कोरोना की दोनों वैक्सीन ले चुके डॉक्टरों की मौत के केस बेहद कम,ज्यादातर ने पहली खुराक भी नहीं ली थी

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ( Indian Medical Association) ने सोमवार को कहा था कि 24 घंटे में देश में 50 डॉक्टरों ने कोरोना के कारण जान गंवाई है.

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देश में हेल्थकेयर वर्करों के वैक्सीनेशन (Vaccination) का अभियान 4 माह से चल रहा है. (फाइल) 
नई दिल्ली:

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association) ने गुरुवार को ताजा आंकड़े जारी किए. आईएमए ने कहा कि अब तक 329 डॉक्टरों की कोरोना की दूसरी लहर में मौत हो चुकी है. जबकि देश में हेल्थकेयर वर्करों के वैक्सीनेशन (Vaccination) का अभियान 4 माह से चल रहा है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ( Indian Medical Association) ने तीन दिन पहले कहा था कि 24 घंटे में देश में 50 डॉक्टरों ने कोरोना के कारण जान (India Doctors Death Corona) गंवाई है.हालांकि इनमें से सिर्फ 7 डॉक्टर ही ऐसे थे, जिन्हें कोरोना वैक्सीन (fully vaccinated) के दोनों टीके लग चुके थे. देश के नामी निजी अस्पतालों में से एक मैक्स हेल्थकेयर Max Healthcare) ने अपने अध्ययन में कहा है कि निस्संदेह कोरोना वैक्सीन की दोनों खुराक जिंदगी बचाने में सबसे महत्वपूर्ण है. 

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आईएमए के अनुसार, बिहार में 80 डॉक्टर, दिल्ली में 73, उत्तर प्रदेश में 41, आंध्र प्रदेश में 22 और तेलंगाना में 20 डॉक्टरों की कोरोना से मौत हुई है. महामारी की पहली लहर के दौरान 748 डॉक्टरों की संक्रमण से मौत हुई थी. आईएमए प्रमुख डॉ.जेए जयलाल ने बताया कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन देशभर में फैली शाखाओं से मिली जानकारी के आधार पर यह सूची तैयार की है.

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आईएमए ने पिछले हफ्ते बताया था कि कोरोना की दूसरी लहर (COVID-19 second wave) में अब तक 244 डॉक्टरों की मौत हो चुकी है उदाहरण के तौर पर 26 साल के डॉक्टर अनस मुजाहिद दिल्ली के गुरु तेग बहादुर हॉस्पिटल में रेजीडेंट डॉक्टर थे, जो एक डेडिकेटेड कोविड स्पेशियलिटी सेंटर है. लेकिन कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के कुछ घंटों के भीतर ही उनकी मौत हो गई.

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मैक्स हास्पिटल का कहना है कि उसके यहां सभी 13,965 स्वास्थ्यकर्मियों ने कोविड वैक्सीन ली और उनमें से सिर्फ 6 फीसदी ही संक्रमित हुए. इनमें से 10 में से 9 मरीज घर पर ही स्वस्थ हो गए, जबकि 100 में से एक स्वास्थ्यकर्मी को ही अस्पताल में भर्ती (hospitalisation) कराने की जरूरत पड़ी. इसमें सिर्फ एक मौत का मामला सामने आया. अपोलो हेल्थकेयर (Apollo Healthcare) ने अपने अध्ययन में वैक्सीनेशन के पहले 100 दिन में ऐसे ही नतीजे पाए हैं. 

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अपोलो के अध्ययन में 3235 स्वास्थ्यकर्मियों (healthcare workers) को शामिल किया गया. इनमें से 2481 को कोरोरोना की दोनों डोज और 754 को पहली खुराक लग चुकी थी. इनमें से टीकाकरण कराने वाले 97.38 फीसदी लोगों को संक्रमण से पूरा बचाव रहा. इनमें किसी को संक्रमण के कारण आईसीयू में भर्ती नहीं करना पड़ा और न ही कोई मौत हुई.

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IMA ने हालांकि यह नहीं बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में मारे गए 329 डॉक्टरों से कितनों को वैक्सीन लग चुकी थी. हालांकि आईएमए प्रमुख ने कहा, हम सभी के टीकाकरण की स्थिति को लेकर सटीक आंकड़े नहीं हैं. लेकिन कोरोना की दोनों वैक्सीन का न लगना डॉक्टरों की मौत का सबसे बड़ा कारण रहा है. अगर देखा जाए तो देश रोजाना 20 डॉक्टरों को कोरोना के कारण खो रहा है. इसमें सभी सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टरों को शामिल किया गया है. अब तक कोरोना की पहली लहर के बाद से 1065 डॉक्टरों की मौत कोविड के कारण हो चुकी (doctors died due to Covid) है. इनमें से 736 की मौत पिछले साल हुई थी.

AIIMS के रेजीडेंट डॉक्टरों का कहना है कि वे वैक्सीनेशन की शुरुआत में ही टीका लेने चाहते थे. लेकिन अब तक करीब 200 डॉक्टरों को वैक्सीन का एक भी डोज नहीं लगा है. जबकि इतने ही डॉक्टरों को दूसरी डोज नहीं मिल पाई है. AIIMS resident doctors association में करीब 2500 सदस्य हैं. देश में 16 जनवरी से वैक्सीनेशन अभियान चल रहा है. 

एम्स रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अमनदीप सिंह का कहना है कि डॉक्टरों के वैक्सीनेशन को शीर्ष प्राथमिकता दी जानी चाहिए. 18 से 44 साल के डॉक्टरों को तुरंत वैक्सीनेशन की सुविधा नहीं है. एम्स में केवल 45 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए स्लॉट हैं. जबकि हमारे ज्यादातर रेजीडेंट डॉक्टर 18 से 44 साल के हैं. रेजीडेंट डॉक्टर वैक्सीन का ऑनलाइन स्लॉट हासिल नहीं कर पा रहे हैं. अभी तक एम्स प्रशासन से सिर्फ मौखिक आश्वासन ही मिला है. 


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