उपराष्ट्रपति चुनाव : नंबर गेम में कैसे मात खा गया विपक्ष, क्रॉस वोटिंग के खेल में किसने दिया धोखा?

उपराष्ट्रपति चुनाव में NDA के पास 427 अपने वोट थे. YSRCP के 11 वोट जोड़ें तो 438 का आंकड़ा बनता, लेकिन राधाकृष्णन को कुल वोट 452 मिले हैं, यानी 14 वोट अधिक. मतलब साफ है कि एनडीए के पक्ष में क्रॉस वोटिंग हुई है.

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  • उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन 452 वोट लेकर विजयी घोषित हुए हैं.
  • विपक्षी दलों के साझा उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट ही मिल पाए हैं. 15 वोट निरस्त हुए.
  • कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने 315 विपक्षी सांसदों के एकजुट होकर वोट डालने का दावा किया था.
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उपराष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन को विजेता घोषित कर दिया गया है. लेकिन इसी के साथ राजनीति भी गरमा गई है. इतना तो तय है कि इस चुनाव में क्रॉस वोटिंग हुई है. कांग्रेस पार्टी के सूत्रों को लग रहा है कि इस चुनाव में कुछ दलों के सांसदों ने क्रॉस वोटिंग करके उसके साथ एक तरह से धोखा किया है. 

कांग्रेस के दावे से भी कम वोट क्यों?

एनडीए के सीपी राधाकृष्णन के पक्ष में 452 वोट पड़े जबकि विपक्षी दलों के साझा उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट ही मिल पाए. वोटिंग खत्म होने के बाद कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने दावा किया था कि वोटिंग में विपक्ष पूरी तरह एकजुट रहा और उसके सभी 315 सांसदों ने मतदान में हिस्सा लिया था. 

इस तरह देखा जाए तो अगर विपक्षी सांसद एकजुट रहते तो सुदर्शन रेड्डी को कम से कम 315 वोट तो मिलने चाहिए थे. लेकिन उन्हें इस संख्या से 15 वोट कम मिले. अब ये बड़ा सवाल है कि किस-किसने राधाकृष्णन के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की. 

इस उपराष्ट्रपति चुनाव में NDA के पास अपने वोट 427 थे. YSRCP के 11 वोट और जोड़ लें तो 438 का आंकड़ा बनता, लेकिन उन्हें कुल वोट 452 मिले हैं. यानी 14 वोट अधिक मिले. इसका मतलब साफ है कि एनडीए के पक्ष में क्रॉस वोटिंग हुई है. 

15 निरस्त वोटों में भी हुआ खेल?

राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी ने चुनाव नतीजों का ऐलान करते हुए बताया कि इस चुनाव में 15 वोट निरस्त भी किए गए है. ये भी अपने आप में सवाल खड़ा करता है. ये आशंका हमेशा रहती है कि क्या जानबूझकर ऐसा तो नहीं किया गया.

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