उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे को संसद में व्यवधान और विपक्षी सांसदों के निलंबन के मुद्दे पर बातचीत के लिए 25 दिसंबर को अपने आवास पर आमंत्रित किया और कहा कि उनके बार-बार आग्रह के बावजूद शीतकालीन सत्र के दौरान ऐसी बैठक नहीं हो सकी.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि सदन में व्यवधान इरादातन था और रणनीति के तहत था. धनखड़ ने पत्र में कहा, ‘‘इस प्रकरण में मुख्य विपक्षी दल की पूर्वनियोजित भूमिका की ओर इंगित करके, मैं आपको लज्जित नहीं करना चाहता, लेकिन जब कभी भी मुझे आपसे बातचीत करने का अवसर लाभ मिलेगा, मैं आपसे वह साझा अवश्य करूंगा.''
आवास पर बातचीत के लिए आमंत्रित किया
राज्यसभा में विपक्ष के नेता खरगे को एक ताजा पत्र में धनखड़ ने लिखा, ‘‘हमें आगे बढ़ने की जरूरत है'' और उन्हें 25 दिसंबर को ‘‘या उनकी सुविधानुसार किसी भी समय पर'' अपने आधिकारिक आवास पर बातचीत के लिए आमंत्रित किया.
खरगे के 22 दिसंबर के पत्र का जवाब देते हुए राज्यसभा के सभापति ने कहा कि उन्हें संतोष होता अगर कांग्रेस नेता का यह दावा कि ‘‘हम संवाद और बातचीत में दृढ़ता से यकीन रखते हैं'' वास्तव में चरितार्थ हो पाता.
धनखड़ ने पत्र में लिखा है, ‘‘पूरे सत्र भर, कभी मैंने सदन के अंदर आग्रह किया तो कभी पत्र लिखकर आपसे संवाद और परामर्श करने का अनुरोध किया, आपसे बातचीत करने के लिए बार बार किया गया मेरा हर प्रयास विफल रहा.''
धनखड़ ने कहा कि खरगे के दृष्टिकोण के विपरीत, निलंबन का कारण सदन में की जा रही नारेबाजी, तख्ती लहराना, सदन के वेल में घुसने का प्रयास और आसन के सामने अशोभनीय व्यवहार कर, इरादतन पैदा किया जा रहा व्यवधान था.
उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘इस दुर्भाग्यपूर्ण कदम को उठाने से पहले, मेरे द्वारा सदन में व्यवस्था स्थापित करने के हर प्रयास, हर उपाय किए गए. थोड़ी थोड़ी देर के लिए सदन को स्थगित कर, मैंने अपने कक्ष में बुला कर बातचीत करने का भी भरसक प्रयास किया.''
कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने शुक्रवार को धनखड़ को पत्र लिखकर कहा था कि इतने बड़े पैमाने पर सांसदों का निलंबन भारत के संसदीय लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के लिए हानिकारक है. खरगे ने धनखड़ को लिखे पत्र में कहा कि वह इतने अधिक सांसदों के निलंबन से दुखी एवं व्यथित हैं और हताश एवं निराश महसूस कर रहे हैं.
इससे पहले उपराष्ट्रपति धनखड़ ने खरगे को लिखे एक पत्र में कहा था कि आसन से स्वीकार न की जा सकने वाली मांग करके सदन को पंगु बना देना दुर्भाग्यपूर्ण और जनहित के खिलाफ है.
शीतकालीन सत्र के दौरान अनुचित व्यवहार और कदाचार के कारण 46 सांसदों को राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया. शीतकालीन सत्र चार दिसंबर को शुरू हुआ और 22 दिसंबर को समाप्त होने वाला था.
ये भी पढ़ें- "सिर्फ इसलिए कि मैं बृजभूषण के करीब हूं..." : विवाद के बीच WFI प्रेसिडेंट संजय सिंह
ये भी पढ़ें- Poonch Attack : आतंकवादियों की तलाश जारी, पुंछ और राजौरी में इंटरनेट सेवा सस्पेंड
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)