उपराष्ट्रपति चुनाव में क्या हैं समीकरण? यहां जान लीजिए पक्ष-विपक्ष की रणनीति की De-coding

NDA ने अपने उम्मीदवार के पक्ष में अधिकतम मतदान की रणनीति पर भी काम शुरू कर दिया है. उपराष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले तीन दिनों तक दिल्ली में संसद भवन में सभी सांसदों के लिए कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है.

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उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए बनने लगा समीकरण
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  • नौ सितंबर को उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए का उम्मीदवार रविवार शाम को घोषित किया जाएगा.
  • बीजेपी उपराष्ट्रपति पद के लिए ऐसे व्यक्ति को चुनना चाहती है जो पार्टी और RSS की विचारधारा से जुड़ा हो.
  • जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के कारण बीजेपी नेतृत्व सतर्क है और अपने फैसलों में पारदर्शिता और सामंजस्य चाहता है.
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नई दिल्ली:

9 सितंबर को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए के उम्मीदवार का नाम रविवार शाम को घोषित होने की संभावना है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सर्वोच्च निर्णायक संस्था पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक रविवार शाम को पार्टी के राष्ट्रीय मुख्यालय पर बुलाई गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा,गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और बोर्ड के अन्य सदस्य शामिल होंगे. 

इस बीच, एनडीए ने अपने उम्मीदवार के पक्ष में अधिकतम मतदान की रणनीति पर भी काम शुरू कर दिया है. उपराष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले तीन दिनों तक दिल्ली में संसद भवन में सभी सांसदों के लिए कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है. इसमें सांसदों को वोट डालने की ट्रेनिंग भी दी जाएगी। गौरतलब है कि उपराष्ट्रपति चुनाव में लोक सभा और राज्य सभा दोनों सदनों के सदस्य वोट डालते हैं. एनडीए का लक्ष्य होगा कि अपने उम्मीदवार के लिए अधिकतम मत सुनिश्चित किए जाएं. पिछले उपराष्ट्रपति चुनाव में जगदीप धनखड़ रिकॉर्ड मतों से निर्वाचित हुए थे. 

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सरकार के रणनीतिकार विपक्ष से भी संपर्क साधेंगे और अपने उम्मीदवार के नाम पर आम राय बनाने का प्रयास करेंगे. हालांकि यह केवल औपचारिकता भर है क्योंकि विपक्ष यह स्पष्ट कर चुका है कि वह अपना उम्मीदवार खड़ा करेगा. उपराष्ट्रपति चुनाव मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में शक्ति परीक्षण का पहला बड़ा मौका है और विपक्ष इसे अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता. अभी तक राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए को बीजेडी, वायएसआरसीपी, बीआरएस, टीएमसी जैसे दलों का समर्थन कभी-कभार मिलता रहा है. लेकिन अब हालात उलट हैं.

बीजेपी के हाथों ओडीशा में सत्ता गंवा चुकी बीजेडी अब किसी भी तरह से समर्थन करने के मूड में नहीं है. वहीं बीजेपी को इस बार अपने बूते बहुमत नहीं मिला और वह प्रमुख रूप से टीडीपी और जेडीयू के समर्थन पर निर्भर है. ऐसे में विपक्ष चाहेगा कि वह एनडीए को कड़ी टक्कर दे. वोटर लिस्ट के मुद्दे पर विपक्ष की एकजुटता दिख रही है और इस मुद्दे पर बीजेडी और आम आदमी पार्टी भी कांग्रेस के साथ दिख रहे हैं. विपक्ष इस एकता को उपराष्ट्रपति चुनाव में भी बनाए रखना चाहेगा.

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