"देश का अपमान स्वीकार नहीं..": राहुल गांधी के माइक बंद करने वाले बयान पर भड़के उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमें सुनिश्चित करना है कि दुनिया हमारी संसद को चर्चा के अधिक अनुशासित और मजबूत मंच के तौर पर देखे.’’

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उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि मैं दलगत रुख नहीं रखता, लेकिन संवैधानिक कर्तव्य में विश्वास करता हूं.
नई दिल्‍ली:

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर परोक्ष रूप से निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि विदेशी धरती से यह कहना मिथ्या प्रचार और देश का अपमान है कि भारतीय संसद में माइक बंद कर दिया जाता है. उन्होंने यह भी कहा कि जब भारत के पास अभी ‘जी 20' की अध्यक्षता करने का गौरवशाली क्षण है तो ऐसे समय ‘एक सांसद द्वारा भारतीय लोकतंत्र और संवैधानिक इकाइयों की छवि धूमिल किए जाने को स्वीकार नहीं किया जा सकता' और वह इस संबंध में अपने संवैधानिक कर्तव्य से विमुख नहीं हो सकते. धनखड़ ने लोगों का आह्वान किया कि वे ऐसी ताकतों को बेनकाब करें और उन्हें विफल करें. उपराष्ट्रपति ने राहुल गांधी का नाम नहीं लिया.

जगदीप धनखड़ वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कर्ण सिंह की मुंडक उपनिषद पर आधारित एक पुस्तक के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे. उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी ने गत सोमवार को लंदन स्थित संसद परिसर में ब्रिटिश सांसदों से कहा कि भारत की लोकसभा में विपक्ष के लिए माइक अक्सर ‘खामोश' करा दिए जाते हैं.

विपक्षी दल लेबर पार्टी के भारतीय मूल के सांसद वीरेंद्र शर्मा द्वारा हाउस ऑफ कॉमन्स के ग्रैंड कमेटी रूम में आयोजित एक कार्यक्रम में राहुल गांधी ने कांग्रेस की ‘‘भारत जोड़ो यात्रा'' के अनुभव भी साझा किए. गांधी ने इस यात्रा को ‘‘जनता को एकजुट करने के लिए गहन राजनीतिक अभ्यास'' करार दिया.राहुल गांधी के बयान को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने भी उन पर तीखे प्रहार किए थे.

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हम दुनिया के सबसे क्रियाशील लोकतंत्र हैं 
राज्यसभा के सभापति धनखड़ ने कहा कि आज हम दुनिया की सबसे क्रियाशील लोकतंत्र हैं. उन्होंने कहा, ‘‘भारत अमृतकाल में है और उसने कई मुद्दों पर वैश्विक विमर्श को प्रभावित किया है. सभी भारतीय इससे प्रसन्न हैं कि देश इस तरह से उदयमान है जो पहले कभी नहीं था. हम निश्चित तौर पर 2047 की ओर अपने मार्ग पर अग्रसर हैं.''

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धनखड़ ने कहा, ‘‘यह कितना अजीब है, यह कितना दुखद है कि दुनिया हमारी ऐतिहासिक उपलब्धियों और जीवंत लोकतंत्र को स्वीकार कर रही है तो हममें से कुछ, जिनमें सांसद भी शामिल हैं, समृद्ध लोकतांत्रिक मूल्यों का क्षरण करने में लगे हैं.''उनका कहना था कि तथ्यों से परे विमर्श को गढ़ा जा रहा है. उन्होंने सवाल किया कि हम इसे कैसे उचित ठहरा सकते हैं?

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लोग देश के बाहर भारत की संसद की छवि धूमिल कर रहे
उप-राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘समय देखिए... यह मिथ्या प्रचार है. जब भारत के लिए गौरवशाली क्षण है, वह जी 20 की अध्यक्षता कर रहा है. देश के लोग जो देश के बाहर हैं, वे भारत की संसद और संवैधानिक इकाइयों को छवि धूमिल कर रहे हैं, यह बहुत गंभीर और अस्वीकार्य है. ''उप-राष्ट्रपति ने कहा कि अगर वह देश के बाहर किसी सांसद के मिथ्या प्रचार पर चुप्पी साध लेते हैं तो यह उनकी संवैधानिक क्षमता और शपथ के प्रतिकूल होगा.

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उन्होंने कहा, ‘‘इस बयान को कैसे स्वीकार किया जा सकता है कि भारतीय संसद में माइक बंद कर दिए जाते हैं....''धनखड़ ने कहा, ‘‘हमारे राजनीतिक इतिहास में एक काला अध्याय है जब आपातकाल लगाया गया था...अब भारतीय राजनीतिक व्यवस्था परिपक्व हो चुकी है, उसे (आपातकाल को) कभी दोहराया नहीं जा सकता.''उन्होंने कहा कि देश के भीतर और बाहर यह कहना राष्ट्र का अपमान है कि कि भारतीय संसद में माइक बंद कर दिए जाते हैं.

इन ताकतों को बेनकाब करिए 
उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मैं सभी लोगों का आह्वान करता हूं कि खड़े हो जाइए, इन ताकतों को बेनकाब करिये और विफल करिये.''उनका कहना था, ‘‘मैं कोई राजनीतिक पक्ष नहीं हूं, मैं दलगत रुख नहीं रखता, लेकिन संवैधानिक कर्तव्य में विश्वास करता हूं.''उन्होंने कहा कि वह डरने वाले नहीं है तथा अगर वह चुप हो गए तो बहुत सारे लोग खामोशी अख्तियार कर लेंगे. धनखड़ ने कहा, ‘‘दुनिया का कौन सा देश कह सकता है कि उसके यहां इतना बहुस्तरीय और जीवंत लोकतंत्र है?''

उन्होंने राहुल गांधी की न्यायपालिका के संदर्भ में की गई कुछ टिप्पणियों का परोक्ष रूप से उल्लेख करते हुए कहा कि ऐसी न्यायपालिका कहां हैं जहां इतने विद्वान लोग हैं.उन्होंने संसद में व्यवधान और नारेबाजी करने वाले सांसदों को भी निशाने पर लिया.धनखड़ ने कहा, ‘‘संविधान सभा की बैठक में कोई व्यवधान नहीं हुआ और कोई आसन के निकट नहीं आया, वहां से एक शानदार दस्तावेज (संविधान) दिया गया.''उन्होंने सांसदों का आह्वान किया कि वे ऐसा आचरण करें जो लोगों को प्रेरित करे और देश को नयी दिशा दे. उप-राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमें सुनिश्चित करना है कि दुनिया हमारी संसद को चर्चा के अधिक अनुशासित और मजबूत मंच के तौर पर देखे.''

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