मशहूर बंगाली गायिका संध्या मुखर्जी का 90 वर्ष की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. अस्पताल सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी. खराब स्वास्थ्य के कारण वह जनवरी के आखिरी सप्ताह से ही अस्पताल में भर्ती थीं. अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि शाम करीब साढ़े सात बजे दिल का दौरा पड़ने से मुखर्जी का निधन हो गया. संध्या मुखर्जी कोरोना वायरस से संक्रमित पाई गई थीं और वह हृदय संबंधी बीमारियों से भी ग्रस्त थीं. उनके कई अंगों ने काम करना बंद दिया था.संध्या मुखर्जी उर्फ संध्या मुखोपाध्याय का नाम इसी वर्ष पद्म अवार्ड (Padma Award)ले ने से इनकार करने के लिए सुर्खियों में आया था. संध्या की बेटी ने बताया था कि उनकी मां ने पद्म श्री लेने से इनकार कर दिया क्योंकि उन्हें (संध्या को) लगता है कि 90 वर्ष की उम्र में उनके जैसी दिग्गज को पद्म श्री देना अपने आप में 'अपमानजनक' बात है. गायिका की बेटी ने कहा Fkk, 'पद्म श्री किसी जूनियर कलाकार के लिए अधिक योग्य है, न कि संध्या मुखर्जी के लिए. उनका परिवार और उनके गीतों के सभी प्रेमी भी यही महसूस करते हैं.'
बता दें कि संध्या मुखर्जी बंगाल में गायिका के तौर पर काफी प्रतिष्ठा हासिल थी. उन्हें हजारों बंगाल और अन्य भाषाओं के गीतों को आवाज दी.एस डी बर्मन, अनिल विश्वास, मदन मोहन, रोशन और बसलिल चौधरी सहित कई हिंदी फिल्म संगीत निर्देशकों के लिए भी संध्या ने गाने गाए थे. उन्हें `बंग बिभूषण`समेत कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था.संध्या पश्चिम बंगाल से दूसरी हस्ती हैं जिन्होंने पद्म सम्मान ठुकरा दिया है. पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेब भट्टाचार्य ने पद्म विभूषण का पुरस्कार ठुकरा दिया है. उनकी ओर से कहा गया है कि किसी ने भी उन्हें यह सम्मान दिए जाने के बारे में कोई सूचना नहीं दी.