रता आंदोलन के सिपाही थे और स्‍वतंत्रता आंदोलन के दौरान जेल भी गए.

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  • उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने सिताबदियारा में लोकनायक जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया.
  • उपराष्ट्रपति ने जेपी की जयंती के मौके पर स्थानीय लोगों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनी और चर्चा की.
  • जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को सारण जिले के सिताबदियारा में हुआ था.
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छपरा :

लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती के अवसर पर शनिवार को उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन बिहार के सिताबदियारा पहुंचे. उपराष्‍ट्रपति ने जेपी की आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. जेपी की जयंती के अवसर पर आयोजित समारोह के लिए उपराष्‍ट्रपति पटना से सड़क मार्ग के जरिए सुरक्षा व्यवस्था के बीच पहुंचे और उन्‍हें नमन किया. लोकनायक जयप्रकाश नारायण, जिन्हें ‘जेपी' के नाम से भी जाना जाता है, 1970 के दशक के मध्य में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए याद किए जाते हैं. 

सारण जिले में पहली बार आए उपराष्ट्रपति ने जेपी की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद स्थानीय लोगों से भी मुलाकात की और उनकी समस्याओं को भी सुना. इस दौरान काफी लोगों ने अपनी अपनी बातों को रखा. इसके बाद उपराष्ट्रपति लोकनायक जयप्रकाश नारायण स्मृति भवन पहुंचे, जहां आयोजित कार्यक्रम में उपराष्‍ट्रपति करीब 45 मिनट तक रुके. वहीं लोकनायक के गांव के लोगों ने भी उपराष्‍ट्रपति को अपनी समस्‍याओं से अवगत कराया. 

सिताबदियारा में हुआ था जेपी का जन्‍म

लोकनायक जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को सारण जिले के सिताबदियारा में हुआ था. अमेरिका में समाजशास्त्र की पढ़ाई के दौरान वे मार्क्सवाद से प्रभावित हुए, लेकिन भारत लौटकर उन्होंने गांधीवादी विचारधारा को अपनाया. स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका उल्लेखनीय थी. 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में उन्होंने भूमिगत रहकर ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष किया. हजारीबाग जेल से उनकी साहसिक फरारी ने उन्हें जनता का नायक बना दिया. उनकी निर्भीकता और समर्पण ने युवाओं को प्रेरित किया. 

जेपी ने किया था 'संपूर्ण क्रांति' का आह्वान

स्वतंत्रता के बाद जेपी ने सत्ता की राजनीति से दूरी बनाए रखी. उन्होंने समाजवादी आंदोलन को मजबूत किया और विनोबा भावे के भूदान आंदोलन में सक्रिय योगदान दिया. 1970 के दशक में जब देश भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सामाजिक असमानता से जूझ रहा था, तब जेपी ने 1974 में बिहार से 'संपूर्ण क्रांति' का आह्वान किया. यह आंदोलन केवल सत्ता परिवर्तन तक सीमित नहीं था, बल्कि इसका उद्देश्य सामाजिक, आर्थिक और नैतिक परिवर्तन था. जेपी ने कहा, "संपूर्ण क्रांति का मतलब समाज का हर क्षेत्र, शिक्षा, अर्थव्यवस्था, प्रशासन और नैतिकता, में बदलाव है."

1975 में आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ जेपी का आंदोलन ऐतिहासिक बन गया. उनकी गिरफ्तारी ने देशभर में आक्रोश फैला दिया. जेपी ने छात्रों और युवाओं को एकजुट कर जनता पार्टी के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके परिणामस्वरूप 1977 में पहली गैर-कांग्रेसी सरकार बनी. 

देश सेवा में उनके असाधारण योगदान के लिए वर्ष 1999 में उन्हें मरणोपरांत ‘भारत रत्न' से सम्मानित किया गया था. 

(छपरा से देवेंद्र की रिपोर्ट)

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