- उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बिना सरकार को बताए राज्य सभा में जस्टिस वर्मा के खिलाफ प्रस्ताव की घोषणा की थी.
- सरकार को इस प्रस्ताव की जानकारी नहीं थी, इसलिए सत्ता पक्ष के सांसद उस पर हस्ताक्षर नहीं कर पाए.
- उपराष्ट्रपति का इस्तीफा राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया है और अब निर्वाचन आयोग चुनाव की तारीख तय करेगा.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर बड़ी खबर सामने आयी है. एनडीटीवी को मिली जानकारी के अनुसार सरकार को राज्य सभा में जस्टिस वर्मा के खिलाफ प्रस्ताव की कोई जानकारी नहीं थी. दरअसल सोमवार को जब सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन में घोषणा की कि उन्हें जस्टिस वर्मा के खिलाफ प्रस्ताव मिला है तो सरकार हैरान रह गई. धनखड़ ने इसके बारे में सरकार को जानकारी नहीं दी थी. सरकार के आला सूत्रों के अनुसार, अगर सरकार को जानकारी दी गई होती तो सत्ता पक्ष के सांसद भी प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करते. यहीं सरकार के लिए बड़ी विचित्र स्थिति पैदा हो गई.
सरकार की जानकारी के बिना जस्टिस वर्मा को हटाने का प्रस्ताव राज्य सभा में आया
जगदीप धनखड़ ने चेयर से ऐलान कर दिया और तकनीकी तौर पर जस्टिस वर्मा को हटाने का प्रस्ताव राज्य सभा में आ गया, जबकि सरकार ने लोकसभा में इसे रखने की रणनीति बनाई थी और इसके लिए विपक्ष को भी भरोसे में लिया गया था. लोकसभा में लाए गए प्रस्ताव पर विपक्षी सांसदों के भी हस्ताक्षर लिए गए थे.
पीएम मोदी ने वरिष्ठ मंत्रियों के साथ बैठक की
इसके बाद पीएम मोदी के साथ वरिष्ठ मंत्रियों की बैठक हुई. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कमरे में वरिष्ठ मंत्री बैठे, फिर चीफ व्हिप के ज़रिए सभी राज्य सभा सांसदों को बुलाया गया. उन्हें कहा गया कि वे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कमरे में पहुंचें. दस-दस सांसदों का ग्रुप बनाया गया. सभी ग्रुप राजनाथ सिंह के कमरे में गया. वहां एक प्रस्ताव तैयार था, जिस पर हस्ताक्षर करने को कहा गया.
धनखड़ की वजह से सरकार को कई बार शर्मिंदगी उठानी पड़ी
इसके बाद जगदीप धनखड़ से बातचीत की गई. फिर धनखड़ ने इस्तीफ़ा देने का फैसला किया. रात को वरिष्ठ मंत्रियों ने अलग-अलग ग्रुप में सांसदों को बुलाया. उन्हें बताया गया कि किस-किस मौके पर धनखड़ ने सीमा लांघी है. उन तमाम घटनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया, जब धनखड़ सरकार को आड़े हाथों ले चुके हैं या सरकार को उनके कारण शर्मिंदगी उठानी पड़ी है. हालांकि तब तक धनखड़ अपने इस्तीफ़े का ऐलान कर चुके थे.
अब आगे क्या होगा?
फिलहाल उपराष्ट्रपति का त्यागपत्र राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया है. गृह मंत्रालय को इसकी सूचना दे दी गई है. वहीं गजट में प्रकाशन के बाद चुनाव आयोग को सूचना दी जाएगी. फिर चुनाव आयोग पर निर्भर करेगा कि वह चुनाव कब कराए. जस्टिस वर्मा के खिलाफ जांच समिति के बारे में अब स्पीकर और राज्य सभा के उपसभापति मिल कर फ़ैसला करेंगे.
उपराष्ट्रपति रहे जगदीप धनखड़ ने कब-कब लांघी 'लक्ष्मण रेखा'
- आम आदमी पार्टी के राज्य सभा सांसद राघव चड्डा को विशेषाधिकार समिति के मामले में क्लीन चिट दी
- राघव चड्ढा को उनकी योग्यता से बड़ा बंगला अलॉट किया गया, बाद में जब उसे कैंसिल किया गया तो चड्ढा ने कोर्ट से स्टे ले लिए, मामला कोर्ट में है.
- दो बार अलग-अलग मंचों से किसानों के मुद्दे पर सरकार की आलोचना की, बाद में शिवराज सिंह चौहान ने मान-मनौवल की.
- जस्टिस यशवंत वर्मा के भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की आलोचना की, वजह से विवादो में आए.
- राज्यसभा में विपक्ष के नेताओं को ज़्यादा तरजीह देने के आरोप लगे, ये तब होने लगा जब विपक्ष ने धनखड़ के ख़िलाफ महाभियोग लाने की धमकी दी.
- बीते सोमवार 21 जुलाई को सरकार की बिना सहमति के विपक्ष का जस्टिस यशवंत वर्मा के ख़िलाफ महाभियोग प्रस्ताव स्वीकार कर लिया.
- विपक्ष के नेता खरगे को बहस में लंबे समय तक बिना मुद्दे के ऑपरेशन सिंदूर पर बोलने दिया, इस पर सदन के नेता जेपी नड्डा ने कड़ी आपत्ति जताई.